पुन्नी मेला घुम आतेन

कातिक पुन्नी के मेला भराय चल न मयारु घुमेल जातेन भोले बाबा बर असनान करबो फुलपान केला जल चढ़ातेन लगे रथयं अब्बड़ रेला दरस करके घलो आतेन फोड़तेन नरियर अउ भेला मनके मनौती मांग लेतेन खांसर बईला म बईठके होहो तोतो हांकत दउंड़ातेन संगी जहुंरिया संग जोराके महादेव घाट मेला जातेन लाई मुर्रा चना फुटेना खाय बर बिसाके लातेन लाली लाली पढ़र्री खुशियार चुहक चुहक के खातेन आनी बानी के सजे दुकान खोवा बतासा खरिदतेन मजा लेबोन ढ़ेलवा रहचुली संग बईठके झुला झुलतेन घुमत घामत मजा लेवत सांझ मुंदिहार घर…

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दूध के करजा चुकाले रे

छत्तीसगढ़ के धुर्रा माटी, माथ म तैंहा लगा ले रे। थाम के तिरंगा हाथ मा, वन्दे-मातरम् गा ले रे ।। बइरी दुस्सासन, ताकत हे आज, भारत माँ के अँँचरा ल। डंडा मार के दूर भगाबे, आतंकवाद के कचरा ल।। जा बेटा आज, दूध के करजा चुकाले रे…. राष्ट्र धरम ले बढ़के, अउ कोनो धरम ईमान नही। भारत भुंईयां ले बढ़के, अउ कोनो भगवान नही।। अपन, कतरा कतरा लहू के भुईंयाँ बर बहाले रे…. राम कुमार साहू सिल्हाटी, कबीरधाम मो.नं. 9977535388 [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]

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छत्तीसगढ़ी गज़ल

परकीति बर झिल्ली बिन ईलाज के अजार होगे जगा जगा पहाड़ कस कचरा के भरमार होगे! सरय नही गलय नही साग भाजी कस पचय नही खा के मरत गाय गरूवा एक नही हजार होगे! जोंक कस चपके एकर मोह मनखे के मन म घेरी बेरी बंद चालू करत एला सरकार होगे! लजाथे शरमाथे झोला धर के रेंगे बर जहुंरिया देखव हाट म हलाकान कइसे खरीददार होगे! का होही दूए तीन किसम ल बउरे बर छेंके ले इंहा तो संसार म पलासटिक कई परकार होगे! कोन जनी कब छोंड़ही पाछु ल…

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छत्तीसगढ़ी कविता : सीडी महिमा

गजब जिनिस ए सीडी संगी समाये इही म जम्मो संसार काकरो बर ये धन दोगानी काकरो बर ये हरे तलवार! देश बिदेश के परब संस्कीरति देखाय बताय सब ल उघार मनरंजन बर घर घर आए धरके बिडियो सनीमा अवतार! छोटे बड़े सब आपिस मन म कागज पत्तर के कम होगे काम जब ले बगरे ए बहुत गुणकारी जम्मो लेवत हे एकरेच नाम! हितकारी सरकारी ओजना ह चारो कोति इही म बगरथे जइसन काम के वइसन परणाम पानी म हागबे जरूर उफलथे! कहिथें तेलघानी राजधानी अउ कहिथें संस्कारधानी देखत सुनत हन…

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व्यंग्य : सरकारी तिहार

भारत देस तिहार अउ परब के देस हरे।अउ हमर छत्तीसगढ़ म तो बरमस्सी परब रथे।आनी-बानी के तिहार मनाथन हमन इंहा।पहिली सिरिफ पुरखा के बनाय तिहार मानत रेहेन फेर धीरलगहा संडे तिहार,चांउर तिहार,रुख-राई तिहार,भेलेनटाईन तिहार ,बिकास तिहार अउ एसो बोनस तिहार ल घलो मनाय बर सीखेन।अउ जेन मनखे संझौती बेरा पाव भर चढा लेथे ओकर बर तो रोज दिन तिहार हरे।अभीचे देवारी अउ बोनस तिहार संघरा मनाय हन ।वइसे देवारी तिहार तो हर बच्छर आथे फेर बोनस तिहार पांचसल्ला हरे।अभी तक देखब म आय हे कि ए तिहार ह चुनई तिहार…

