छत्तीसगढ़ मा सनातन धरम के मनाइया माईलोगिन मन मांग भरथे। बिहाव होय दीदी, बहिनी, महतारी मन के चिन्हा आय मांग के सेंदूर। सेंदूर लाल रंग के होथे।कहे जाथे एला हरदी, चूना अउ मरकरी , गुलाब जल मिलाके बनाय जाथे। एक कमीला नांव के पेड़ के फर ले घलाव सेंदूर निकलथे। इही ल बिहाव के पाछू अपन मूंड़ मा बीच मांग मा ओ माईलोगिन मन भरथे, जेकर गोसाइया जीयत रथे।मानता हवय कि अपन गोसइया के उमर बढ़ाय बर एला करे जाथे। सीता माता बनवास के बखत कलीमा पेड़ के फर के…
Read MoreYear: 2017
पथरा के मोल
पथरा मन, जम्मो देस ले, उदुप ले नंदाये बर धर लीस। घर बनाये बर पथरा खोजत, बड़ हलाकान होवत रेहेंव। तभे एक ठिन नानुक पथरा म, हपट पारेंव। पथरा ला पूछेंव – सबो पथरा मन कती करा लुकागे हे जी ? में देखेंव – नानुक पथरा, उत्ता धुर्रा उनडत रहय। मे संगे संग दऊंड़े लागेंव। झिन धर लेवय कहिके, उहू पथरा, अपन उनडे के चाल, बढ़हा दीस। में हफरत हफरत हाथ जोरत पूछेंव – थोकिन अगोर तो, कतिंहा दऊंड़त हस लकर धकर। ओ भागते भागत किहीस – मोला अपन हाथ…
Read Moreछत्तीसगढ़ी गज़ल
बनना हे त जग म मयारू बन के देख पढ़ना हे त मया के दू आखर पढ़ के देख! अमरीत पीये कस लागही ये जिनगी ह काकरो मया म एक घांव तै मर के देख! बड़ पावन निरमल अउ गहरी ये दाहरा नइ पतियास त एक घांव उतर के देख पूस के ठुनठुनी होय चाहे जेठ के भोंभरा हरियरेच पाबे रंग एकर आंखी म भर के देख! मन म मया त खदर छानी लागे राजमहल बिन एकर बिरथा कतको तै समहर के देख! ए हिरदे के मंदिर म बसे जेन…
Read Moreस्वक्छता अभियान
चल मोर संगी चल मोर साथी चलवं स्वक्छता अभियान चलाबो गांव देहात अउ नगर सहर ल निरमल सुघ्घर गांव बनाबो धरके निकलबो बाहरी खरेरा खोर गली ल बाहरत जाबो ओंटा-कोंटा नाली साफ करत जुरमिलके नवा बिहान लाबो साफ सुथरा रखबो गंवई-गांव ल घुरवा गड्डा खनके पटवाबो जब्बर सुघ्घर मोर गंवई-गांव घर के कचरा बाहिर निकलवाबो कचरा नई करन अलिन गलिन गांव सहर ल सपथ देवाबो किरिया खाबो सुघ्घर राखे के जन जागरुकता गांव सहर फैलाबो!! ✍मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम”माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreराज्य स्तरीय छंदमय कवि गोष्ठी संपन्न
छन्द के छ परिवार के दीवाली मिलन अउ राज्य स्तरीय कवि गोष्ठी के सफल आयोजन दिनांक 12/11/17 के वि.खं. सिमगा के ग्राम हदबंद मा अतिथि साहित्यकार छन्द विद् श्री अरुण कुमार निगम दुर्ग, विदूषी श्रीमती शंकुन्तला शर्मा भिलाई, श्रीमती सपना निगम, श्री सूर्यकांत गुप्ता दुर्ग के गरिमामयी उपस्थिति मा सम्पन्न होइस । कार्यक्रम मा गाँव के सरपंच श्रीमती सरिता रामसुधार जाँगड़े, श्री संतोषधर दीवान मन अतिथि के रूप मा उपस्थित रहिन। कार्यक्रम के शुरुआत अतिथि मन द्वारा मां सरस्वती के छाया चित्र मा पूजा अर्चना अउ दीप प्रज्वलन ले होइस।…
Read Moreअगहन बिरसपति के पूजा
