अवईया बछर मा चुनाव होवईया हे, त राजनीतिक दाँव-पेच अउ चुनाव के जम्मों डहर गोठ-बात अभी ले चालू होगे हे। अउ होही काबर नही, हर बखत चुनाव हा परे-डरे मनखे ला हीरो बना देथे अउ जबर साख-धाख वाला मनखे ला भुइयाँ मा पटक देखे। फेर कतको नेता हा बर रुख सरीख अपन जर ला लमा के कई पीढ़ी ले एके जगा ठाड़े हे। अउ कतको छुटभईया नेता मन पेपर मा फोटू छपवा-छपवा के बड़े नेता बने के उदीम करथे। फेर चुनाव हा लोकतंत्र के अइसन तिहार आय जेमा लोगन ला…
Read MoreYear: 2017
मोर छत्तीसगढ़ के किसान
मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला कहिथे भुंइया के भगवान । भूख पियास ल सहिके संगी , उपजावत हे धान । बड़े बिहनिया सुत उठ के, नांगर धर के जाथे । रगड़ा टूटत ले काम करके, संझा बेरा घर आथे । खून पसीना एक करथे, तब मिलथे एक मूठा धान । मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला कहिथे भुंइया के भगवान । छिटका कुरिया घर हाबे, अऊ पहिनथे लंगोटी । आंखी कान खुसर गेहे , चटक गेहे बोडडी । करजा हाबे ऊपर ले , बेचागे हे गहना सुता । साहूकार घर में…
Read Moreपूस के जाड़
पूस के जाड़, पहाथे लटपट। मोर कुंदरा म घाम, आथे लटपट। मोर बाँटा के घाम ल खाके, सरई – सइगोन मोटात हे। पथरा – पेड़ – पहाड़ म, मोर जिनगी चपकात हे। गुंगवात रिथे दिन – रात, अँगरा अउ अँगेठा। सेंकत रिथे दरद ल, मोर संग बेटी – बेटा। कहाँ ले साल-सुटर -कमरा पाहूं? तन चेंदरा म, तोपाथे लटपट। पूस के जाड़ , पहाथे लटपट। मोर कुंदरा म घाम,आथे लटपट। मोर भाग दुख, अतरा होगे हे। भोग-भोग के मोर तन,पथरा होगे हे। सपना म सुख, घलो दिखे नही। मोर भाग…
Read Moreगँवई गाँव : शक्ति छंद
बहारे बटोरे गली खोर ला। रखे बड़ सजाके सबो छोर ला। बरे जोत अँगना दुवारी सबे। दिखे बस खुसी दुख रहे जी दबे। गरू गाय घर मा बढ़ाये मया। उड़े लाल कुधरिल गढ़ाये मया। मिठाये नवा धान के भात जी। कटे रात दिन गीत ला गात जी। बियारी करे मिल सबे सँग चले। रहे बाँस के बेंस थेभा भले। ठिहा घर ठिकाना सरग कस लगे। ददा दाइ के पाँव मा जस जगे। बरे बूड़ बाती दिया भीतरी। भरे जस मया बड़ जिया भीतरी। बढ़ाले मया तैं बढ़ा मीत जी। हरे…
Read Moreरायपुर नगर निगम के मयारू : ठाकुर प्यारे लाल
अगस्त सन् 1937 म जब ठाकुर प्यारे लाल साहब रायपुर मुनिसपल कमेटी के अध्यक्ष चुने गीन तब मुनिसिपल कमेटी म डेढ़ लाख रूपिया के करजा रहिस। मुनिसिपल कमेटी के कर्मचारी मन के तरक्की छै-सात बछर ले रूके परे रहिस। इही हालत स्कूल के गुरूजी मन के घलोक रहिस। शहर के सड़क उखर गए रहिस, स्कूल के छत अतका टपकत रहिस के पढ़इया लइका मन ल स्कूल म बइठके पढना मुश्किल हो गए रहिस। ठाकुर साहब के दू साल के प्रेसीडेंटी म सब करजा अदा होगे, सड़क मन के हालत सुधार…
