सिक्छक हँव सरलग सिखथँव घेरी बेरी सोंच समझ लिखथँव।। गियान अंतस थरहा डारँव, सिखोना ल जोरदरहा साजँव। बेवहार बिचार बीजा सिचथँव।।१ सिक्छक हव सरलग सिखथँव.. करम कमल अँइलाय झन, मन निरमल मइलाय झन। मित मितान संगी बन मिलथँव।।२ सिक्छक हव सरलग सिखथँव… कहाँ ले लानव मैं उदाहरन, काखर बताँव कहिनी कथन। लइका बर मैं असल दिखथँव।।३ सिक्छक हव सरलग सिखथंव… कोंवर माटी म महिनत मोर, केंवची काया ल बनाहू सजोर। गुरतुर गोठ मा “अमित” रिझथँव।।४ सिक्छक हव सरलग सिखथँव… नवा समे हे, नवा जमाना हे, बाढ़त बिगियान ल बताना हे।…
Read MoreYear: 2017
गुरुजी बने परीक्षा देयबर परही
सरकार के एकठन आदेस घूमत हे तेला पढ़के गुरजी मन के चेत हरागे हे। जौन गुरुजी के 12वीं अऊ कालेज मा 50 परतिसत ले कम नम्बर होही तौन ल परीच्छा देय बर परही।बिन डी एड,बी एड के परीच्छा पास करे गुरुजी बन गेहे वहू ल परीच्छा पास करेबर परही नहीं त ओकर छुट्टी कर दे जाही।15-18 बच्छर ले जौन गुरुजी ह लइका मन ल पढ़ात हे,ओकर पढ़ाय लइका मन डाक्टर, इंजीनियर, पुलिस, सैनिक, मास्टर, पटवारी बन गे हे। ओला अब परीच्छा देयबर परही। अइसे गुरु के परीच्छा आदिकाल से होवत…
Read Moreबेटी मन
बेटा कहूं जिनगी के डोंगा, त पतवार ए बेटी मन ! जेठ के सुक्खा परिया जिनगी, त सावन के फुहार ए बेटी मन !! नांगर के थके जांगर ल, एक लोटा पानी म हरियाथे ! चोंट लगथे दाई-ददा ल , पीरा उन ल जनाथे !! बहु बेटा के गारी बीच. मया दुलार ए बेटी मन.. बेटा कहूं…… नान्हे पांव के छुनुर पैरी, दुरिहा ले सुनाथे ! दाई ददा ल अइसे लगथे, जइसे जेठ म पुरवइय्या आथे !! मोर टुटहा कुंदरा के सिंगार ए बेटी मन… बेटा कहूं……….। बाप हिरदय मा…
Read Moreछत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, गुरतुर बोली मीठ भाखा हे । कोन करिया कोन गोरिया, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया । गाँव गवई के हमन रहइया, माटी के हावय घर अऊ कुरिया । बर पीपर हे तरिया नदिया, बाग बगीचा घन अमरइया । मन निरमल हे गंगा जइसे, सब ला मया करइया । धोती कुरता पटकू पहिरइया, चटनी बासी पेज खवइया । खुमरी ओढे चले नगरिहा, खेत खार म काम करइया । सोनहा जइसे अन्न उपजइया, सबके भूख मिटइया । तीजा पोरा देवारी मनइया, सुख दुख के संग देवइया । सुवा पंथी करमा ददरिया,…
Read Moreअजय साहू “अमृतांशु” के दोहा : इंटरनेट
छागे इंटरनेट हा, महिमा अपरंपार। घर बइठे अब होत हे, बड़े-बड़े व्यापार।। बिन खरचा के होत हे, बड़े-बड़े सब काम। दउड़े भागे नइ लगय, अब्बड़ हे आराम।। नेट हवय तब सेट हे, दुनिया के सब रंग। बिना नेट के लागथे, जिनगी हा बदरंग।। रात-रात भर नेट मा, झन कर अतका काम। चिंता कर परिवार के, कर ले कुछ आराम।। घर मा बइठे देख लव, दुनिया भर के रीत। आनी बानी गोठ अउ, अब्बड़ सुग्घर गीत।। लइका मन पुस्तक पढ़य,घर बइठे अभ्यास। होत परीक्षा नेट मा, तुरते होवय पास।। का कहना…
