गरमीं के छुट्टी मा ममा गाँव

कलकूत गरमी मा इस्कूल मन के दु महीना के छुट्टी होगे हे। अब फेर इस्कूल खुलही असाढ मा। लइका मन मा टी.वी.,मोबाइल, कंप्यूटर, लेपटाप, विडियो गेम, देख-खेल के दिन ला पहाही अउ असकटाही घलाव। एकर ले बाँचे बर दाई-ददा मन हा गरमी के छुट्टी बिताय खातिर कोनो नवा-नवा जघा मा घुमे जाय के उदिम करहीं। कोनो पहाड़, कोनो समुंदर , कोनो देव-देवाला अउ कोनो पिकनिक वाले जघा मा जाँही अउ सुग्घर समे बिता के आहीं। ए हा अच्छा बात हे के नवा-नवा जघा देखे अउ घुमे ला मिलही,ओखर बारे मा…

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का पुरवाही में अईसने जहर घुरे हे

का बतावव काला गोठीयावव, अंतस के पीरा ल कईसे बतावव I कोनों ककरो नई सुनय, मनखे के गोठ ल मनखे नई गुनय I का पुरवाही में अईसने जहर घुरे हे ? संसों लागथे मनखे होय के, कोन जनी कोन ह कतका बेर, काकर गोठ मा रिसा जही I अपनेच घर परवार ल आगी लगा डारही, का पुरवाही में अईसने जहर घुरे हे ? अरे परबुधिया परिया भुईयां म, सोना उपजा सकथस I गुनबे त अंतस के अंधियार ल, जुगजुग ले चमका सकथस I फेर का हो जथे ऐके कनिक मा,…

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गाय निकलगे मोर घर ले

समारू आज गजबेच अनमनहा हे। 40 बच्छर ले जौन कोठा म पैरा, कांदी, भुसा, कोटना म पानी डारत रहिस ओ आज सुन्ना परगे। पांच बच्छर के रहिस तब ले अपन बबा के पाछू पाछू कोठा म गाय बछरु ल खाय पिये के जिनीस देय बर, गाय ,बछरु , बईला, भईसा ल छोरे बर सीख गे रहिस। बिहाव होईस त गऊअसन सुवारी पाईस। कम पढ़े लिखे रहिस त दूनो के खाप माढ़ गे। छै ठन पिलहारी गाय, दू ठन बईला ,दू नंगरजोत्ता भंईसा 4-6 ठन छोटे मंझोलन बछिया बछवा सबो के…

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श्रद्धांजलि – गीत संत: डॉ. विमल कुमार पाठक

हमर जइसे कबके उबजे कोलिहा का जाने खलिहान मन के सामरथ म डॉ. विमल कुमार पाठक के व्यक्तित्व अउ कृतित्व के उपर बोलना आसान नइ हे. तभो ले हम बोले के उदीम करत हन आप मन असीस देहू. एक मनखे के व्यक्तित्व के महत्व अउ ओखर चिन्हारी अलग अलग लोगन मन बर अलग अलग होथे. इही अलग अलग मिंझरा चिन्हारी ह ओखर असल व्यक्तित्व के चित्र खींचथे. जइसे हमर मन बर ‘राम‘ ह भगवान रहिस त केवटराज बर ‘पथरा ला मानुस बनईया चमत्कारी मनखे‘, परसराम बर धनुस ला टोरईया लईका..…

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तलाश अपन मूल के

आज आसाम के दुलियाजान ले सुभाष कोंवर जी के फोन आये रिहिस। मार्च म रइपुर आये के बाद ले सुभाष के बैचैनी थोरकन ज़ादा बाढ़ गे हे। बेचैनी का बात के, अपन पुरखा मन के गांव अउ खानदान ल जाने के। सुभाष पहली घव मार्च 2017 म छत्तीसगढ़ आये रिहिन रइपुर म आयोजित पहुना संवाद म शामिल होये बर। पहुना संवाद के जुराव छत्तीसगढ़ सरकार के संस्कृति विभाग करे रिहिस, आज ले तकरीबन डेढ़ सौ साल इंहा ले कमाए खाये बर असम गे अउ फेर उन्हें बस गेय छत्तीसगढ़िया मन…

