भव्यता के इतिहास लिए मनखे मनखे ल अँजोर करत जनमानस में अथाह बिसवास के नाव बदना के दाई बोहरही माई सबो मनखे बर एक तारनहार आय। आज ये जगा ह लोगन के आसथा अऊ भक्ति के प्रतीक माने जाथे, एक बार जेन ह ठाकुर देव बोहरही माई ल सुमर के बदना बदथे त जरूर ओकर मनोकामना ह पूरा होथे। अईसन बिसवास के नाव आय, सोजे सोज गोठ ये, मनोकामना पूरा होथे तभे मनखे मन आके ईहा बदना ल बदथे। पुरखा जमाना ले चलत आवत हे कोनों धन संपति, कोनों संतान…
Read MoreYear: 2017
सोनाखान के शान: वीर नारायण महान
छत्तीसगढ राज हा अपन पोठ खनिज संपत्ती के कारन देश-बिदेश मा परसिद्ध हावय। इहां चारो खुँट जंगल के हरियाली अउ अन-धन के अगाध खुशहाली बगरे हावय। धान-पान अउ ओनहारी बर हमर राज मा भन्डार आगर भरे रथे। एखरे सेती धान के कटोरा हमर छत्तीसगढ राज हा कहाथे। धरम-करम अउ दान-पुन मा घलाव हमार ए राज हा अघुवा हावय। मंदिर-देवाला,मेला-मङई,तीरथ-बरथ के कोनो कमी नइ हे। परकीती हा घलो हमर राज ला अंतस ले मया लुटाय हावय तभे तो इहां नंदिया-नरवा,कछार-भाँठा,मइदान,घाटी अउ खेत-खलिहान के भरमार हे। सबले बङे बात हमर ए नेवरिया राज…
Read Moreओनहारी-सियारी
हरुना धान लुवागे संगी अब ओनहारी घलो उतेरबोन कन्हार माटी चिक्कट चिक्कट ओनहारी बर बिजहा खोजबोन लाख लाखड़ी जिल्लो बिजहा ओनहारी सियारी उपजाबोन धान-पान घलो लुवा टोरागे हांक दुन नांगर जोतबोन पाग आय उतेरा के हरिया हरिया बोबोन अरसी मसुर चना बटर कोढ़ियाके कोढ़ा देबोन खातु कचरा दवा दवई बने पेढ़ाय बर छितबोन कियारी बनाके नाली रेंगाके नहर पानी ल पलोबोन!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreपताल के भाव
हाय रें हाईबिरिड पताल तोरो अलगेच अलग भाव बेचावत हे पचास साठ रुपया मंहगाई बढ़गे कांव-कांव अमीरहा गरीबहा मनखे बर सबो बर हे एक भाव गरीब आदमी कईसे नपाहि बिसावत हे एक पाव बड़े आदमी खा खाके निकालत हे अपन पेट अंडा मुरगी मांस बरोबर भोगा गेहे एकर रेट देसी बिदेसी हाई बिरिड मंहगाई म घटगे वेट मंहगाई के मार ल देखेके सबो के चढ़गेहे चेत!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
Read Moreशिक्षाकर्मी के पीरा
महिमा गुरू के हावय महान काबर हमन हन अनजान जाड मा संगी झन खावा खीरा कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा एहा जम्मो बुता करे बुता करके बिमार परे नई करय कोनो काम अधुरा कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा आगे चुनाव अउ जनगणना एखर होगे अब तो मरना आदेश ला एहा पुरा करहि ततो एला रोटि मिलहि मंहगाई के जुग मा तडपत हावय भुख मा एला देवा वेतन पुरा कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा वेतन एखर जब मिलहि परिवार के चेहरा तब खिलहि उंट के मुंह मा जइसे…
Read Moreजाड़ ह जनावत हे
चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे,भारी चहचहावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे। हसिया धर के सुधा ह,खेत डाहर जावत हे। धान लुवत-लुवत दुलारी,सुघ्घर गाना गावत हे। लू-लू के धान के,करपा ल मढ़ावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे। पैरा डोरी बरत सरवन ,सब झन ल जोहारत हे। गाड़ा -बइला में जोर के सोनू ,भारा ल डोहारत हे धान ल मिंजे खातिर सुनील,मितान ल बलावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।। पानी ल छुबे त ,हाथ ह झिनझिनावत हे। मुहू में डारबे त,दांत ह किनकिनावत…
Read Moreछत्तीसगढ़ के आसा, छत्तीसगढ़ी भासा
(छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस, 28 नवम्बर 2017 बिसेस) भासा के नाम म एक अऊ तामझाम के दिन, 28 नवम्बर। बछर 2007 ले चले आथे। ये दिन गोठ-बात, भासनबाजी, छत्तीसगढ़ी गीत-कविता, किताब बिमोचन, पुरस्कार बितरन। बस ! मंच ले उतरे के बाद फेर उही हिन्दी-अंगरेजी म गोठ। छत्तीसगढ़ी ल तिरया देथे । आज छत्तीसगढ़ी राजभासा के जनमदिन ए। राजनीतिक-समाजिक नेता, पत्रकार-साहितकार, कलाकार-कलमकार, अधिकारी-करमचारी अऊ जम्मो छत्तीसगढ़िया बर गुनान करे के दिन ए । सबे कहिथे के छत्तीसगढ़ी बड़ गुरतुर भासा ए। एकर गोठ ह अंतस म उतरथे। एकर ले अक्तिहा छत्तीसगढ़ी के…
Read Moreमैं वीर जंगल के : आल्हा छंद
झरथे झरना झरझर झरझर,पुरवाही मा नाचे पात। ऊँच ऊँच बड़ पेड़ खड़े हे,कटथे जिँहा मोर दिन रात। पाना डारा काँदा कूसा, हरे मोर मेवा मिष्ठान। जंगल झाड़ी ठियाँ ठिकाना,लगथे मोला सरग समान। कोसा लासा मधुरस चाही,नइ चाही मोला धन सोन। तेंदू पाना चार चिरौंजी,संगी मोर साल सइगोन। घर के बाहिर हाथी घूमे,बघवा भलवा बड़ गुर्राय। आँखी फाड़े चील देखथे,लगे काखरो मोला हाय। छोट मोट दुख मा घबराके,जिवरा नइ जावै गा काँप। रोज भेंट होथे बघवा ले, कभू संग सुत जाथे साँप। लड़े काल ले करिया काया,सूरुज मारे कइसे बान। झुँझकुर…
Read Moreजड़कला मा करव योग रहव निरोग
हमर देस मा मउसम (रीतु)ल छे भाग मा बाटे हावय जेमा तीन मउसम गरमी,चउमास अउ जड़कला परमुख आय।जड़कला के मउसम हमर तन के अड़बड़ अकन परभाव बढ़ाय बर अच्छा होथे।ताकत, रकत, बिमारी ले लड़े बर प्रति रोधक। ए माउसम मा खाय पिये के बने बने जिनीस घलो मिलथे।लालभाजी,पालक, चनाभाजी, राखड़ी तिवरा भाजी आनी बानी के आयरन वाला भाजी खाना चाहिए। नरियर,चना,गुर अउ गरीब के बदाम फल्ली दाना ल जौन ए मउसम मा खाही ओला डाक्टर जगा जाय के जरुरत नइ परय।गाजर खाय के घलो बनेच फायदा हे। ये मउसम मा…
Read Moreजौँहर करथस ओ
जौँहर करथस ओ तहू ह संझा-बिहनिया । अपन कनिहा ल मटका के। घेरी बेरी तोर कजरेरी नैना ल मोर नैन संग मिला के। दिखथस तै ह टना-टन। अउ मोरे तीर ले किंजरथस। लगा के लाली लिपिस्टिक । होंठ म, धेरी-बेरी संवरथस। पाये हस कुदाये बर इसकुटी ल। अब्बड़ ओमा तै किंजरथस। देख के मोर फटफटी ल, आघु ले मोरेच मेर झपाथस। जौँहर करथस तहू ह ओ, जब अपन कनिहा ल मटकाथस। अनिल कुमार पाली तारबाहर बिलासपुर [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
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