Read Moreसुखदेव सिंह अहिलेश्वर”अँजोर” के छंद
मदिरा सवैय्या छंद सुग्घर शब्द विचार परोसव हाँथ धरे हव नेट बने। ज्ञान बतावव गा सच के सब ला सँघरा सरमेट बने। झूठ दगा भ्रम भेद सबे झन के मुँह ला मुरकेट बने। मानस मा करतव्य जगै अधिकार मिलै भर पेट बने। दुर्मिल सवैय्या छंद सुनले बरखा झन तो तरसा बिन तोर कहाँ मन हा हरषे। जल के थल के घर के बन के बरखा बिन जीव सबो तरसे। नदिया तरिया नल बोरिंग मा भरही जल कोन बिना बरसे। जिनगी कइसे चलही सबके अब आस सुखावत हे जर से। मत्तगयंद…
Read Moreछत्तीसगढ़ी नाटक : संदेसिया
दिरिस्य -1 सू़त्रधारः- बड़खा हवेली आप नाममात्र बर बढ़खा हवेली हावय, जिहॉं रात दिन कमिया कमेलिन मन अउ रेजा कुली मन के भीड़ लगे रहय, उहॉं आज हवेली के बड़की बोहोरिया आपन हाथ ले सूपा मा अनाज पछनत हावय, इ हाथमन मा मेंहदी लगाके गॉंव के नउवाइन परिवार पलत रिहिस।काहॉं चल दिस वो दिन हर, बड़खा भइया के मरे के पाछू सबो खेल खतम हो गिस। तीनों भाई मन लड़ाई झगरा शुरू कर दिन, रेयती ह जमीन मा दावा करके दखल कर दिस, फेर तीनों भाईमन गॉंव छांड़के सहर मा…
Read Moreकिसान के पीरा : आरे करिया बादर
आरे करिया बादर अब आ रे करिया बादर सूक्खा परगे तरिया नदिया, जर के माटी होगे राखर। आरे करिया….. ददा के दवा अऊ बेटी के बिहाव, सेठ के कर्जा ल कइसे करिहौ। दुकानदार के गारी सुनके, खातू के लागा ल कइसे भरिहौ।। “आत्महत्या”के सिवा, अब नइये मोर जांगर.. आ रे करिया…… बूंद बूंद बर सब तरसगे, पीरा होगे किसान ल। दुनिया के पेट भरइया, अब कब बोहुं मैं धान ल? लइका मन के पेट बर बेचेंव बइला नांगर…… अब आ रे करिया……. टोंटा सुखा गे पानी बिना , चिरई चुरगुन…
Read Moreलइका मन के देवता गनेस : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! भगवान गनेस हर छोटे-छोटे लइका मन के घलाव देवता हरै रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। जइसे गनेस पाख आथे, हमन देखथन के छोटे-छोटे लइकन मन घलाव टोली बनाके चौक-चौराहा में नई तो अपन घर में भगवान गनेस ला बइठार के पूजा अराधना शुरू कर देथे। हमन यहू जानथन के भगवान गनेस हर माता पारवती अउ भगवान भोलेनाथ के दुलरवा बेटा हवय जेखर सब देवी-देवता…
Read Moreछत्तीसगढ़ के नारी
मैं छत्तीसगढ़ के नारी औं-२ मया पिरीत के जम्मो रूप, बाई. बेटी अऊ महतारी औं !! गउ कस सिधवा जान, अबला झन समझव ! नो हौं मैंहा पांव के पनही, मोर मन्सा ल झन रमजव !! लंका जइसे आगी लगाहूं, धधकत मैं अंगारी औं.. तन के गोरस मैं पिआके, बीर नरायन कस सिरजाथौं ! जिअत मरत के पीरा सहिके, तब ‘महतारी’ कहाथौं !! दुरजोधन दुस्सासन बर, मैं टंगिया दुधारी औं… हर परिवार ल जोड़ें रहिथंव, मैं ममता के गारा औं ! पिढ़ी के पिढ़ी संग बोहइया, पबरित गंगा धारा औं…
Read More