सुवा गीत : कही देबे संदेश

सुवा रे कही देबे दाई ल संदेश बेटी ल भेजही पढ़े बिदेश बिहाव के संसो ल कबे अभी तै मेट ! सुवा रे…..! बड़े भईया ल पढ़ाये छोटे भईया ल पढ़ाये पर के धन कही कहीके हम ल रंधना रंधवाये, बनके साहेबवा करत हे कोन देखरेख !सुवा रे…..! पढ़ के बेटी दू आखर हो जाही समझदार अपन महिनत ले सेवा बजाही लागा न काकरो उधार, बेटी बेटा म झन कर अब तै भेद! सुवा रे……! भुख भगाय खेती ले घर सुघराय बेटी ले बनथे बिगड़थे हमर भविश दाई ददा के…

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छोटे देवारी के खुशी भारी : देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर

हमर पुरखा मन के बनाय परमपरा हा आज तिहार बहार के नाँव धरागे हे। अइसन तीज-तिहार हा हमर जिनगी मा खुशी के रिंगी-चिंगी रंग ला भरथे। तिहार-बहार समाज मा एकता अउ भाईचारा के गुरतुर चासनी घोरथे।अइसन गुरतुर चसनी ले बंधाय एकता हा कभू छरियाय नहीं। हमर गवँई गाँव मा तिहार के अलगेच रंग-ढ़ंग हा दिखथे। सिधवा मनखे के जिनगी जीये के रंग-ढ़ंग घलाव सिधवा सोज बाय रथे। ए बात के प्रमान हमर गवँई-गाँव मा सोज्झे दिख जाथे। सुमता के एकठन अइसनहे तिहार हरय “जेठउनी तिहार” जउन हा धार्मिक अउ समाजिक…

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देवउठनी एकादशी अऊ तुलसी बिहाव

मास में कातिक मास, देवता में भगवान विष्णु अऊ तीरथ में नारायण तीरथ बद्रीकाश्रम ये तीनो ल श्रेष्ठ माने गे हे। वेद पुरान में बताय गेहे की कातिक मास के समान कोनो मास नइ हे। ए मास ह धर्म ,अर्थ, काम अऊ मोक्ष के देने वाला हरे। ए मास में इसनान, दान अऊ तुलसी के पूजा करें से बहुत ही पुन्य के पराप्ती होथे। कातिक मास में दीपदान करें से सब पाप ह दूर हो जाथें, अइसे बताय गेहे। असाढ़ महिना के अंजोरी पाख के एकादशी के दिन से देवता…

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पोल खोल

पोल खोल देबो के नारा जगा जगा बुलंद रहय फेर पोल खुलत नी रहय। गांव के निचट अड़हा मनखे मंगलू अऊ बुधारू आपस म गोठियावत रहय। मंगलू किथे – काये पोल आये जी, जेला रोज रोज, फकत खोल देबो, खोल देबो कहिथे भर बिया मन, फेर खोलय निही। रोज अपन झोला धर के पिछू पिछू किंजरथंव …..। बुधारू हाँसिस अऊ किहीस – पोल काये तेला तो महू नी जानव यार, फेर तोर हमर लइक पोल म कहींच निये अइसन सुने हंव। मंगलू किथे – तैं कुछूच नी जानस यार …….,…

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छत्तीसगढ़ी गोठियाय बर लजावत हे

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया चारो कोति शोर सुनावत हे फेर इंहा के मनखे छत्तीसगढ़ी,गोठियाय बर लजावत हे जब ले हमर राज बनिस,छत्तीसगढ़ के मान बाढ़िस खेत कोठार गांव गली,बनिहार किसान के सनमान बाढ़िस जेकर ले पहिचान मिलिस उही ल दुरियावत हे फेर इंहा….., सुजान सियान हमर पुरखा के,संवारिन करके राखा गा जब ले धरे चेतलग काया,पाये गुरतुर महतारी भाखा गा अड़हा राहत ले माई समझे,पढ़लिख मोसी बनावत हे फेर इंहा……, शिक्छा के अंजोर बगरगे,गांव गांव एबीसीडीईएफजी इही म पढ़ना अउ लिखना,लहुटत जीभ कइसे देख जी सुनके एला हमर ‘राजभाषा’ मनेमन म…

