देवारी के दीया

चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो । अंधियारी ल दूर भगाके, जीवन में अंजोर लाबो। कतको भटकत अंधियार में, वोला रसता देखाबो भूखन पियासे हाबे वोला, रोटी हम खवाबो । मत राहे कोनो अढ़हा, सबला हम पढ़ाबों । चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो। छोड़ो रंग बिरंगी झालर, माटी के दीया जलाबो। भूख मरे मत कोनो भाई, सबला रोजगार देवाबो। लड़ई झगरा छोड़के संगी, मिलबांट के खाबो। चल संगी देवारी में,जुर मिल दीया जलाबो।। घर दुवार ल लीप पोत के, गली खोर ल बहारबो। नइ होवन…

Read More

दीवाली तिहार

दीवाली के तिहार हे करा जी साफ सफाई सुंदर हे तन मन हमर मिलके खुषी मनाई लइका खेलत हे घर मा दीया आवा जलाई रंग बिरंगा रंगोली ला मिलके आज बनाई लक्ष्मी जी के पूजा करा दुख के होही बिदाई दुब फुल ला अर्पण करके जम्मो झन खावा मिठाई सुंदर सुंदर कपडा पहिरा थाली आवा सजाई भक्ति भाव ले रोषन करा दुवारी अउ अंगनाई लइका मन राकेट छोडिन छोडिन आज लडाई महतारी के कोरा मा दुख ला जी बिसराई कोमल यादव मदनपुर खरसिया 9977562133 [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला…

Read More

भइंसा चोरी के सीबीआई जांच

जइसे लइका ल सेंके बर गोरसी के आंच जरूरी होथे, जइसे दरपन बनाय बर कांच जरूरी होथे, वइसने चोरी-डकइती, गडबड-घोटाला के खुलासा करे बर जांच जरूरी होथे। जांच अइसन-वइसन घलो नई, सिद्धा सीबीआई जांच! हमर बबा। पहरो म अइसन जांच नई होत रिहिस। एक दिन के बात हरय। हमन चउपाल म बइठ के तिरी-पासा खेलत रेहेन। सरपंच घला बइठे रिहिस। ओतकी बेरा टरकू कका ह सइकिल म चघके अपन खेत कोती गिस। घंटा भर म जब वोहा अइस त रेंगत-रेंगत। मेहा पूछ परेंव- सइकिल ल कते कर छोड देस कका,…

Read More

अपन-अपन समझ

जब मेहा अपन चार बछर के बेटा रामसरूप ला बने तउल के देखथंव, त जान परथे के वोमे भोलापन अउ सुनदरई नई रहि गे, जउन दू बछर पहिली रिहिस हे। वो अइसे लागथे जाना-माना अपने गुस्सेलहा बानी म लाल आंखी मोला देखावत हे। वोकर ये हालत ला देख के मोर करेजा कांप जथे अउ मोला अपन वो बचन के सुरता आ जथे जउन दू बछर पहिली मरन सैय्या म परे वोकर महतारी ल दे रेहेंव। मनखे अतेक सुवारथी अउ अपन इंद्री के गुलाम हे के अपन फरज ला कोनो बखत…

Read More

तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। घर अँगना जम्मों लिपागे, नवा अंगरक्खा घलो सिलागे। लेवागे फटक्का अउ मिठाई। तोरे अगोरा हे लछमी दाई।1 अंधियारी मा होवय अंजोर, दिया बारँव मैंहा ओरी ओर। हूम धूप अउ आरती गा के, पँईया परत हँव मैंहा तोर। बाँटव बताशा खुरहोरी लाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।2 तोर बिना जग अंधियार, संग तैं ता रतिहा उजियार। तोर किरपा हा होथे जब, अन धन के बाढ़य भंडार। सरी सुख के तैं सदा सहाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।3 कलजुग के तहीं महरानी,…

