पं. दीनदयाल उपाध्याय : व्यक्तित्व अउ कृतित्व – संजीव तिवारी जनम अउ शिक्षा – कभू-कभू धरती के जनमानस ल नवा दिशा देहे अऊ जुग बलदे के उदीम ल पूरा करे बर युग पुरूष मन के जनम होथे। ओ मन संकट के समय म जनम लेहे के बाद घलोक अपन जनमजात चमत्कारिक प्रतिभा ले बड़े ले बडे़ काम पूरा करके अन्तरध्यान हो जाथें। बीसवीं शताब्दी के सुरू म भारतीय क्षितिज म कुछ अइसनहे जाज्ज्वल्यमान नक्षत्र मन के उदय होइस। जेमन अपन प्रकाश ले भारत वसुन्धरा ल आलोकित कर दीन। ए काल…
Read MoreYear: 2017
तुँहर जउँहर होवय : छत्तीसगढी हास्य-व्यंग संग्रह
छत्तीसगढी सहज हास्य और प्रखर ब्यंग्य की भाषा है। काव्य मंचों पर मेरा एक एक पेटेंट डॉयलाग होता है, ‘मेरे साथ एक सुखद ट्रेजेडी ये है कि दिल की बात मैं छत्तीसगढी मे बोलता हूँ, दिमाग की बात हिन्दी में बोलता हूँ और दिल न दिमाग की यानि झूठ बोलना होता है तो अंग्रेजी में बोलता हूँ।’ हो सकता है कुछ लोगों को इसमें आत्म विज्ञापन की बू आए। मगर ऐसा नहीं है, जिसे आप मेरे श्रेष्ठता बोध की विशेषता समझ रहे हैं, दरअसल वह हर भारतीय आम आदमी की…
Read Moreनशा मुक्ति के गीत
1.नशा हॅ नाशी होथे नशा हॅ नाशी होथे सुख के फाॅसी होथे घिसे गुड़ाखू माखुर खाए दाँत हलाए मुँह बस्साए बीड़ी म खाँसी आथे गुटका खाए पिच पिच थूके दारू पीए कुकुर अस भूँके धन के उद्बासी होथे चिलम तिरैया के आँखी धँसगे जवान बेंदरा सहीन खोखसगे जग म हाँसी होथे ए तो सुनेव बाहिर कहानी घुना जथे संगी जिनगानी लइका लोग करलासी होथे बिनती हे मोर कहना मानव नशा छोड़े के अभी ठानव देखव उल्लासी होथे। 2. नइ बाँचय तोर चोला रे नइ बाँचय तोर चोला रे नइ बाँचय…
Read Moreसेवा जस गीत
बन्दना :– सुमिरन करतहौं दुरगा तोला, करतहौं बिनती तुन्हार ओ। गावत हौं तोर गुन ल दाई, हमरो सुनले गोहार ओ।। तर्ज :– आ गे नौ नौ दिन के नवरात ओ, नौ नौ कलश सजावौ मैं ह आज ओ। जम्मो देवता बिराजे तोर समाज ओ, आ गे नौ नौ दिन के नवरात ओ। पहली कलश माता शैल पुत्री, दूजा कलश ब्रम्ह्चारिणी। तिजा कलश चंद्रघंटा बिराजे, कलश सजावौ मैं ह आज ओ। आ गे नौ नौ दिन के नवरात ओ। नौ नौ कलश सजावौ………… चउथा कलश माता कुषमाण्डा, पांचवा कलश स्कंधमाता। छठा…
Read Moreरन चंडी बने ओ माता
रन चंडी बने ओ माता महिषा सुर ला मारे बर रन चंडी बने। रन चंडी बने ओ माता… बरम्ह देव के करिस तपस्या महिषा सुर अभिमानी। काकरो हाथ ले मंय झन मरौ बर देवव बरदानी। रन चंडी बने ओ माता.. बर ला पाके महिषा सुर हा रिसी मुनी ला सतावे। दुख ला देख के इन्द्र देव बरम्हा बिष्नु ला मनावे। रन चंडी बने ओ माता.. बरम्हा विष्णु शंकर भोला अइसन सुनता बंधावे। महिषा सुर संग युद्ध करे बर जम्मो देंवता आवे। रन चंडी बने ओ माता… अजर अमर महिषा सुर…