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छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य : सेल्फी कथा

जब ले हमर देस म मुबाईल सुरू होय हे तब ले मनखे उही म रमे हे।पहिली जमाना म मुबाईल ल सिरिफ गोठ बात बर बउरे।फेर धीरे धीरे एमा आनी बानी के जिनिस हमावत गिस।फोटू खींचे बर केमरा,बेरा देखे बर घडी,गाना सुने बर बाजा,अउ ते अउ फिलीम देखे के बेवस्था घलो इही म होगे।एकर आय के बाद कतकोन मनखे मोटर गाडी म झपा के मरगे।आधा बीता के मुबाईल ह छे फिट के मनखे ल नचावत हे।पहिली के मुबाईल ह गरीबहा टाईप रिहिस बटन वाला । फेर जब ले मनखे ह कोढिया…

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एक दीया अउ जलावव

एक दीया अउ जलावव, कखरो अंधियारी कुंदरा ह, अंजोर होजय। सुवारथ के गंवईं मा, मया मा लिपे गली खोर होजय।। एक दीया वीर सिपाही, भारत के रखवार बर। देश के खातिर प्रान गवईंया, अउ ऊंखर परिवार बर ।। देशभक्ति के भाव मा, मनखे मनखे सराबोर हो जय… एक दीया अजादी देवईया, भारत के भाग्य बिधाता बर। एक दीया ओ जम्मो मनखे, जौन ,जियत हे भारत माता बर ।। वन्दे-मातरम् ह, मया म बांधे ,डोर होजय…. एक दीया मोर गाँव किसान बर, जेन करजा ,बाढ़ही म लदाए हे। जांगर तोड़के ,लांग्हन…

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छत्तीसगढ़ पुरातत्‍व और संस्‍कृति

मानव इतिहास के समकालीन संस्कृति के अध्ययन में पुरातत्व का अहम महत्व है। हालांकि इसमें केवल निर्जीव निशानियां ही प्राप्त होती हैं, किन्तु इससे उस काल की संस्कृति को समझा जा सकता है। सिरपुर और अन्य उत्खनन ने यह सिद्ध किया कि, उस समय सभ्यता और संस्कृति के स्तर पर यह क्षेत्र काफी उन्नत था। छत्तीसगढ़ के समृद्ध पुरावैभव के आधार पर, पुरातत्विक युग की संस्कृति को विश्लेषित कर उस काल के समाज को वर्तमान समाज से जोड़ने पर कुछ ठोस काम होना चाहिए। प्रख्यात पुरातत्व विशेषज्ञ पद्मश्री अरुण कुमार…

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बोनस के फर

जबले बोनस नाव के पेड़ पिरथी म जनम धरे हे तबले, इंहा के मनखे मन, उहीच पेंड़ ला भगवान कस सपनाथे घेरी बेरी…….। तीन बछर बीतगे रहय, बोनस सपना में तो आवय, फेर सवांगे नी आवय। उदुप ले एक दिन बोनस के पेंड़ हा, एक झिन ला सपना म, गांव में अमरे के घोसना कर दीस। गांव भर म, ओकर आये के, हल्ला होगे। ओकर आये के भरोसा म, गांव म बइसका सकलागे। बोनस के सवागत म, काये काये तियारी करना हे तेकर रूप रेखा, बने लागीस। बिपछ के मन…

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देवारी तिहार आवत हे

हरियर हरियर लुगरा पहिरके दाई बहिनी मन नाचत हे आरा पारा खोर गली मोहल्ला सुवा गीत ल गावत हे सुग्हर संदेश के नेवता देवत देवारी तिहार आवत हे घर अंगना कोठा कुरिया पेरौवसी माटी म छबावत हे जाला जक्कड़ खोंदरा कुरिया निसैईनी चड़के झटावत हे लाली सफेद पिंवरी छुही घर अंगना ल लिपावत हे कोल्लर कोल्लर माटी लाके गईरी माटी ल मतावत हे ओदरे खोदरे भाड़ी ल चिक्कन चिक्कन चिकनावत हे घर मुहाटी के तुलसी चउंरा मारबल पथरा म बनावत हे खिड़की फुल्ली कपाट चौखट रंग रंगके कलर म पोतावत…

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