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मजदूर दिवस म कविता: मजदूर

पसीना ओगार के मेंहनत करथे दुनिया ल सिरजाथे रात दिन मजदूरी करथे तब मजदूर कहाथे । नइ खाये वो इडली डोसा चटनी बासी खाथे धरती दाई ल हरियर करथे माटी के गुन गाथे । घाम पियास ल सहिके संगी जांगर टोर कमाथे खून पसीना एक करथे तब रोजी रोटी पाथे । बिना मजदूर के काम नइ चले दुनिया ह रुक जाही जब तक मेंहनत नइ करही त कहां ले विकास हो पाही । महेन्द्र देवांगन “माटी” पंडरिया जिला — कबीरधाम (छ ग ) पिन – 491559 मो नं — 8602407353…

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मंजूरझाल : किताब कोठी

तीरथ बरथ छत्तीसगढ म, चारों धाम के महिमा अन्न-धन्न भंडार भरे, खान रतन के संग म पावन मन भावन जुग-जुग गुन गावा अंतस किथे लहुट-लहुट ईंहचे जनम धरि — गुरतुर भाखा छत्तीसगढी — दया-मया के बस्ती बसइया ल कहिथें छत्तीसगढिया । छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।। चुहुक-चुहुक कुसियार के रस म, जीभन जउन सुख । अड्डसन हे दुध भाखा मनखे के मान बढाथै ।। भूखन के हे भूख मिटइया अन्न म भरे जस हंड्रिया । छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।। कुरिया भीतर गोठियाथै जांता,…

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छन्द के छ : एम.ए.छत्तीसगढी के पाठ्यक्रम मा जोडे जाना चाही

निगम जी के “छन्द के छ’ पढे बर मिलीस। पिंगल शास्त्र के जानकारी देवइया किताब ल महतारी भाखा म पढ के मन आल्हादित होगे। आज के लिखइया मन छन्द के नाम ल सुन के भागथे अइसन बेरा म छत्तीसगढी साहित्य ला पोठ करे खातिर निगम जी पोठ काम करे हवय। छन्द ला समझाये खातिर निगम जी ह सबले पहिली – अक्षर, बरन, यति, गति, मातरा, डांड अउ चरन (सम चरण, बिषम चरण), लघु (1) गुरू (5) काला कहिथे? तेला बिस्तार ले समझाये हे। मातरा ला कइसे गिने जाथे? मातरा ल…

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सवच्छ भारत अभियान

गांव ला सवच्छ बनाये के सनकलप ले चुनई जीत गे रहय । फेर गांव ला सवच्छ कइसे बनाना हे तेकर , जादा जनाकारी नी रहय बपरी ल । जे सवच्छता के बात सोंच के , चुनई जीते रहय तेमा , अऊ सासन के चलत सवच्छता अभियान म बड़ फरक दिखय । वहू संघरगे सासन के अभियान म । अपन गांव ल सवच्छ बनाये बर , घरो घर , सरकारी कोलाबारी बना डरीस । एके रसदा म , केऊ खेप , नाली , सड़क अऊ कचरा फेंके बर टांकी …। गांव…

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हिम्मत हे त आघु आ

लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर हिम्मत हे त आघु आ, देखथँव के दाँत हे तोर जबङा में लुकाके तैं झन पुछी हला। मुसवा कस खुसरके बिला म शेर ल झन तै ताव देखा,, लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर हिम्मत हे त आघु आ।। खात बुकबुकी मारत हे तुमला घर अँगना ले भटके हव, तीन सौ कुकुर ह जुरयाके पचीस झन शेर ल हटके हव। कुकुर तै मरबे कुकुर के मउत अपन बहादुरी झन जता,, लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर हिम्मत हे त आघु आ।। 24 अप्रेल के दिन सुरता रखबे…

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