Read More

सुरता सुशील यदु

सहज, सरल, मिलनसार अउ मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी सुशील यदु जी के पिता के नाम स्व.खोरबाहरा राम यदु रहिस । एम.एम. (हिन्दी साहित्य) तक शिक्षा प्राप्त यदु जी प्राइमरी स्कूल म हेड मास्टर के पद रहिन । छत्तीसगढ राज बने के पहिली ले छत्तीसगढी भाखा ल स्थापित करे के जडन आंदोलन चलिस ओमा सुशील यदु के नाम अग्रिम पंक्ति म गिने जाथे । छत्तीसगढी भाखा अउ साहित्य के उत्थान खातिर हर बछर छ.ग. म बडे-बडे आयोजन करना जेमा प्रदेश भर के 400-500 साहित्यकार ल सकेलना, भोजन पानी के व्यवस्था करना…

Read More

मोर गांव के बजार

आबे वो गोई मोर गांव के बजार, घुमाहुं तोला मैंय हटरी बजार! संगे जाबो मोर गांव के बजार, पहिराहुं तोला वो नवलखिया के हार! खवाहुं तोला मैंय जलेबी मिठई, सुरता राखबे मोर रुद्रीनवागांव के बजार! अउ खवाहुं चना मुर्रा लाई, हफ्ता दिन बुधवार भराथे मोर गांव के बजार! कान बर खिंनवा,हाथ बर चुरी! नाक बर नथनी,गोंड़ बर पैईरी! किसिम किसिम आनी बानी के, बारह हाथ के लुगरा लेहुं! मांथ के टिकली सुग्हर फबहि चिंन्हारी मुंदरी तोला देहुं आबे वो गोई मोर गांव के बजार, घुमाहुं तोला मैंय हटरी बजार! सुरता…

Read More

छत्तीसगढ़िया मन जागव जी

जागव जी अब उठव भईया, नो है एहा सुते के बेरा । बाहिर के इंहा चोर घुमत हे, लुट लिही खेतखार अउ डेरा ।। बाहिर ले आके भोकवा मन ह, छत्तीसगढ़ मा हुसिंयार होगे हमन होगेन लीम के काड़ी, उही मन ह खुसियार होगे।। चुहुकत हे हमर धरती मईया ल, सानत हे हमर ,परम्परा अउ बोली। आज रपोटे हे धन खजाना, जेन काली धरय,मांगे के झोली ।। धान बोंवइया भूख मरत हन, इंखर रोज तिहार होगे। परदेश के ,चोरहा मन, इंहा के सरकार होगे।। हमर भाखा संस्कृति ह उंखर बर…

Read More

कारतिक महीना के महिमा

हमर हिन्दू पंचांग के हिसाब ले बच्छर भर के आँठवाँ महीना कारतिक महीना हा हरय जउन ला जबर पबरित महीना माने जाथे। कारतिक महीना के महत्तम बेद पुरान मन मा घलो हावय। हमर भारतीय संसकिरति मा समे के गिनती चंदा के चाल ले बङ पराचीन परमपरा के रूप मा भारत मा चले आवत हे। बाहिर परदेस मा समे के गिनती हा सुरुज नारायण के गती उपर चलथे। हमर पुरखा मन चन्दा ला हमर पिरिथवी के सबले लकठा एकठन अगास के पिन्ड जान के समे के गणना बर सबले बढिया साधन…

Read More

सरद पुन्नी के सार कथा

चार महीना चौमास के बीते ले सरद रितु के शुरुवात होय ला धर लेथे ता गुरतुर जाड़ हा तन मन ला मोहे ला धर लेथे। इही कुनकुनहा जाड़ मा सरद पुन्नी के वरत हा आथे। घर परवार जुरमिल के पुन्नी के रतिहा चंदा ले बरसे अमरित ला पाये खातिर रातभर एके जगा जुरिया जाथें। ए पुन्नी के वरत हा मन के सब्बो कामना ला पुरा करइया वरत हरय। सरद पुन्नी के गुन अउ महत्तम के कारन एखर अब्बड़ अकन नाँव घलाव हे। एला कोजागरी वरत, रास पूर्णिमा, कुमार वरत, अउ…

Read More