दिन आ गे धान मिसाइ के

दिन आ गे धान मिसाइ के दौरी बेलन नंदा गे हार्वेस्टर टेक्टर फंदा गे चल दिहिस दिन सवनाई के दिन आ गे धान मिसाइ के डोकरा धरे हे पनपुरवा डोकरी फटकारे चिंगरी सुरवा नई हे माटी ममहाइ के दिन आ गे धान मिसाइ के धान ला भर लौ कोठी मा बइला हकालव लौठी मा पाना हरियर रुखराइ के दिन आ गे धान मिसाइ के भइया अपन पागी खोंचय भउजी मने मन का सोचय नई हे दिन अपन बड़ाई के दिन आ गे धान मिसाइ के सुवा गीत ला संगी गावा…

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ललित नागेश के गज़ल

दुख संग म मोर गजब यारी हे दरद म हांसे के बीमारी हे! कहां सकबो नगदी मोलियाय तरी उपर सांस घलो उधारी हे! आंसू म धोआगे मन के मइल काकरो बर बैर न लबारी हे ! रोना ल गाना बना दंव मय हर पा जांव हुनर के बस तय्यारी हे ! जे दिन कलेचुप देखबे मोर ओंट जान उही दिन खुशी मोर दुवारी हे! ललित नागेश बहेराभाठा (छुरा) 493996 [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]

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बाबा के सात सिद्धांत अउ सतनाम मनइया

हमर छत्तीसगढ़ के भूइंया हा पबरित अउ महान हे जेमा बड़े बड़े ग्यानिक अउ बिद्वान मन जनम धरीन।जौन देस अउ समाज ल नवा रद्दा बताइन।छत्तीसगढ़ बीर मन के भुइंया हरे फेर इही भुइंया मा गहिरागुरु, स्वामी आत्मानंद जइसन समाज सुधरइया अउ रद्दा बतइया मन जनम धरीन। इही मा एक नाव गुरु बाबाघासीदास घलो हे। जौन छत्तीसगढ़ के माटी मा बच्छर 1756 मा महंगूदास अउ अमरौतिन के कोरा ला धन्य करिन। गुरु घासीदास के जनम जौन बखत होइस ओ बेरा समाज हा जातिभेद, टोनहा टोनही,ऊंचनीच, गरीबी, दरिद्री ले जुझत रहिस।छुआछूत के…

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गुरू बबा के गियान ला गुनव

हमर छत्तीसगढ मा दिसंबर के महीना मा हमर गुरू घाँसी दास बबा के जनम जयंती ला बङ सरद्धा अउ बिसवास ले मनाथें। गुरु बबा के परति आसथा अउ आदर देखाय के सबले सुग्घर,सरल उदिम हरय जघा-जघा जयंती मनाना। उछाह के संग भकती के मिलाप ले जयंती हा अब्बङ पबरित जीनिस बन जाथे। जयंती के तियारी पंदरही के आगू ले करत आथें। गाँव-गाँव,गली-गली, चउक-चउराहा मा सादा सादा धजा,सादा तोरन पताका,सादा-सादगी ले पंथी नाच गान के अयोजन अउ प्रतियोगिता महीना भर चलत रहीथे। पंथी नाच गान हा सुनता अउ जोश के अद्भुद…

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नवा बच्छर के गोठ

नौ बच्छर के संतराम डबल रोटी खाय बर सतरा दिन ले दू कोरी रुपया जमा करेबर ऐती ओती हाथ लमावत हे। जब ले डबल रोटी के नांव ल सूने हे तब ले ओकर मन उही में अटक गे हावय, फेर गरीब के लईका बर दू कोरी माने चालीस रुपया चार लाख आय।दाई ददा तो पहिलीच ले नई हे। मंदहा ममा के घर रहिके बाढ़त हे। मामी के हिरदे मा ममता ह कहां लुकाय हे तेला संतराम दू बच्छर ले खोजत हे।गांव के सरकारी इस्कूल मा बिहनिया ले मध्यान भोजन के…