Read Moreव्यंग्य : कुकुर के सन्मान
कबरा कुकुर ला फूल माला पहिर के माथ म गुलाल के टीका लगाय अंटियावत रेंगत देखिस तब झबरा कुकुर ह अचरज में पड़गे। सन्न खा के पटवा म दतगे। ओहा गजब बेर ले सोचिस, ये कबरा ह बइहागे हे तइसे लागथे। नंदिया बइला अस मनमाने सम्हर के कोन जनी कहाँ जावत हे। अभी तो न कहूँ ठउर म कुकुर सम्मेलन होवत हे अउ न कुकुर मेला भरात हे। तीरथ-बरथ जाय के तो सवालेच नइ उठय। हमर पुरखा मन तो पहिली ले चेताय हे कुकुर ह गंगा जाही तब पतरी ला…
Read Moreजगमग जगमग दिप जलत हे
जगमग जगमग दिप जलत हे मां के दरस मा प्यारे देखा खाली पांव अब भगत चलत हे पुजा आरती मां दुर्गा के जगह जगह पंडाल सजत हे भगत आज लगा लौ नारा पिरा हमर मिट जाही पुरा ईर्ष्या द्वेष काबर मन मा पले हे जगमग जगमग दिप जले हे रंग बिरंगा कपडा देखा मां के दरस मा आंखि सेंका भक्ति में मन आज रमे हे भगतन मन के तांता लगे हे उत्सव के करलव तइयारी भक्तिमय आज हे दुनिया सारी मां के चरण मा स्वर्ग बसे हे जगह जगह पंडाल…
Read Moreतोर मुसकी ढ़रत रूप
तोर मुसकी ढ़ारत रूप ओ दाई नैनन में मोर बसगे। नैनन में मोर बसगे ओ दाई हिरदय में मोर बसगे। तोर मुसकी ढ़ारत रूप हीरा जड़े तोर माथ मटु़किया लाली बिंदिया सोहे। चंदा सुरूज तोर नैना माता भक्तन के मन मोहे। तोर कजरा तीर कमान ओ माता नैनन में मोर बसगे। तोर मुसकी ढ़ारत रूप.. कभू सोनहा हार पहिरे कभू मूड़़ी के माला। दानव दल संघारे खातिर धरे तिरसुल भाला। तोला सुमिरे बेद पुरान ओ दाई नैनन में मोर बसगे। तोर मुसकी ढ़ारत रूप… पानी पवन अऊ रूख राई…
Read Moreबेटी मन उपर गीत
1. महॅू संतान अँव झन करौ गा भेद महूं संतान अँव बिधि के बिधान अँव बचपन म पाँव के पइरी सरग ले सुहाथे घर के बूता म दाई ल हाथ कोन बटाथे लीप बाहर अँगना दुवार कोन सजाथे लक्षमी दू दिन के मेहमान अँव जोड़थौं बिहा के मैं दू ठिन परिवार ल ए घर ले वो घर ले जाथौं संस्कार ल पीरा सहि कोख ले जनमथौं संसार ल सोचैं तो मैं जग के जान अँव सोचै महतारी तुँहर रहिस कखरो बेटी जेकर ले बिहाव करेव उहू कखरो बेटी कहाँ पाहू…
Read Moreहमर माँवली दाई के धाम
हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे फेर छत्तीसगढ़ राज के नाँव के अलख जगावत कतको साल होवत हे। हमर छत्तीसगढ़ राज के जुन्ना इतिहास हा बड़ प्रसिद्ध अउ सुग्घर हावय। ए राज के बीचो-बीच मा शिवनाथ नदिया बोहावत हावय। इही शिवनाथ नदिया के दुनो पार मा अठारा-अठारा ठन गढ़ प्राचीन समे मा ठाढ़े रहीन। एखरे सेती ए राज के नाँव छत्तीसगढ़ पड़ीच हे अइसन कहे जाथे। इही छत्तीसगढ़ मा के एकठन गढ़ हमर गवँई-गाँव सिंगारपुर (माँवली) हा घलाव आय। इही गाँव…
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