सोनाखान के आगी – लक्ष्मण मस्तुरिया

धरम धाम भारत भुइयां के मंझ म हे छत्तीसगढ राज जिहां के माटी सोनहा धनहा लोहा कोइला उगलै खान जिहां सिहावा के माथा ले निकले महानदी के धार पावन पैरी सिवनाथ तीर सहर पहर के मंगल हार जोंक नदी इन्द्रावती तक ले गढ़ छत्तीसगढ़ छाती कस उत्ती बर सरगुजा कटाकट दक्खिन बस्तर बागी कस पूरब ले सारंगढ गरजै राजनांदगांव पच्छिम ले एक न एक दिन रार मचाहीं बेटा मोर सोन पंखिन के जिहां भिलाई कोरबा ठाढे पथरा सिंरमिट भरे खदान तांबा पीतल टीन कांछ के इही माटी म थाथी खान…

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सुरता गजानंद परसाद देवांगन

9 दिसमबर पुन्यतिथि धरती म जनम धरना, जीना खाना अऊ एक दिन इंहा ले चले जाना, अइसन जीवन कतको मनखे जीथे। फेर, बहुतेच कमती मनखे अइसे होथे, जेन दूसर बर जीथे अऊ अपन जिनगी के एकेक समे ला परमारथ म लगाथे। समाज अऊ देस हित बर समरपित होके सुख अऊ सनतोस के अनुभौ करथे। अइसने समाज, सनसकीरीति, साहित्य अऊ धरम बर समरपित बिभूति रहिस सिरी गजानंद परसाद देवांगन जी हा। जेन ला कभु रमायन परबचन, कभु कबिता पाठ त कभु सांसकरीतिक मंच के सनचालन करत देखंय लोगन हा। अभु घला…

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