तोर मोर मया के अँजोर संगी, निक लागय महकय अँगना खोर I नाचय पतंगा आरा पारा, चिरैया चहकय डारा डारा I बांधे कईसन तै बंधना के डोर, तोर बर मोर मया सजोर I तोर मोर मया के अँजोर संगी I2I पुन्नी के जईसे चमके चंदा, सावन मा बरसे रिमझिम बरखा I झर झर झरे मोती मया के, जुरागे पीरा करके सुरता I तोर मोर मया के अँजोर संगी I2I हिरदे के अईना मा बसे हस मोर, झुलत रहिथे चेहरा ह तोर I पाखी बांधे जईसे जीव उड़ाथे, तोर बिना कुछु…
Read MoreYear: 2017
फटाका नइ फुटे’ (दिल्ली के बिषय म)
नइ बाजे जी ,नी फूटे न आसो के बछर म दिल्ली शहर म ढम ढम फटाका नइ फूटे न देवारी तिहार म एनसीआर म अउ तिर तखार म फटाका नइ फूटे न नान्हे नान्हे नोनी बाबू जिद करही बिटाही सुरसुरी चकरी अउ अनार कहां ले बिसाहीं, दुसर जिनिस म भुलियारही लइका मन ल घर घर म आसो के बछर म एकर धुआं ले बाताबरण म कहिथे भारी होथे परदुषण तेकरे सेती बेचईया मन के जपत कर ले लयसन, ऊंकरो जीव होगे अभी अधर म आसो के….., देश चढ़त हे बिकास…
Read Moreपारंपरिक गीत देवारी आगे
देवारी आगे रे भइया, देवारी आगे ना।। घर घर दिया बरय मोर संगी, आंधियारी भगागे ना। देवारी आगे रे भइया —–।। कातिक अमावस के दिन भइया, देवारी ल मनाथे । सुमता के संदेश ले के, बारा महीना मा आथे।। गाँव शहर के गली खोर ह, जगमगागे न ।। देवारी आगे रे भइया —–।। घर दुवार ला लीप पोत के, आनी बानी के सजाथे गौरी गौरा के बिहाव करथें, सुवा ददरिया गाथे फुटथे फटाका दम दमादम, खुशी समागे ना।। देवारी आगे रे भइया —–।। ये धरती के कोरा मा, अन्नपूरना लहलहाथे।…
Read Moreचाइना माडल होवत देवारी तिहार
हमर छत्तीसगढ़ मा सबो देबी देवता मन ल मान गउन मिलथे।एकरे सेती नानम परकार के तिहार हमन बारो महिना मनाथन।सुवागत से लेके बिदई तक, खुसी, देबी देवता के जनम, बिहाव,खेती किसानी के तिहार मनाथन।अइसने पांच दिन के तिहार आय देवारी जौन ल दीपावली कहिथे।एला कातिक महिना मा मनातन।ये तिहार मा जनम देवइया , पालन पोसन करइया अउ मरइया यम के घलो पूजा करथन। धन तेरस के दिन ले सुरु तिहार मा धनवन्तरी भगवान जौन अमृत बरोबर दवई बुटई देय हावय ओकर पूजा करथन।दूसर दिन यम देवता के पूजा करे जाथे।…
Read Moreखेत के धान ह पाक गे
दुख के बादर ह भाग गे ,खेत के धान ह पाक गे देख किस्मत ह जाग गे ,जतनाए रखवारी राख के! भागिस कुंवार कातिक आगे हमागे जड़काला हरियर लुगरा पिंवर होगे,सोनहा सोनहा माला बने फूलिस बने फरिस बोये बिजहा मांग के दुख के बादर…….., जोरा करले तै पानी पसिया के जोर ले संगी साथी करमा ददरिया झड़त झड़त ,टेंवाले हंसिया दांती बिताए दिन चौमासा लई मुर्रा ल फांक के, दुख के बादर………, चरर चरर हंसिया चले ओरी ओरी करपा भरर भईया कोकड़ा भागे मुसवा जोरफा जोरफा बिला म कंसी गोंजाये…
Read Moreसुरता तोर आथे