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छत्तीसगढ़ महिमा

जनम लेवइय्या ये भुंइया म,सिरतो कथंव भागमानी ए। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी ए। जनम धरिन कौसिला दाई रामलला के महतारी। बालमिक रमायन रचिस महिमा ह जेकर बड भारी। राजा दसरथ रेंगत आइस,इंहे सिंगी रिषी बरदानी हे। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी हे। बारा बच्छर बनवास कठिन राम-लखन इंहे काटे हे। जूठा बोईर सबरी के खाके नवधा भगति ल बाँटे हे। अंग-अंग राम नाम गोदवइय्या,कतको इंहा रामनामी हे। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी हे। धरती ए ,बेटा ल आरा म चिरइय्या मोरध्वज अस दानी के। बबरूवाहन अर्जुन…

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व्यंग्य : बछरू के साध अउ गोल्लर के लात

चरवाहा मन के मुखिया ह अतराप भर के चरवाहा मन के अर्जेन्ट मीटिंग लेवत समझावत रहय कि ऊप्पर ले आदेष आय हे, अब कोन्हो भी बछरू ला डराना-धमकाना, छेकना-बरजना नइ हे बस अतके भर देखना हे, ओमन रोज बरदी म आथे कि नहीं? बरदी म आके बछरू मन कतको उतलइन करे फेर हमला राम नइ भजना हे। जउन बछरू बरदी म नइ आवत हे ओखर घर में जाके ओला ढिल के लाना हे अउ भुलियार के बरदी म रखना हे। ओमन चाहे तुमन ला लटारा मारे, चाहे हुमेले। तुमन ला…

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सबले बढ़िया – छत्तीसगढ़िया

नानकुन गांव धौराभाठा के गौंटिया के एके झिन बेटा – रमेसर , पढ़ लिख के साहेब बनगे रहय रइपुर म । जतका सुघ्घर दिखम म , ततकेच सुघ्घर आदत बेवहार म घला रहय ओखर सुआरी मंजू हा । दू झिन बाबू – मोनू अउ चीनू , डोकरी दई अउ बबा के बड़ सेवा करय । बड़े जिनीस घर कुरिया के रहवइया मनखे मन ल , नानुक सरकारी घर काला पोसाही , नावा रइपुर म घर ले डारिन अउ उंहीचे रेहे लागिन । कलोनी म , किसिम किसिम के , अलग…

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घर के फुलवारी

आनी बानी के फूल सजा के लिखथें मया पिरीत के परचा घर अंगना म फूले फुलवारी आओ कर लेथन एकर चरचा! छत्तीसगढ़ के ये आय चिन्हारी लाली पिंवरी चंदैनी गोंदा सादा सुहागा फूल दसमत ले सुघराये गजब घर घरोंदा! मुच मुच मुसकाये रिगबिग चिरैया मन लुभाये झुंझकुर गोप्फा पचरंगा लाली लाली लहराय मंदार पाठ पूजा बर होथे बड़ महंगा! हवा म मारे मंतर मोंगरा अपने अपन मन खिंचत जाय दिन भर के लरघाय जांगर रातरानी ले बिकट हरियाय! महर महर ममहाय दवना गोरी के बेनी म झुल झुल जाय देख…

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सुआ नाचेल जाबो

सुआ नाचेल जाबो संगी चलो सुआ नाचेल जाबो तरी हरी मोर सुअना नहा नरी नहा न गाबो संगी संगवारी जुर मिलके माटी के सुआ बनाबो माटी के सुआ शोभा बरनी हरियर रंग म रंगाबो सखी सहेली टोली बनाके चलो सुआ नाचेल जाबो तरी हरी मोर सुअना नहा नरी नहा न गाबो एके रंगके झम्मक लुगरा पहिरके नाचेल जाबो घर अंगना अउ पारा मोहल्ला सुआ नाच ल देखाबो सुआ नाचत गीत गा गाके ताली थपती ल बजाबो तरी हरी मोर सुअना नहा नरी नहा न गाबो!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया”…

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