रमेसर गमछा मा मुहूं बांध के परमोद के दुकान तीर ले अपन घेच टेड़गा करके आघू निकलिस। परमोद चिचियातेच हे, रमेसर… रमेसर, कहिके हांक पारतेच हे, फेर कहां सुने, रमेसर। परमोद कहिस- देखे गुरुजी, आठ दिन बर उधारी मांग के जिनीस लेगे रिहीस आज आठ महिना होगे पइसा देय के नांव नइ लेत हे अउ मुंहूं लुका के जावत हे। गुरुजी कहिस- हव रे परमोद! आज मनखे मुहूलुकवा होगे हे। करजा खाय मनखे ह तो बेपारी बर मुहूलुकवा होयेच हे, दफ्तर मा अधिकारी–करमचारी, अस्पताल मा डाक्टर, इस्कूल मा मास्टर अऊ…
Read MoreYear: 2017
अतेक झन तरसा रे बदरा।
अतेक झन तरसा रे बदरा। बने तै बरस जा रे।। उमड़त घुमड़त के आथस तै। कते मेर लुका जथस रे।। किसान सबो तोर रद्दा जोहत। बइठे मेड़ पारे म ।। अतेक झन तरसा बादरा…. दू बरस ले तै कहा लुकाय। ये बरस तो दरस दिखा जा रे।। अब्बड़ सुने रेहेंव तोर सोर। गरज गरज बरसते कयके।। जलदी तै आजा रे बदरा। खेत खार छलका दे रे।। अतेक झन तरसा रे बदरा। बने तै बरस जा रे।। युवराज वर्मा ग्राम – बरगडा तह, – साजा जिला – बेमेतरा (छत्तीसगढ़) [responsivevoice_button voice=”Hindi…
Read Moreछत्तीसगढ़ के तिज तिहार
हरियर हरेली तिहार मनागे आरी पारी सबहो परंपरा जम्मो तिहार अब आगे हरेली के बाद राखी तिहार बहिनी मन म खुशी छागे भाई बहिनी के मया पिरित रक्षाबंधन डोरी सुंत बंधागे राखी तिहार बाद कमरछठ लईका बर उपास राखथे जन्माष्टमी के दिन दही लुट आठे गोकुल तिहार मनाथे तीजा-पोरा बर बहिनी ल लेनहार तीजा लेवाय ल जाथे दाई ददा अउ भाई भउंजाई मईके के सुरता सुध लमाथे तीजा पोरा के बिहान दिन गणेश भगवान ल मढ़ाथे गियारा दिन ले पुजा पाठ तरिया म बिसरजन कराथे सरग सिधार पुरखा ल पीतर…
Read Moreकिरीट सवैया : पीतर
काखर पेट भरे नइ जानँव पीतर भात बने घर हावय। पास परोस सगा अउ सोदर ऊसर पूसर के बड़ खावय। खूब बने ग बरा भजिया सँग खीर पुड़ी बड़ गा मन भावय। खेवन खेवन जेवन झेलय लोग सबे झन आवय जावय। आय हवे घर मा पुरखा मन आदर खूब ग होवन लागय। भूत घलो पुरखा मनखे बड़ आदर देख ग रोवन लागय। जीयत जीत सके नइ गा मन झूठ मया बस बोवन लागय। पाप करे तड़फाय सियान ल देख उही ल ग धोवन लागय। पीतर भोग ल तोर लिही जब…
Read Moreसरद्धा अउ सराद्ध
पितर पाख मा पंदरा दिन पुरखा मन बर सरद्धा तन मन मा कोचकीच ले भर जाथे। दाढ़ी-मेछा हा अइसे बाढ़ जाथे जइसे सियान मन के सुरता मा सुध-बुध गवाँ गे हे। लिपे-पोते खुँटियाय अँगना-दुवाँर, चउँक पुराय मुहाँटी, तरोईपान अउ फूल ले हूम-जग देवाय घर हा चारों खूँट बरा-सोंहारी के माहक मा महर-महर करत रथे। सिरतोन मा अपन सियान अपन पुरखा के सरद्धा के परमान एखर ले बड़े अउ का होही। आज नरवा मा सवनाही पूरा कस छकबक अपन पुरखा बर सरद्धा ला देख के मोर बया भुलागे। जब सियान हा…
Read Moreपितर नेवता
