[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] तीन बच्छर पूरगे पूनाराम अपन बेटी मोनिका ल पुरखौती गांव नई लेगे हावय। गरमी के छुट्टी मा जाबो कहिके मनाय रहिस।छुट्टी सुनाय पाछू ऐसो मोनिका जिदेच कर दिस। बेटी के मया अउ जिद के आगू थोरको नइ बनिस। शनिचर के संझा बेरा जाय के मुहुरत बनिस। पूनाराम ल भेलई मा रहिते सहरी जिनगी कभू कभू गरु लागथे। कतको घांव गांव आयबर सोचथे फेर आ नइ सकय। बेटी के जिद ह एक मउका अऊ दे हावय।गांव जाय के पहिली दिन ओला नानपन मा गरमी…
Read MoreMonth: June 2017
हाय रे मोर गुरतुर बोली
मोर बोली अऊ भाखा के मय कतका करव बखान, भाखा म मोर तीरथ बरथ हे जान ले ग अनजान। हाय रे मोर गुरतुर बोली, निक लागय न। तोर हँसी अऊ ठिठोली निक लागय न। मोर बोली संग दया मया के, सुग्हर हवय मिलाप रे। मिसरी कस मिठास से येमे, जईसे बरसे अमरीत मधुमास रे। ईही भाखा ल गूढ़ के संगी, होयेन सजोर,सगियान रे। अपन भाखा अऊ चिन्हारी के, झन लेवव तुमन परान रे। मुड़ी चढईया भाखा ल आवव, जुरमिर के फरियातेन। सूत उठ के बोलतेन सबले पहिलिच राम राम ग।…
Read Moreओहर बेटा नोहे हे
ओहर बेटा नोहे हे! परसा के ढेंटा आय लाठी ल टेक टेक के सडक म बाल्टी भर पानी लानत हे देख तो डोकरी दाई ल कैसे जिनगी ल जीयत हे कोनो नइये ओखर पुछैया अपन दुख ल लेके बडबडावत हे कभू नाती ल, कभू बेटा ल, कभू बहू ल गोहरावत हे पास पडोस के मन ल अपन पिरा ल सुनावत हे 1 रूपया के चउर अउ निराश्रीत पेंषन म जिनगी ल गुजारत हे नती के हावय डोकरी दाई बर मया चाय पानी रोज पियावत हे पडोसी ह भुख के बेरा…
Read Moreब्लाग लिखईया मनखे मन ला दे-बर परही GST
नवा जी.एस.टी. कानून ह लागू होए म 3 दिन बांचे हे, 1 जुलाइ ले जी.एस.टी. होवत हे लागू, जी.एस.टी. के बारे में विस्तार ले कतको गजट, समाचार, पतरिका म जानकारी मिल जाही। एखर अनुसार हमन ला बुनियादी पदारथ मा 0%, 5%, 12%, 18% and 28% (+अउ लक्जरी समान मा सेस अलग ले) लगही। अईसे तो सियान मन विस्तार ले बताहीं के कामा कतका-कतका जी.एस.टी. लगही, कुछु ह मंहगा होही त कुछु ह सस्ता, मै हर तो अतके बताए बर लिखत हौं भई के अब हम ब्लागर मन के बिरादरी बर…
Read Moreउ-ऊ छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश
उ उँकर (सं.) उकडू, पैरों के पंजों के बल बैठना। उँचान (सं.) ऊँचाई। उँटवा (सं.) ऊँट। उँटिहार (सं.) ऊँटी दे. लेकर गाड़ी के आगे-आगे चलने वाला व्यक्ति। उंडा (वि.) औधा, मुँह के बल। उकठना (क्रि.) बीती घटनाओं को सुना-सुना कर गाली-गलौज करना। उटकना (क्रि.) दे. उकठना उकेरना (क्रि.) निकालना, रस्सी आदि की बटाई खोलना। उखरू (सं.) दे. ‘उँकरू’। उखलहा (वि.) 1. ओछी तबीयत का, नीच स्वभाव का, दोषी। 2. जादा बोलने वाला, सहजता से वास्तविक बात बता डालने वाला। उखरा (सं.) रस से पगी लाई दे. । (वि.) नंगे पैर।…
Read Moreयोग के दोहा