पहाति बिहानिया हो चाहे, संझाति बेरा के बुड़त संझा हो! काम बुता म मन नी लागे, भईगे सुरता तोर आथे! का करवं तोर बिन, ऐको कन मन नई लागे! हर घड़ी बेरा कुबेरा, सुसक सुसक्के रोवाथे! बईहा पगला दीवाना होगेवं, मया म तोर मयारु! अब तो अईसे लागथे, तोर बिन कईसे रहि पांहु! जिनगी जिए जियत मरत ले, किरिया तोला खवाहुं! मया के जिनगी रहत ले, अपन सजनी तोला बनाहुं!! ✒मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम”माया” रुद्री नवागांव धमतरी मया तोला करथवं तोर नांव के गोंदना गोंदाऐवं मोर मया के चिंन्हारी बर…
Read Moreदेवारी तिहार संग स्वच्छता तिहार
आप सबो झन जानथव हमर छत्तीसगढ़ मा बारो महिना तिहार होथय।संगे संग उपास धास, नवरात्रि, गनेस आनी बानी के उछाह। फेर देवारी तिहार के महत्तम अलगेच हावय।कातिक महिना के तेरस ले सुरु होके पांच दिन तक मनाय जाथे।कहे जाथे देवारी तिहार ह भगवान राम के सीता संग अजोध्या लहुटे के खुसी मा मनाय जाथे। छत्तीसगढ़ कौसिल्या माता के मइके अउ रामजी के ममागांव आय।तेकर सेती इहां जादा उछाह ले मनाथे।अइसे देवारी तिहार पांच दिन के कहिथे।फेर एकर तियारी 15 दिन पहिली सुरु हो जाथे। कहे जाथे लछमी माता ह दरिद्र…
Read Moreदीया अउ जिनगी
अँजोर के चिन्हारी दीया हा हरय। बिन दीया के अंधियारी ला हराना बड़ मुसकुल बुता हे। अंधियारी हे ता दीया हे अउ दीया हे ता अँजोर हे। अंधियारी हा जब संझा के बेरा होथे ता अपन पसरा ला धीरे-धीरे पसराथे अउ जन मन ला अपन करिया रंग मा बोरथे। जभे अंधियारी हा जन मन ला मुसकुल मा डारथे तभे सबला दीया के सुरता आथे, दीया बारे के सुरता आथे। दीया हा जर-जर के अंधियारी ला खेदथे अउ अँजोर ला बगराथे। अँजोर बगरथे, बिहनिया होथे ता जम्मो झन मन हा दीया…
Read Moreसुरहुत्ती तिहार
हमर हिन्दू समाज मा तिहार बहार हा सबके जिनगी मा बड़ महत्तम रखथे। पुरखा के बनाय रीति रिवाज अउ परम्परा हा आज तिहार के रुप रंग मा हमर संग हावय। अइसने एकठन तिहार हे जौन हा हिन्दू समाज मा अब्बड़ महत्तम के हावय जेला धनतेरस के तिहार कहीथन। हमर हिन्दू मन के सबले बड़े तिहार देवारी के दू दिन पहिली मनाय जाथे धनतेरस के तिहार जेला सुरहुत्ती घलाव कहे जाथे। ए सुरहुत्ती तिहार जौन हा धनतेरस के नाँव ले जग प्रसिद्ध हे एखर पाछू अलग-अलग मानियता हे। देवता अउ दानव…
Read Moreमाटी के दीया जलावव : सुघ्घर देवारी मनावव
देवारी के नाम लेते साठ मन में एक परकार से खुसी अऊ उमंग छा जाथे। काबर देवारी तिहार खुसी मनाय के तिहार हरे। देवारी तिहार ल कातिक महीना के अमावस्या के दिन मनाय जाथे। फेर एकर तइयारी ह 15 दिन पहिली ले सुरु हो जाथे। दशहरा मनाथे ताहन देवारी के तइयारी करे लागथे। घर के साफ सफाई – देवारी के पहिली सब आदमी मन अपन अपन घर, दुकान बियारा, खलिहान के साफ सफाई में लग जाथे। घर ल सुघ्घर लीप पोत के चकाचक कर डारथे। बारो महिना में जो कबाड़…
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