गांव के सीतला

मोर गांव के सीतला दाई तोर गुन ल गावयं वो तरिया पार म तैंय बिराजे बईगा तोला मनावयं वो अंगना म तोर लाली ध्वजा लहर लहर लहरावयं वो हरियर हरियर बोवाय जंवारा शोभा बरनि न जावय वो श्राद्धा अउ बिस्वास के पुजा मन के मनौति पावयं वो बिनती हमार सुनले दाई सेवा जस तोर गावयं वो फुल पान अउ नरियर केला तोला सब चढ़ावयं वो मोर गांव के सीतला दाई लाली चुनरी ओढ़हावय वो जगमग जगमग दीया बरत हे मईया तोरे भुवन म वो हाथ जोड़ पैईया पखारयं दाई तोरे…

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सुरता आथे रहि-रहिके

सुरता आथे रहि-रहिके ननपन जिनगानी के, सुरता आथे ना दाई के रांधे सिल-बट्टा के, कुंदरू-करेला चानी के, सुरता आथे ना कहॉं गंवागे वो बेरा ह कका के गोठ, ददा के बानी के, सुरता आथे ना काकी लिपे गोबर पानी, गोकुल लागे अंगना तुलसी चांवरा म दीया बारे, खोपा म धारे देवना चरर-चरर दुहनी बाजे, महर-महर मेहरी सियान दाई दही बिलोए, बबा चुरोए लेवना खाके चटनी-चीला, बीनन सीला वो भर्री के झाला, बतावंव काला वो मया बर मन सुरर जाथे ना बेलन चले, दंउरी चले, माते उलान बांटी जिनगी के गाड़ी…

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तोर बघवा ल तो ढिल दे दाई

तोर बघवा ल तो ढिल दे दाई, कोलिहा मन हा आवत हे। हमरे दाना पानी खाके, हमी ल गुर्रावत हे..।। जेन ल घर मा सरन देन, हमी ल आँखी देखाथे। बैरी के गुनगान करके, भुईंयां ल गारी सुनाथे जघा जघा आतंक के रुख ल लगावत हे.. तोर बघवा… रोज के उदिम, कुकुर ह, बघवा ल भूंकत हे। बघवा घलो चलाक, बंदूक मा धूंकत हे आजकल कतको कोलिहा कश्मीर म लुकावत हे… तोर बघवा….. हाड़ा चुहकइया कोलिहा, बरमा ले भाग के आवत हे। हमर गांव के कोलिहा मन, उनला परघावत हे।।…

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भक्ति के जोत जलाले

भक्ति के जोत जलाले संगी , इही ह काम तोर आही । ए जिनगी के काहे ठिकाना, माटी म मिल जाही । चार दिन के चटक चंदैनी , फेर अंधियारी राते । करम धरम तै कर ले संगी , सुख से जिनगी बिताले । तर जाही तोर पापी चोला, नाम तोरे रहि जाही । ए जिनगी के काहे ठिकाना, माटी म मिल जाही । माता बर तै चुनरी फुंदरी, छप्पन भोग लगाये । घर में दाई तरसत हाबे, पानी नइ पीयाये । पहिली पूजा दाई के कर तैं, माता खुस…

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सक्ति अऊ भक्ति के संगम नवरात परब

नवरात के परब ह छत्तीसगढ़ बर गजबेच महत्तम रखथे। सक्ति रुप दुर्गा के जोत रुप,जंवारा रुप, सत बहिनी रुप , सीतला रुप म पूजा होथय। भक्ति म लपटा के सक्ति के पूजा के संगम हमर छत्तीसगढ़ म देखेबर मिलथे। हमर राज्य पुरातन म भगवान राम के महतारी के मइके इहें रहिसे।ओखर सेती भक्ति छत्तीसगढ़ म जादा हावय। रामचरित मानस म दू नारी के जादा महिमा बताय हे एक माता पारबती अऊ दूसर सीता। माता पारबती ह सिव भगवान ल राम कथा सुनाय बर कहीस। माता पारबती ल सक्ति कहे गेय…

