तोला लाज कइसे नइ लागे ?

धनी घर के ऐ चातर करइया, खेत बेंचके ऐ नौकर बनइया तोर किसानी गंवावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? सरकारी चांऊर म मेछरावथस, चेपटी पी के पटियावथस तोर जुवानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? करिया पूंजी के घोड़ा दंउड़थे, देसराज म मुनादी होगे खेत-खेत म पलांट बइठावथे, पूंजीपति बर मांदी होगे अन्न उपजइया किसान बपरा ह, देख तो कचरा-कांदी होगे पुरखऊती बिगाड़ के गुलामी करइया खेत बिगाड़ के सियानी करइया तोर सियानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? धान कटोरा…

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बड़का तिहार

परिया परगे धनहा भुईयां, दुख के बादर नई भागय रे भैय्या I काय तिहार अऊ काला जोहर, पेरावत हाबन सालों साल I ऐसो के किसानी जीव के काल, परगे संगी जब्बर अकाल I नांगर ओलहा के टूटगे फेर, काय तिहार अऊ काला जोहर I का संझा का बिहनिया, ताकते रहिथन मंझनिया, सुन ले गोठ ग सियनहा I नेता बनके ससुरा सियार होगे न, ऐकरे मनके जुरयई बड़का तिहार होगे न I तीजा पोरा अऊ दसेरा देवारी, जुरियावन सबो खैईरका दुवारी खेलन होरी मा रंग गुलाबी I अईसन कतिहा बोनस तिहार…

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मन के बिचार

‘स्वच्छ भारत मिशन’ के मनमाने सफलता ल देख के मोर मन म एक ठिन सपना आत हे ,हमर सरकार ल अवईया नवा बछर ले ‘मंद छोड़ो अभियान’ शुरू कर देना चाही।उदघाटन घलो उंकरे ले होय त अउ बढ़िया। कम से कम यहू तो पता चलही कोन कोन सियान मन मंद मतवारी करत रिहीन। फेर का करबे सपना त सपना आय रे भई! पाछु तीन चार बछर ले देखत आत रेहेन गांव गांव म रोजिना छापा मरई ,कोचिया बिल्कुलेच नइ होना।दू बोतल तीन बोतल एकाध गिलास देंवता धामी म तरपे बर…

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लुए टोरे के दिन आगे

पियंर पियंर डोली खार धान बाली लहलहावत हे लुए टोरे के दिन आगे मांथ ल नवावत हे रापा धरके कांदी छोले बियारा ल चतरावत हे जुड़ा ड़ाढ़ी सुमेला बंडी बईलागाड़ी ल सम्हारावत हे पेरा पुरा के पैरा डोरी बर बरके बनावत हे धान लुए बर हंसिया,बेठ लोहार कर पजवावत हे पात धरके चापे चाप करपा ल मढ़ावत हे थके मांदे निहरे निहरे कनिहा ल सोजियावत हे पेरा पुरा के पैरा डोरी बीड़ा बीड़ा बांधत हे मेड़ म बईठके बीड़ी पियत सुसती धपकी मारत हे डबल टिबल बोझा बिड़ा सुर मुड़ी…

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छत्तीसगढ़ी गीत ‘हाथी हाथी’

अभी हमर कोति जंगलिया हाथी बनेच दंदोरे हे, धान चंउर ल बनेच रउंद दारे हे, उही दुख ल गाय हंव। सरकार ह सीखे पढ़े (परसिक्छत) हाथी ल दक्छिन भारत ले लाने बर लाखों खरचा करत हन कहिथे, फेर का काम के? ‘पहुना परदेशिया’ उही हाथी बर लिखे हंव! रंग महल राज्योत्सव तनी इशारा हे! हाथी हाथी हाथी बज़े बड़े अउ नानकुन हाथी झिंकय पुदगय टोरे ठठाये आगु म जेला पातिस आए जंगलिया हाथी कहां ले आए अटकत भटकत ढेला पथरा हपटत हाथी ह फेर हाथीच आय बइठगे त घुचथे लटपट…

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जाड़ हा जनावत हे

बिहनिया ले डोकरा बबा कुडकुडावत हे चिरइ चिरगुन पंख फड़फडावत हे बडे बिहनिया झन उठीहा संगी अब के जाड़ हा जनावत हे दाई हा पनपुरवा बनावत हे ददा मंद मंद मुचमुचावत हे एति तेति झन गिंजरिहा संगी अब के जाड़ हा जनावत हे डोकरा बबा बिडी सुलगावत हे डोकरी सरसों तेल कडकावत हे आगी के तिर ले झन उठिया हा संगी अब के जाड़ हा जनावत हे भइसी बइठे पगुरावत हे राउत ला भइसी लतीयावत हे जाड मा झन नोहावा संगी अब के जाड़ जनावत हे भउजी लइका ला खिसियावत…

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कविता : बेरा हे गीत गाय के

शीत बरसावत आवय जड़काला सोनहा बाली म मोती कस माला पिंवर होगे पहिरे हरियर ओनहा जइसे दुलहिन बिहाव के ओढ़े दुशाला! खेत ह लागे भांय भांय सांय सांय घर जइसे बेटी के छोड़त अंगना उछाह उछलय कोठी कोठार म जस कुलकत मीत मया के जोरत बंधना! मने मन म हांसी एक मन आगर जुड़ावय शीतलावय थोकन जांगर दान पून करके चुकता पउनी पसारी नाचत बजावत सबझन मांदर! बेरा हे गीत ल गाय के संगी दुख पीरा ल भूलाय के संगी तन संग मन ल फरियर करके जुर मिल तिहार मनाय…

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कहानी : मंतर

अहिल्या हॅं दुये चार कौंरा भात ल खाये रिहिस होही। ओतकेच बेरा परमिला झरफिर झरफिर करत आइस । ओरवाती के खालहे म बैठ गे। अहिल्या देखते साथ समझ गे। परमिला हॅ आज फेर अपन बेटा -बहू संग दू -चार बात कहा -सुनी होके आवत हे। अहिल्या परमिला के नस -नस ल टमर डारे हवय। जब कभू परमिला बेरा -कुबेरा अहिल्या घर आथे। थोथना फूले रहिथे। मुड़ी -चुंदी बही बरन छरियाये रहिथे। मार गोटारन कस बड़े -बड़े आॅखी ल नटेरत ,परेतीन बानी अपने अपन बुड़ुर- बुडुर करे लागथे त अहिल्या फट्ट…

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धान – पान

हरियर हरियर खेतहार हे , धान ह लहलहावत हे । सुघ्घर बाली निकले हाबे, सब झन माथ नवावत हे । सोना जइसे सुघ्घर बाली , हवा में लहरावत हे । अपन मेहनत देखके सब झन , मने मन मुसकावत हे । मेहनत के फल मीठा होथे , ‘माटी’ गाना गावत हे । धान ल अब लुए खातिर , हंसीया धरके जावत हे । सबो संगवारी हांस हांस के, ठाड़ ददरिया गावत हे । करपा ल अब बांध बांध के , बियारा कोठार में लावत हे । महेन्द्र देवांगन “माटी” गोपीबंद…

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देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी 04 नवंबर

हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के प्रति आस्था ला देखाय के सोनहा मौका मिलथे। हमर हिन्दू धरम मा पुन्नी परब के बड़ महत्तम हावय। हर बच्छर मा पंदरा पुन्नी परब होथे। ए सबो मा कारतिक पुन्नी सबले सरेस्ठ अउ शुभ माने जाथे । कारतिक पुन्नी के दिन भगवान शंकर हा तिरपुरासुर नाँव के महाभयंकर राक्छस ला…

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