पितर पाख तिहार म बैसकी ल मनावत हे पुरखा सियानहिन सियनहा नेवता देके बलावत हे घर मुहाटी पिड़हा म चउंर पिसान पुराय हे तोरई पान म उरिद दार लोटा पानी मुखारी बोराय हे तेलई बईठे बर रोटी पिठा पिसान दार दराय हे पुरखा ल पानी दे बर तरिया घाट म नहाय हे सोंहारी बरा के पाग बर गहुं पिसान सनाय हे तोरई,बरबट्टी आलु अउ चना साग पान रंन्धाय हे पितर नेवता आरा परोस पितर खाय ल बलाय हे दुद भात संग अम्मट कड़ही महर महर ममहाय हे कुकुर बिलई बनके…
Read Moreहमर छत्तीसगढ़
मैं वो छत्तीसगढ़ के रहईय्या अंव, जिंहा मया के गंगा बहिथे गा! तीरथ ले पावन जिंहा के माटी, भुईंया मा सरग ह रहिथे गा !! दुनिया के पेट भरईय्या जौन, अन्नपूरना दाई के कोरा ए ! सूख समृद्धि ह रहिथे जिंहा, वो हरियर धान कटोरा ए!! गांव गांव म जिंहा रखवारी, करथे सितला महतारी ह! निच्चट सिधवा भोला भाला, जिंहा के सब नर नारी ह!! गुरु घांसी,वल्लभाचार्य जेला बाल्मिकी ह कहिथे गा….. शबरी के बोइर खाए जिंहा, बन बन घुमे रघुराई ह! भोरमदेव अऊ राजिम लोचन, जिंहा बईठे हे बमलाई…
Read Moreनाटक : रसपिरिया
जान -चिन्हार पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- मुरदुंगिहा मोहना चरवाहाः- दस-बारा बच्छर के लइका रमपतियाः- मोहना चरवाहा के दाई जोधन गुरूः- रमपतिया के ददा चरवाहा:-1 दिरिस्य:-1 ठौर:- गौचर पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मोहना ला देख के ऑंखि मा ऑंसू आ जाथे सुग्घर अति सुग्घर मोहना:- मुचमुचात तोर अँगठी रसपिरिया बजात टेड़गी होगिस हावय ना पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- ऐं! रसपिरिया ? हॉं, नह, तैंहर कइसे— तैंहर काहॉं सुने बे—। परमानपुर के गांव के लइकामन ओला एक घ एकझन बाम्हन के लइका ला बेटा किहिस ता पीट दे रिहिन। ओकर कान मा गूंजत हावय। लइकामन:- बहरदार होके बाम्हन…
Read Moreकिरीट सवैया : कपूत नहीं सपूत बनो
देखव ए जुग के लइका मन हावय अब्बड़ हे बदमास ग। बात कहाँ सुनथे कखरो बस दाँत निपोरय ओ मन हाँस ग। मान करे कखरो नइ जानय होवत हे मति हा अब नास ग। संगत साथ घलो बिगड़े बड़ दाइ ददा रख पाय न आस ग। पूत सपूत कहूँ मिल जातिस नैन नसीब म काबर रोतिस। राम सहीं लइका हर होतिस दाइ ददा नइ लाँघन सोतिस। जानत होतिस दाइ ददा तब फोकट बन ला काबर बोतिस। नाँव बुझावँव जे कुल के तब ओखर भार ला काबर ढोतिस। आस धरे बड़…
Read Moreधर्मेन्द्र निर्मल के योजना प्रचार गीत
धर्मेन्द्र निर्मल के ये गीत मन ह सरकारी योजना मन के प्रचार-प्रसार बर संगीतबद्ध करे गए हे अउ ये गीत मन ह प्रदेश के कोना-कोना म प्रदर्शित होवत हे। 1. जम्बूरी डण्डा गीत जम्बुरी भारत के शान ए मान ए जम्बुरी भारत के शान स्वाभिमान हे देश हित खातिर जीना अउ मरना मानव सेवा ही तो जग म महान हे जुरमिल जम्मो वृक्षारोपण करबो भारत भुॅइया म लाबो हरियाली स्वच्छ भारत अभियान के सपना ल सकार करबो अउ लाबो खुशहाली दया मया प्रेम पर उपकार के भावना ल हिरदय म…
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