महिमा भारी योग के,करे रोग सब दूर। जेहर थोरिक ध्यान दे,नफा पाय भरपूर। थोरिक समय निकाल के,बइठव आँखी मूंद। योग ध्यान तन बर हवे,सँच मा अमरित बूंद। योग हरे जी साधना,साधे फल बड़ पाय। कतको दरद विकार ला,तन ले दूर भगाय। बइठव पलथी मार के,लेवव छोंड़व स्वॉस। राखव मन ला बाँध के,नवा जगावव आस। सबले बड़े मसीन तन,नितदिन करलव योग। तन ले दुरिहा भागही,बड़े बड़े सब रोग। चलव साथ एखर सबे,सखा योग ला मान। स्वस्थ रही तन मन तभे,करलव योगा ध्यान। जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” बाल्को (कोरबा)
Read Moreयोग करव जी (कुकुभ छंद)
मनखे ला सुख योग ह देथे,पहिली सुख जेन कहाथे । योग करे तन बनय निरोगी,धरे रोग हा हट जाथे।।1 सुत उठ के जी रोज बिहनियाँ,पेट रहय गा जब खाली । दंड पेल अउ दँउड़ लगाके, हाँस हाँस ठोंकव ताली ।।2 रोज करव जी योगासन ला,चित्त शांत मन थिर होही । हिरदे हा पावन हो जाही,तन सुग्घर मंदिर होही।।3 नारी नर सब लइका छउवा, बन जावव योगिन योगी । धन माया के सुख हा मिलही,नइ रइही तन मन रोगी।।4 जात पाँत के बात कहाँ हे, काबर होबो झगरा जी। इरखा के…
Read Moreपर भरोसा किसानी : बेरा के गोठ
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] रमेसर अपन घर के दुवारी मा मुड़ धर के चंवरा मा बैइठे हे उही बेरा बड़े गुरुजी अपन फटफटी मा इस्कूल डाहर जावत ओला देख परीस।खड़ा होके पूछिस का होगे रमेसर? कइसे मुड़धर के बइठे हस ? रमेसर पलगी करत कहिस- काला काहंव गुरुजी, बइला के सिंग बइला बर बोझा। तुही मन सुखी हव।गुरजी कहिस-तब कहीं ल बताबे कि अइसने रोते रबे, बोझा ल बांटबे त हरु होही।बिमारी के दवाबूटी करे जाथे। रमेसर हाथ मा मुड़ी धरे कहे लगीस- किसानी के दिन बादर…
Read Moreगदहा मन के मांग
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये खबर ला सुनव”] एक दिन गदहा मन के गांव म मंझनिहां बेरा हांका परिस- गुडी म बलाव हे हो- ढेंचू , जल्दी जल्दी सकलावत जाव हो ढेचू। सुनके गांव के जम्मो गदहा गुडी म सकलागे, कोतवाल गदहा ल पूछेगिस- कोन ह मईझनी-मंझनिहा बईठका बलाय हे ? तब एकझन सियान गदहा ह बोलिस-में ह बलायहंव ग बईठका ल, बात ये हे के आज बिहनिया बेरा जब में ह ईस्कूल कोती चरेबर गेरहेंव, त ईस्कुल के खिडखी ह खुल्ला रहिस हे,ओती ले अवाज आवत रहिसहे जेमा- बडे गुरूजी…
Read Moreदानलीला कवितांश
जतका दूध दही अउ लेवना। जोर जोर के दुध हा जेवना।। मोलहा खोपला चुकिया राखिन। तउन ला जोरिन हैं सबझिन।। दुहना टुकना बीच मढ़ाइन। घर घर ले निकलिन रौताइन।। एक जंवरिहा रहिन सबे ठिक। दौरी में फांदे के लाइक।। कोनो ढेंगी कोनो बुटरी। चकरेट्ठी दीख जइसे पुतरी।। एन जवानी उठती सबके। पंद्रा सोला बीस बरिसि के।। काजर आंजे अंलगा डारे। मूड़ कोराये पाटी पारे।। पांव रचाये बीरा खाये। तरुवा में टिकली चटकाये।। बड़का टेड़गा खोपा पारे। गोंदा खोंचे गजरा डारे।। पहिरे रंग रंग के गहना। ठलहा कोनो अंग रहे ना।।…
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