गांव म हरेक पइत, दसरहा बखत, नाटक लील्ला खेलथे। ये दारी के लील्ला, इसकूल के लइका मन करही। लइका मन अपन गुरूजी ला पूछीन – काये लील्ला खेलबो गुरूजी ? गुरूजी बतइस – राम – रावन जुद्ध खेलबो बेटा। मेंहा रात भर बइठ के पाठ छांट डरे हौं। कोन कोन, काये काये पाठ करहू ? अपन अपन हिसाब ले देख लौ। हां, एक ठिन गोठ जरूर हे, जेन लइका जे पाठ करहू, वो पाठ ल अइसे निभाहू के, देखइया मन के मुहूं, आंखी अऊ कान, खुल्ला के खुल्ला रहि जाय।…
Read MoreYear: 2017
तन के साधु, मन के शैतान
ये दे नवरातरी हा आगे,मनखे मन के तन मा नौ दिन बर भक्ति के शक्ति समागे। बिन चप्पल के उखरा, दाढ़ी मेछा के बाढ़, मंद-मउँहा के तियाग, माथा ले नाक बंदन मा बुँकाय सिरिफ नौ दिन नारी के मान-गउन, कन्या के शोर-सरेखा। तहाँ ले सरी अतियाचार हा नारी देंह के शोभना बन जाथे। नारी देवी ले पाँव के पनही सिरिफ नौ दिन मा ही लहुट जाथे। सरी सरद्धा अउ भक्ति हा नौ दिन के बाद उतर जाथे। कन्या के नाँव सुनते साठ तरपौरी के गुस्सा हा तरवा मा चढ़त देरी…
Read Moreअसल रावन कोन
दशरहा मा रावन के पुलता ला जलाय के परंपरा हावय। ए हा बुराई मा अच्छाई के जीत के चिन्हारी हरय। समय के संग मा रावन के रंग-ढ़ंग हा घलाव बदलत जावत हे। हजारों ले लेके लाखों रुपिया के रावन ला सिरिफ परंपरा के नाँव मा घंटा भर मा फूँके के फेशन हा बाढ़त जावत हे। रावन के पुतला हा हर बच्छर बाढ़ते जावत हे। असल रावन हा घलाव समाज मा सुरसा के मुँह बरोबर सरलग बाढ़त हावय। जेती देखबे तेती रावन ले जादा जबरहा राक्छस फिरत हाँवय। रावन के अशोक…
Read Moreआज के रावन
पिये के एके बहाना टेंसन होगे। दारू अउ बियर ह फेसन होगे।। रावन जइसे पंडित ज्ञानी, अड़बड़ पैग लगावत हे। घर मा जाके मंदोदरी बिचारी ल, डंडा खूब ठठावत हे।। एक रुपया के चाउंर ह पेंशन होगे.. पिये के… नशा होइस त सीता दाई बर घलो नियत ह खराब हो जथे। रिस्ता नता सबले बड़े, मउहा के शराब हो जथे।। नशा मा धुर्रा ह बेसन होगे… पिये के….. दारू बर खेतखार बेचागे, अउ लोटा गिलास बटलोही। मंदोदरी के चिरहा लुगरा, अउ अक्षय ह बासी बर रोही।। मुक्ति बर फांसी डोरी…
Read Moreतोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो
असीस देबे वो असीस देबे वो तोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो तहीं भवानी, तहीँ सारदा, तहीं हवस जगदम्बा तोर परतापे टोरिन बेन्दरा भालू मन गढ़लंका माँ असीस देबे वो कलकत्ता म काली कहाए, मुम्बर्ड म मुम्बर्ड बस्तर म दन्तेस्वरी तय, बमलाई माँ असीस देबे वो आगी पावय ताप तोर ले, पानी ह रस पावय सुरूज चंदरमा तोर भरोसा अग-जग ल परकासँय माँ असीस दैबै वो बरम्हा सिरजय, बिसनू पालय, महादेव सँहारय तौरै किरपा पा के दाई एमन देव कहाथंय माँ असीस देबै वो कलस-जौत जब बरय झमाझम…
Read Moreमहामाया के नगरी रतनपुर : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! महामाया के नगरी रतनपुर के अद्भुत महत्तम हे रे। फेर हमन उखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर देस में देवी के अड़बड़ अकन मंदिर हावय जेमा माता के 51 शक्तिपीठ के विशेष महत्तम हावय। छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिला से मात्र 25 कि. मी. के दूरी में बसे रतनपुर के महामाया मंदिर घलाव एक शक्तिपीठ हरै जेला कोन नई जानय? शक्तिपीठ के स्थापना से संबंधित एक ठन पौराणिक कथा…
Read Moreदेवी सेवा गीत
झूला झुले निमुवा के डार, भवानी मइया मोर अँगना। छागे ख़ुशी के इंहा बहार, खनकन लगे मोर कंगना।। गोबर मगायेंव खुंट अँगना लिपायेंव। रिगबिग चुकचुक ले चउंके पुरायेंव।। चन्दन पिढ़ा फुलवा के हार, भवानी मइया मोर अँगना। झूला झुले निमुवा के डार,…………. रेशम चुनरी अउ कलशा सजायेंव। पांव में आलता बिंदियाँ लगायेंव।। नौ दिन राती करौं सिंगार, भवानी मइया मोर अँगना। झूला झुले निमुवा के डार,………… हँस हँस के सबो झुलना झुलायेंन। माँग में सिन्दुर के आशीष पायेन।। बिनती निषाद के मया दे अपार, भवानी मइया मोर अँगना। झूला झुले…
Read Moreजंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे रे। नौ दिन माता के सेवा करे ले हमर घर मा, हमर देस मा समृद्धि आथे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन, के काबर अइसे कहय। क्वॉर के महीना मा जम्मो किसान भाई मन खेत.खार के बुता ले उबर के फसल पाके के अगोरा मा रहिथे, फेर ए महीना मा माहू, फाफा मन घलाव कूद.कूद के फसल ला खाए के अगोरा मा रहिथे।…
Read Moreकन्या पूजन
नौ दिन ले देबी पुजे, जांहू पितर के लोक मा। बेटा के लालच म अंधरा होके, बेटी ल,काबर मारे कोंख मा।। नइ फूले हे फूल तेन ल, कोंखे म ,काबर बोजत हस। पूजा करे बर कन्या मनके, गली गली मा खोजत हस।। भ्रुन हतियारा कन्या पूजे बर, बेटी कहांँ ले पाबे गा। करम मा बोंए बम्हरी काँटा, त आमा कहाँ ले खाबे गा ।। मार के कोंख मा बेटी ल बेटा पाए बर रोवत हे। मांगे मनौती देवी ले आज बेटी के पांव ल धोवत हे।। ✍ राम कुमार साहू…
Read Moreएक एक पेड़ लगाओ
रूख राई ल झन काटो , जिनगी के अधार हरे । एकर बिना जीव जन्तु , अऊ पुरखा हमर नइ तरे । इही पेड़ ह फल देथे , जेला सब झन खाथन । मिलथे बिटामिन शरीर ल , जिनगी के मजा पाथन । सुक्खा लकड़ी बीने बर , जंगल झाड़ी जाथन । थक जाथन जब रेंगत रेंगत, छांव में सुरताथन । सबो पेड़ ह कटा जाही त , कहां ले छांव पाहू । बढ़ जाही परदूसन ह , कहां ले फल ल खाहू । चिरई चिरगुन जीव जंतु मन ,…
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