[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये सीख ला सुनव”] सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मंजूरपहरी हर मंजूर के गांव आय रे। फेर हमन नई मानन। वि.खं.-बिल्हा, जिला-बिलासपुर के गांव सीपत ले लगभग 18 कि.मी. के दूरी में एक ठन गांव हवै मंजूरपहरी । ए गांव के नाम मंजूरपहरी कइसे परिस ए बारे मा जानकारी मिलस ए गांव के सरपंच श्री मती रमौतिन बाई पति श्री राम नेताम से। ए गांव मा जइसे प्रवेश होथे हमन ला एक सुघ्घर पहाड़ी मिलथे…
Read MoreMonth: June 2017
प्रकृति के पयलगी पखार लन
आवव, परकीति के पयलगी पखार लन। धरती ला चुकचुक ले सिंगार दन। परकीति के पयलगी पखार लन।। धरती ला चुकचुक ले सिंगार दन।।। रुख-राई फूल-फल देथे, सुख-सांति सकल सहेजे। सरी संसार सवारथ के,, परमारथ असल देथे।। धरती के दुलरवा ला दुलार लन। जीयत जागत जतन जोहार लन।। परकीति के पयलगी पखार लन।।1 रुख-राई संग संगवारी, जग बर बङ उपकारी। अन-जल के भंडार भरै, बसंदर के बने अटारी।। मत कभु टँगिया,आरी,कटार बन। घर कुरिया ल कखरो उजार झन।। धरती ल चुकचुक ले सिंगार दन।।2 रुख-राई ला देख बादर, बरसथे उछला आगर।…
Read Moreमोला करजा नई सुहावय
सार गोठ (मोर अंतस के सवाल ये हरे कि करजा नई सुहावय त जनम ले दाई-ददा हमर बर जे करे रथे वो करजा मुड म लदाय रथे तेला काबर नई छुटय? अऊ सिरतोन कबे त करजा करे के कोनो ल साद नई लागय फेर अपन लइका बर, परवार बर, जिनगी के बिपत बेरा म करजा घलो करे ल परथे।) एक झन नौकरिहा संगवारी हा, अपन दाई ल मोटर म चघइस। ओ सियानिन हा चिरहा झोला ल मोटराये रहय अऊ मोटर म चघेच के बेरा ओकर पोलखर हा झोला ले गिर…
Read Moreअसाढ़ के आसरा हे
सूरुज नरायन ला जेठ मा जेवानी चढ़थे। जेठ मा जेवानी ला पाके जँउहर तपथे सूरुज नरायन हा। ताते-तात उछरथे, कोनो ला नइ घेपय ठाढ़े तपथे। रुख-राई के जम्मों पाना-डारा हा लेसा जाथे, चिरई-चिरगुन का मनखे के चेत हरा जाथे। धरती के जम्मों जीव-परानी मन अगास डाहर ला देखत रथें टुकुर-टुकुर अउ सूरज हा मनगरजी मा मनेमन हाँसत रथे मुचुर-मुचुर। सूरुज के आगी ले तन-मन मा भारी परे रथे फोरा,आस लगाय सब करत हें असाढ़ के अगोरा। गरमी के थपरा परे ले सबो के तन मा अमा जाथे अलाली अउ असाढ़…
Read Moreघर तीर के रुखराई जानव दवई : बेरा के गोठ
हमर पुरखा मन आदिकाल ले रुख राई के तीर मा रहत अऊ जिनगी पहात आवत हे। मनखे ह जनमेच ले जंगलीच आय। जंगल मा कुंदरा मा रहे।रुख राई बिन ओखर जिनगी नई कटय। हजारो बच्छर बीत गे , मनखे अपन मति ल बऊर के जंगल ले निकल के सहर बना डरिस फेर रुख राई के मोहो ल नई तियाग सकिन।घर मा फुलवारी बनाके जीयत हे। आज गांव अऊ सहर घर ,अरोस परोस म गजबेच रुख राई के दरसन परसन होथे।बर, पीपर, आमा, अमली, लीम, लिमऊ, जाम ( बीही), चिरईजाम (…
Read Moreकिसानी के दिन आगे
नांगर अऊ तुतारी के जुड़ा अऊ पंचारी के रापा गैंती कुदारी के मनटोरा मोटियारी के मनबोध ला सुरता आगे किसानी के दिन आगे । कबरा लाल धौंरा के खुमरी अऊ कमरा के आनी बानी रंग मोरा के बांटी अऊ भौंरा के भाग फेर जागगे किसानी के दिन आगे । बादर अऊ पानी के खपरा खदर छानी के डोकरा डोकरी कहिनी के लिमऊ आमा चटनी के दिन फेर लकठियागे किसानी के दिन आगे । धान खेती करइया के जामुन लीम छईंया के गीत ददरिया गवइया के गोंदली बासी अमरईया के सबके…
Read Moreकन्या भोज (लघुकथा )
आज रमेश घर बरा,सोंहारी,खीर ,पुरी आनी बानी के जिनीस बनत राहे । ओकर सुगंध ह महर महर घर भर अऊ बाहिर तक ममहावत राहे। रमेश के नान – नान लइका मन घूम घूम के खावत रिहिसे । कुरिया में बइठे रमेश के दाई ह देखत राहे, के बहू ह मोरो बर कब रोटी पीठा लाही ।भूख के मारे ओकर जी ह कलबलात राहे ।फेर बहू के आदत ल देखके बोल नइ सकत राहे ।बिचारी ह कलेचुप खटिया में बइठ के टुकुर – टुकुर देखत राहे । थोकिन बाद में पारा…
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