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मोर छत्तीसगढ़ मइयां

मोर छत्तीसगढ़ मइयां। परथंव मंय तोरे पइयां। बासी के खवइया, मइयां हो sss सुग्घर बोली मीठ लागे न। हो मइयां हो sss हरियर अंचरा नीक लागे न। सुवा पंथी करमा ददरिया, नाचा मन ल भावय ग। झांझ मंजीरा घुँघरू मांदर, संगे संग सुनावय ग। नाचे कलगी मुड़ म खोंचे। गौरा गौरी मुड़ म बोके। धोती कुरता म रउत नाचय sss पंडवानी के गवइया, मइयां हो sss सुग्घर बोली मीठ लागे न। हो मइयां हो sss हरियर अंचरा नीक लागे न। मेहनत मंजूरी हमर किसानी, जिन्गी भर ले करना हे। पोइल्का…

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बोधन राम निषाद राज के गीत

ए माटी हा चन्दन हे ए माटी मा हीरा मोती,ए माटी हा चन्दन हे। मोर छत्तीसगढ़ माई,एला सौ सौ बंदन हे।। ए माटी मा हीरा मोती……………. जनम धरेंव खेलेंवे कूदेंव,ए माटी के अँगना। धुर्रा माथा मा लगायेंव,भाई बहिनी सँगना।। भरे कटोरा धान के, कोठी ढोली कुंदन हे। ए माटी मा हीरा मोती……………. मोर गँवई गाँव सबो, तीरथ चारों धाम हे। सेवा करबो मेवा पाबो,कोरा मा आराम हे।। घर मुहाटी डोकरी दाई,देखै बइठे दर्पन हे। ए माटी मा हीरा मोती…………….. पावन छत्तीसगढ़ के भुईयाँ,माई हा बिराजे। गाँव मा ठाकुर देवता, शीतला…

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कभू तो गुंगवाही

कईसे के बांधव मोर घर के फरिका, जरगे मंहगाई नेता मन करथे बस बईठका I कोनों दांत निपोरथे, कतको झिन खिसोरथे, कुर्सी म बैठके कुर्सी भर ल तोड़थे I अज्ररहा नेता कईके मंगतीन देथे गारी, गोसैईया किथे इही मन ताय हमर बिपत के संगवारी I तरुवा सुखागे मंहगाई के आगी म, उपराहा होगे लेड़गा के गाँव म सियानी I कोन जनी कोन ह बघवा असन ललकारही, जम्मों पैहा मन जब कुकुर असन भागही I गुंगवाही कभू तो ककरो चुल्हा के आगी, तभेच मुड़ी धरके बईठही भ्रषटाचारी नेता अऊ बैपारी I…

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बेंदरा बिनास

चार पहर रतिया पहाईस ताहने सूरुज नरायण ललाहूं अंजोर बगरावत निकलगे। ठाकुरदिया के नीम अउ कोसुम के टीप डंगाली म जइसे रउनिया बगरिस रात भर के जड़ाय बेंदरा मन सकलागे । मिटींग बरोबर बइठे लागिस ,उंहे बुचरवा मन ए डारा वो पाना डांहके लागिस । मोठ डांट असन ह बने सबो झिन के बिचवाड़ा म बइठगे। जरूर उंकर दल के सरपंच होही वो ढुलबेंदरा ह। जाड़ के मारे घर ले निकले के मन नइ होत रिहीस हे फेर निकल गेंव ,कोनो जड़जुड़हा झन काहय कहिके। बिना आधार नंबर लिंक करे…

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नवा बिहान

नवा बछर के नवा अंजोर, थोकिन सुन गोठ ल मोर। उही दिन होही नवा बिहान, जेन दिन छूटही दारू तोर। तोला कहिथे सब झन चोर, कोठी के धान बेचे बर छोर। उही दिन होही नवा बिहान, जेन दिन छूटही दारू तोर। जगा-जगा सुते दांत निपोर, मांगथस तै चिंगरी के झोर। उही दिन होही नवा बिहान, जेन दिन छूटही दारू तोर। बाई के झन मुड़ी ल फोर, मया के माटी मं घर ल जोर। उही दिन होही नवा बिहान, जेन दिन छूटही दारू तोर। लइका बर जहर झन घोर, खेलय सुघ्घर…

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