हमर हिन्दू पंचांग में अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक के बाद अगहन मास में गुरुवार के दिन अगहन बिरस्पति के पूजा करे जाथे । भगवान बिरस्पति देव के पूजा करे से लछमी माता ह संगे संग घर में आथे। वइसे भी भगवान बिरस्पति ल धन अऊ बुद्धि के देवता माने गे हे । एकर पूजा करे से लछमी , विदया, संतान अऊ मनवांछित फल के प्राप्ति होथे । परिवार में सुख शांति बने रहिथे । नोनी बाबू के जल्दी बिहाव तको लग जाथे । पूजा के विधान –…
Read Moreबालदिवस : मया करइया कका नेहरु
हमर देस मा गजबेच अकन महापुरुष मन जनम धरीन ।जौन देस धरम बर अपन तन ल निछावर करीन।अइसने एक महापुरुष हमर देस के पहिली परधानमंतरी पं. जवाहरलाल नेहरु हरय।जौन लइका मन ल गजबेच मया दुलार करय।एकरे सेती लइकामन ओला नेहरु कका (चाचा नेहरु) काहय। लइका मन संग मया के किस्सा उंखर लिखे किताब मा घलाव मिलथे।एक बेरा के गोठ आय जब नेहरु जी केरल के एक गांव कार्यकरम मा जात रीहिस तब सड़क अउ तीर तखार के घर के भांड़ी मा खड़े होके मनखे, लाइका, सियान, चेलिक, माईलोगिन मन परधानमंतरी…
Read Moreमितानी के बिसरत संस्कृति
हर बच्छर राखी तिहार के आगू नीते पाछू नवा पीढी के नान्हे-नान्हे लइका अउ सग्यान नोनी-बाबू मन ल एक-दूसर के हांथ म आनी-बानी रंग-बिरंगी सुंतरी बांधत देखथंव त अचरित लागथे।एला ओमन फरेंडशीप बेल्ट किथे।अउ ये बेल्ट बांधे के तिहार ल फरेंडशीप-डे।माने संगी जंहुरिया ल बेल्ट बांधके अपन संगी होय के दोसदारी जताय के परब।पहिली ये बिदेसी तिहार ल बडे-बडे सहर के नोनी-बाबू मन मनावय।फेर धीरे-धीरे येहा हमर छत्तीसगढ़ के गंवई म घलो संचरत हे।उही भुइंया म जिंहा हर परब म मितानी बधे के परंपरा अउ ये बंधना ल जिंयत भर…
Read Moreसुरता चंदैनी गोंदा के
दाऊ रामचंद्र देशमुख ल छत्तीसगढी लोकमंच के पितामह केहे जाथे।इंकर जनम 25 अक्टूबर 1916 म पिनकापार (राजनांदगांव) म होय रिहिसे।फेर एमन अपन करमभूमि दुरुग के बघेरा गांव ल बनाइन।ननपन ले दाऊ जी ल नाचा गम्मत म रुचि रिहिस।सन् 1950 में दाऊ जी ह “छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल ” के स्थापना करिन।एकर सिरजन बर उन ल अथक मिहनत करे बर परिस।जेन समें म आय-जाय के बरोबर साधन नी रिहिसे वो समे दाऊ जी ह बइलागाडी म गांव-गांव म घूमिन अउ गुनी कलाकार मन ल सकेलिन।छत्तीसगढ़ में प्रचलित नाचा गम्मत के…
Read Moreछत्तीसगढ़ी गज़ल
लईका ले लईका के बाप होगे करिया ले सादा चुंदी अपनेआप होगे! बिन मंतर भोकवा कस देखत हे दाई नेवरा त गोसईन सांप होगे! कुड़ेरा कस मुहू बनाय बहू खटिया धरे बेटा मनात बिहनिया ले रात होगे! घर बार नही जमीन जहेजाद नही का बताबे इंहा तो करेजा के नाप होगे! अपने घर म परदेशिया बनगे ‘लकवास’ दू मीठ बोली के आसरा घलो पाप होगे! बूंद बूंद लहू गोरस ले सिरजाए जेन काया लाज बचईया कइसे आज चुपचाप होगे? ललित नागेश बहेराभांठा(छुरा) ४९३९९६ [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
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