Read Moreसोनाखान के आगी – लक्ष्मण मस्तुरिया
धरम धाम भारत भुइयां के मंझ म हे छत्तीसगढ राज जिहां के माटी सोनहा धनहा लोहा कोइला उगलै खान जिहां सिहावा के माथा ले निकले महानदी के धार पावन पैरी सिवनाथ तीर सहर पहर के मंगल हार जोंक नदी इन्द्रावती तक ले गढ़ छत्तीसगढ़ छाती कस उत्ती बर सरगुजा कटाकट दक्खिन बस्तर बागी कस पूरब ले सारंगढ गरजै राजनांदगांव पच्छिम ले एक न एक दिन रार मचाहीं बेटा मोर सोन पंखिन के जिहां भिलाई कोरबा ठाढे पथरा सिंरमिट भरे खदान तांबा पीतल टीन कांछ के इही माटी म थाथी खान…
Read Moreसुरता गजानंद परसाद देवांगन
9 दिसमबर पुन्यतिथि धरती म जनम धरना, जीना खाना अऊ एक दिन इंहा ले चले जाना, अइसन जीवन कतको मनखे जीथे। फेर, बहुतेच कमती मनखे अइसे होथे, जेन दूसर बर जीथे अऊ अपन जिनगी के एकेक समे ला परमारथ म लगाथे। समाज अऊ देस हित बर समरपित होके सुख अऊ सनतोस के अनुभौ करथे। अइसने समाज, सनसकीरीति, साहित्य अऊ धरम बर समरपित बिभूति रहिस सिरी गजानंद परसाद देवांगन जी हा। जेन ला कभु रमायन परबचन, कभु कबिता पाठ त कभु सांसकरीतिक मंच के सनचालन करत देखंय लोगन हा। अभु घला…
Read Moreबीड़ी ला सिपचा ले भइया
बीड़ी ला सिपचा ले भइया, मन ला अपन मढ़ा ले भइया. एती – ओती काबर जाना, रद्दा अपन बना ले भइया. दुनिया के सब रीत गजब हे, पैती अपन जमा ले भइया. जतका लंबा चद्दर हावय, ओतका पाँव लमा ले भइया. दुनिया ले एक दिन जाना हे, कर करम,पुन कमा ले भइया. कहे कबीर जग रोनहा हे, ये जग ला हँसा ले भइया. ‘बरस’ के बुध पातर हावय, अंतस अपन जगा ले भइया, बलदाऊ राम साहू 9407650457 (सिपचा ले = जला लो, एती-ओती = इधर-उधर, पैती जमा ले = स्थिति…
Read Moreसुनय सबके, करय अपन मन के : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! सुनय सबके अउ करय अपन मन के रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमन ला भगवान हर मुंह एक ठन अउ कान दू ठन देहे हावय काबर कि हमन सुने के बुता जादा अउ गोठियाय के बुता कम करन फेर हमर से अइऐ हो नई सकय काबर कि हमन बोले के बुता जादा अउ सुने के बुता कम करथन अउ एखरे सेती हमन ला कभू-कभू…
Read Moreकिसान के पीरा
आज के दिन बादर ह मोला समझ म नइ आवय। एक डाहर राज्य सरकार मन ह किसान मन के करजा ल माफ करेबर परियास करथे, उहचे दूसर डाहर केन्द्र म बइठे नेता मन ह उही करजा के हाँसी उड़ाथे कि एहा आज काली फेशन बनगे हवै। इहाँ किसान मन ह करजा के मारे लदाके अपन जान घलो दे देवथे अऊ मंत्री मन वहू मा कमेंट मारे बर नइ छोड़त हवै। आज बिहिनिया कुन मेहा पेपर ल पलटत रेहेव त पढ़ेव कि आज एक झन अऊ किसान भाई ह करजा के…
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