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जागव जी : अपन बुध लगावौ जी

अपन बुध लगावौ जी परबुधिया झन बनौ, अपन बुध लगावौ जी ! मुसुवा नो हौ.गउहा डोमी, अब तो फन उठावौ जी!! सिधवा हन पर भोकवा नही, सब ल बतादौ ! परदेशिया के जुलूम ल, अब ठेंगवा देखादौ !! नेता मंत्री बने बइठे, हावै करिया चोर ह ! अन्न धन ल लुटत हे, परदेशिया निपोर ह !! छत्तीसगढ़िया माटी के रंग अब देखावौ जी… मुसुवा नो हौ………! परबुधिया झन….. पहुना बन आइस, अब घर ल हमर बाँटत हे! हमरे पतरी म खाके, आज गर ल हमर काटत हे !! चोर गरकट्टा…

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बोधन राम निषाद राज के ददरिया

आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी सुरतिया, आँखी म झुले….. आँखी म झुले गा,तोर झुल झुल के रेंगना, आँखी म झुले…. उगती ले सुरुज उगे,बुड़ती म डेरा। तोर मोर भेंट होगे,संझा के बेरा।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी सुरतिया, आँखी म झुले…. मया के बंसरी ल,बजाये तैंहा गा। मन मोहना काबर मोला,नचाये तैंहा गा।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले गा,तोर झुल झुल के रेंगना, आँखी म झुले….. मारे लबेदा ,आमा के डारा ओ। तहुँ बइठे ल आबे,हमर पारा ओ।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी…

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जमुना के तीर तीर हो

जमुना के तीर तीर हो कान्हा गैया चरावे जमुना के तीर तीर हो। कोन बन कान्हा गैया चरावे कहां पियावे पानी। कहां पियावे पानी हो मइया कहां पियावे पानी। कोन बन कान्हा गेंद खेले जमुना के तीर तीर हो। कान्हा गइया चरावे… कउन रंग हे राम के गइया कउने रंग लखन के। कउन रंग लखन हो मइया कउने रंग लखन के। कउन रंग हे कृष्ण के गइया जमुना के तीर तीर हो। कान्हा गइया चरावे… पियंर रंग हे राम के गइया सादा रंग लखन के। सादा रंग लखन के हो…

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किरीट सवैया : नाँग नाथे मोहना

खेलन गेंद गये जमुना तट मोहन बाल सखा सँग नाचय। देवव दाम लला मन मोहन देख सखा सबके सब हाँसय। आवय ना मनखे जमुना तट कोइ नहावय ना कुछु काँचय। हावय नाँग जिहाँ करिया जिवरा कखरो नइ चाबय बाँचय। देख तभो जमुना तट मा मनमोहन गेंद ग खेलत हावय। बोइर जाम हवे जमुना तट मा मिलके सब झेलत हावय। खेल करे हरि गोकुल मा मिल मीत मया मन मेलत हावय। खेलत गेंद गिरे जमुना जल लाव कही सब पेलत हावय। जमुना जल के तल मोहन जावय नाँग लगे बड़ गा…

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बसे हो माया मोरो नैन

बसे हो माया मोरो नै न मोरो नैन दाई फुलवा बसे। बसे हो माया मोरो नैन मोरो नैन दाई फुलवा बसे हो माँ। मन मंदिर में तोला बसा के करत रहिथंव पूजा मां। करत रहिथवं पूजा। तोरेच बेटा आंवंव दाई झन करबे तंय दूजा। बसे हो माया मोरो नैन.. आंखी के रसता ले दाई हिरदय भीतरी समाये माँ। हिरदय भीतरी समाये। तोर भक्ति में मन मोर रंगगे कुछु नइ सुहाये। बसे हो माया मोरो नैन.. मंया दाई के कइसे होथे तोर कोरा में जानेंव माँ। तोर कोरा में जानेंव। बिन…

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