नरसिंह दास वैष्‍णव के शिवायन के एक झलक

आइगे बरात गांव-तीर भोला बाबा जी के देखे जाबो चल गीयॉं संगी ल जगाव रे डारो टोपि, मारो धोति, पॉंव पयजामा कसि गरगल बांधा अंग कुरता लगाव रे हेरा पनही, दौड़ंत बनही कहे नरसिंहदास एक बार छूंहा करि सबे कहूँ धाव रे पहुँच गये सुक्खा भये देखि केंह नहिं बाबा नहिं बब्बा कहे प्राण ले अगाव रे कोऊ भूत चढ़े गदहा चढ़े कूकूर म चढ़े कोऊ-कोऊ कोलिहा म चढि़ आवत कोऊ बिघवा म चढि़ कोऊ बघवा म चढि़ कोऊ घुघुवा म चढि़ हाँकत-उड़ावत सर्र-सर्र सांप करे गर्र-गर्र बाघ रे हॉंव-हॉंव…

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हमर भाग मानी ये तोर जईसन हितवा हे

आज के समे म कोनो ककरो नई होवय तईसे लागथे,मनखे के गोठ बात बिना सुवारथ के दूसर मनखे नई सुनय I अऊ बात बने सही रईहीं तभो वोकर बात ल कोनों नई गुनय, भाई मन बाटें भाई परोसी होगे हे, एक दूसर बर बईरी का कहिबे एक दूसर ल फूटे आँखी नई सुहावय Iसमे बदल गेहे अऊ मनखे मन बदल गेहे फेर ईतवारी बड़ा के मंझिला लईका मालचु ह नई बदलीच, भागमभाग अऊ बयसायीकरन के पल्ला दौड़ म लोगन मन अंधिरियागे हे फेर ईतवारी के संसकार ह मालचु ल अईसे…

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भोरमदेव – छत्तीसगढ़ के खजुराहो

हमर देश में छत्तीसगढ़ के अलग पहिचान हे। इंहा के संस्कृति, रिती रिवाज, भाखा बोली, मंदिर देवाला, तीरथ धाम, नदियां नरवा, जंगल पहाड़ सबके अलगे पहिचान हे। हमर छत्तीसगढ़ में कोनों चीज के कमी नइहे। फेर एकर सही उपयोग करे के जरुरत हे। इंहा के परयटन स्थल मन ल विकसित करे के जरुरत हे। बहुत अकन परयटन स्थल के विकास अभी भी नइ होहे। जब तक सरकार ह एकर ऊपर धियान नइ दिही तब तक एकर विकास नइ हो सके। कबीरधाम जिला में एक जगा हे भोरमदेव एला छत्तीसगढ़ के…

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