परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास : सरसी छंद

जेखर जनम धरे ले भुँइया,बनगे हे सत धाम। उही पुरष के जनम दिवस हे,भज मनुवा सतनाम।।1।। बछर रहिस सतरह सौ छप्पन,दिवस रहिस सम्मार। तिथि अठ्ठारह माह दिसम्बर,सतगुरु लिन अँवतार।।2।। तब भुँइ मा सतपुरुष पिता के,परे रहिस शुभ पाँव। बालक के अविनाशी घासी,धरे रहिन हे नाँव।।3।। वन आच्छादित गाँव गिरौदा,छत्तीसगढ़ के शान। पावन माटी मा जनमे हे,घासीदास महान।।4।। महँगू अमरौतिन बड़ भागी,दाई ददा महान। गोदी मा मानव कुल दीपक,पाइन हे संतान।।5।। घोर तपस्या करे रहिन हे,गुरु सतखोजन दास। सँग मा संत समाज सबोझिन,करे रहिन उपवास।।6।। माँग रहिस एक्के ठन सब के,मिलके…

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हाय मोला मया लागे अउ रतिया तँय पूस के

हाय मोला मया लागे हाय ओ …हाय मोला मया लागे ओ…. मिरगी कस रेंगना मोला मया लागे ओ.. हाय रे…हाय मोला मया लागे रे… झुलुप वाले बइहा मोला मया लागे रे… हिरदे मोर तँय हा,कहाँ ले समाए ओ। बइहा बनाई डारे,जादू तँय चलाए ओ।। रद्दा बताए मोला,दया लागे ओ….. हाय ओ…हाय मोला……. ए रे कजरारे बलम ,मन मोर भाए तँय। पान खवाके मोला,कइसे भरमाए तँय।। पिरीत लगाए मोला,नया लागे रे… हाय रे….हाय मोला ………… गाँव के चिरईया तहीं,मन ला लगाए तँय। मैना कस बोली मा,तन ला जलाए तँय।। कनिहा हलाए…

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हतास जिनगानी : नान्हे कहिनी

आज संझौती बेरा गांव के सडक तीर के एक ठन दुकान कोती घूमे बर गयेंव।नवा-नवा दुकान खुले रहय त संझौती बेरा म बहुत अकन मनखे के रेम लगय।काबर कि उंहा डिस्पोजल अउ चखना के बेवस्था घलो रहय। दुकानवाला ह कंगलहा दरुहा बर फोकट के हंडिया वाला पानी अउ पूरताहा बर फिरिज के पानी रखे रहय। में हा पेपर ल बिहनिया नी पढे रेहेंव तेकरे सेती पेपर पढे बर ओकर कना बइठ गेंव। ओतका बेरा बने अंजोर रीहिसे।फेर जइसे सुरूजदेव बूडिस।मनखे सकलाय लगिस।फेर मोला देखके ओमन अचरित म पडगे रहय।ओमन दुकानवाला…

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हमर संस्कृति म भारी पड़त हे मरनी भात खवाना

हमर देस म सांस्कृतिक परम्‍परा के संगे-संग कई प्रकार के सामाजिक कुरीति मन के घलोक भारी भरमार हे, जेमा एक हे मरनी भात (मृत्‍यु भोज) खवाना जेन ह समाज के सोच अउ विकास ल पाछु करत जात हे। कई बछर पाछु के बेरा ले चले आत ये परम्‍परा हे कि कोनो भी मनखे मरथे त ओखर मरे के बाद सगा-संबंधी ल भात खवाये ल लगथे। ओहु एक घव नई दु या फेर तीन घव खवाये ल लगथे। येहि ल दशगात्र, तेरही, बरसी कथे जेमा संबंधी मन ल भात खवाये ल…

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गऊ रक्छक : नान्हे कहिनी

काली बिहाने के बात हरे। दांत म मुखारी घसरत तरिया कोती जावत रहेंव। उदुप ले रद्दा म बैसाखू ममा संग भेंट होगे। बैसाखू ममा ह बइला कोचिया के नांव ले पुरा एतराब म परसिध हे। ममा ह देखिस ताहने पांव परिस। पांव पैलगी के बाद पूछेंव-कस ममा बिकट दिन म दिखेस ग! मनमाने नोट छापे म लगे रेहेस काते? तोर बिजनिस बनेच जोर पकडे हे लागथे!! मोर दिल्लगी ल सुनके ओहा खिसियावत किथे -तोला हरियर उसरे हे परलोखिया!! हम का भुगतना भुगते हन। हमीं जानबो अउ वो ऊपर वाला मालिक…

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जड़काला मा रखव धियान

हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा के फूल फूले हावय। एखरे संगे संग रंग-रंग के रहन-सहन,खाना-पीना इहां सबो मा सुघराई हावय। हमर देश के परियावरन घलाव हा देश अउ समाज के हिसाब ले गजब फभथे। इही परियावरन के हिसाब ले देश अउ समाज हा घलो चलथे। इही परियावरन के संगे संग देश के अर्थबेवसथा हा घलाव चलथे-फिरथे। भारत मा परियावरन हा इहां के ऋतु अनुसार सजथे संवरथे। भारत मा एक बच्छर मा छै ऋतु होथे अउ…

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मोर मन के बात

आज फेर तोर संग मुलाकात चाहत हंव, उही भुइंया अउ उही बात चाहत हंव। के बछर बाद मं फेर वो बेरा आही, मोर जीत अउ तोर मात चाहत हंव। मेहां बनहूं अर्जुन अउ तै हर करन, तोर-मोर बीच रइही फेर इही परन। अपन बाण तोला मारहूं या मेहां मरहूं, छै के काम नइ हे,पांचे बाचही कुरू रन। भीष्मपिता ल तको भसम मेहां करहूं, द्रोणाचार्य के घलो आत्मा ल हरहूं। जयद्रथ ह रतिहा के चंदा नइ देख सकय, आज सुरूज डूबे के पहिली ओला छरहूं। एक-एक झन करन में बदला लूहूं।…

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बीर नरायन बनके जी

छाती ठोंक के गरज के रेंगव, छत्तीसगढ़िया मनखे जी। परदेशिया राज मिटा दव अब, फेर ,बीर नरायन बनके जी।। हांस के फांसी म झूल परिस, जौन आजादी के लड़ाई बर। उही आगी ल छाती मा बारव, छत्तीसगढ़िया बहिनी भाई बर।। अपन हक ल नंगाए खातिर, आघू रहव अब तनके जी…. छाती ठोंक के…..! परदेशिया… आज भी गुलामी के बेढ़ी हे, हमर भाखा अउ बोली बर। सोनाखान के सोना लुटागे, परदेशिया मनके झोली बर।। खेत खेत मा गंगा ला दव, भुंइया के ,डिलवा ल खनके जी…. छाती ठोंक के…..! परदेशिया… झन…

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नारी हे जग में महान

नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान। मय कतका करंव बखान संगी, नारी हे जग में महान। लछमी दुरगा पारवती अऊ, कतको रुप में आइस। भुंइया के भार उतारे खातिर, अपन रुप देखाइस। पापी अत्याचारी मन से, मुक्ति सब ल देवाइस। नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान। मत समझो तुमन येला अबला, इही हे सबले सबला। नौ महीना कोख में राखके, पालिस पोसीस सबला। कतको दुख ल सहिके संगी, बनाइस हे हमला महान। नारी हे जग में महान संगी, नारी हे…

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बोधन राम निषाद राज के तीन गीत

1. मोर कान्हा तरसाई डारे मोर कान्हा तँय जीव ला, तरसाई डारे। बिन मारे मँय तो मर गेंव, भुलाई डारे।। मोर कान्हा तँय जीव ला … ओ जमुना के तीर अउ,कदम के छइहाँ। झुलना झुलाए डारे, जोरे दूनों बइहाँ।। बही होगेंव का मोहनी ला, खवाई डारे। मोर कान्हा तँय जीव ला … आँखीं मा मोरो तँय हा, कबके समाए। सुरता मा मोला तँय हा, गजबे रोवाए।। हिरदे के कुरिया बइठे, बँसी बजाई डारे। मोर कान्हा तँय हा जीव ला … कुँज गलियन मा कान्हा, बृंदाबन मा। माखन चोर तँय हा,…

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