छन्द-बिरवा (छत्तीसगढी छन्द संग्रह) चोवाराम ‘बादल’ प्रकाशक आशु प्रकाशन पता- प्लाट नं. 509 मिलेनियम चौक सुंदर नगर, रायपुर (छग) मोबाईल : 09302179153 भूमिका श्री चोवाराम ‘बादल’ छत्तीगढ़ी के जाने चिन्हें कवि हैं। इनमन ‘छंद-बिरवा’ ले जउन संग्रह सौंपत हें, ओहर छातछात छंद के बिरवा बनगे हे। एही ये पोथी के बिसेसता हे अउ छत्तीसगढ़ी भाव अउ विचार ल मात्रिक अउ वर्णिक छंद मा बांधे-छांदे के उदिम घलो। इन छंद के बिसेसता ल बतात आचार्य के पदनी ल धारन कर लेथें अउ उदाहरण के रूप म अपन कविता ल दे के कवि…
Read MoreMonth: January 2018
छत्तीसगढ़ी लघु कथा : दांड़
सुन्ना घर पइस त सुकालू ह सुखिया के हाथ-बांह ल धर दिस। ये गोठ ह आगी सरीक गांव भर मं फइलगे, फेर का गांव मं पंचइत सकलइस, पंचइत मं पंच मन ह दुनों झिन ल पूछिस, अउ दुनों डहार के गोठ ल सुन के कहिस, सुकालू ल सुखिया करन बिहाव करे ल परही, सुकलु तंय हर तियार हस कि नइ बिहाव करे बर। सुकलू ह कहिस, मय तियार हंव। सुखिया ह चिहर के कहिस, मेहां ये दोखहा करन बिहाव नइ करंव जेन ल माईलोगिन के मान अउ सनमान के फिकर…
Read Moreछत्तीसगढी गीत अउ साहित्य
तीन बछर पहिली के बात हरे। में ह अपन एक झन संगी दुनों एक ठ परीक्छा देवाय खातिर गे रहेंव। परीक्छा सुरू होय म थोरिक समे रिहिस त थोरिक मन बहलाय बर अपन मुबाईल म छत्तीसगढी गीत सुने लागेंव। ओतका बेर में हा पारंपरिक ददरिया गीत सुनत रेहेंव। मोर मुबाईल के गीत ल सुनके वो संगी ह किथे-तोर गाना ल बंद कर यार! में पूछेंव-काबर? वो हा किहिस-छत्तीसगढी गीत घटिया रथे। मत सुने कर। जेन संगी के में ह बात करत हंव वो संगी ह मूलत:राजस्थानी हरे। फेर उंकर परवार…
Read Moreनान्हे कहिनी – मन के पीरा
आज बिहनिया जुवार चंपा अउ रमेसरी नल मेर पानी भरे के बेरा म संघरिन त चंपा ह रमेसरी ल ठिठोली करत पूछथे-का होइस बहिनी! काली तो तोला देखे बर सगा उतरे रिहिस का? रमेसरी ओकर सवाल के अनमनहा जुवाब देवत किथे-हव रे! सगा मन आइन। चहा पीइन अउ फोन नंबर मांगके चलते बनिन। चंपा फेर पूछथे-अई! का होगे बहिनी। सुंदर -रूप म तो बने हस गोई! फेर बारमी किलास तक पढे तो घलो हस। फेर काबर नखरा मारिस दोगला मन!! रमेसरी किथे-मोर पढई ह मोर जी के जंजाल होगे हे…
Read Moreदोहालरी – दामाखेड़ा धाम
1-माघी पुन्नी मा चलव, दामाखेड़ा धाम। दरशन ले साहेब के, बनथे बिगड़े काम। 2-धर्मदास सतगुरु धनी,धरम नगर दरबार। दामाखेड़ा धाम के, चारों खुँट जयकार। 4-उग्रनाम साहेब जी, होइन संत फकीर। धरम नगर मा आ बसे, ब्यालिस अंश कबीर। 5-प्रगटे हें तिथि दसरहा, श्री प्रकाशमुनि नाम। दरस चरन गुरु के मिलय, दामाखेड़ा धाम। 6-माघ पंचमी शुभ घड़ी,सादर चढ़य गुलाल। दसमी ले पुन्नी जिहाँ, लगय संत चौपाल। 7-माँस सबो हा एक हे, का छेरी का गाय। मार काट जे खात हे, मरत नरक मा जाय। 8- एक बरोबर जात हे, मनखे एक…
Read Moreदामाखेड़ा धरम धाम के मेला
माघी पुन्नी मा चलव, दामाखेड़ा धाम। दरसन ले साहेब के,बनथे बिगड़े काम। मनखे हा समाज ले अलग अकेल्ला कभूच नइ रही सकय अउ मनखे ले धरम हा अलग नइ हो सकय। आज देश अउ दुनिया रंग-रंग मनखे हे ता ओखर संग रंग-रंग के धरम अउ संप्रदाय घलाव जुड़े हावय। ए मामला मा हमर छत्तीसगढ़ हा घलो आरुग नइ हे। इहों रिंगी-चिंगी धरम अउ संप्रदाय हावय। अइसने एकठन कबीर पंथ हमर छत्तीसगढ़ मा चलन मा हावय। कबीर पंथ के बिचार अउ बेवहार,विधि-विधान जस के तक इहों चलागत मा हे जइसे संसार…
Read Moreगज़ल
बदलगे तोर ठाठबाट अउ बोली,गोठियात हे सब झन ह मंदरस कहां ले बरसय ,करेला कस होगे हे जब मन ह पोत के कतको कीरिम पवडर,सजा ले अपन बाना ल नइ दिखय सुघ्घर मुरत तोर, जब तड़के रइही दरपन ह! चारों खुंट लाहो लेवत हे, बड़े बड़े बिखहर बिछुरी सांप संगत म अब सुभाव देख,बदले कस दिखत हे चंदन ह भोकवाय गुनत रही जाबे, देख नवा जमाना के गियान सियानी धराके नान्हे हांथ कलेचुप बुलकत हे ननपन ह बिरथा हो जाही पोसे तोर,मन म अकल के घोड़ा घमंड सुधबुध सबो गंवा…
Read Moreपंच परमेश्वर के झगरा मा नियाव कइसे होही
इतवार के दिन संझा रमेसर के बेटी के आनजात होय के नियाव के बइटका सकलाय के हांका परिस। गांव के सियान मन संझा समाजिक भवन मा सकलाइन। आठ गांव के परमुख सियान घलो बलाय रहिस।कुरियाभर चमाचमा के मनखे बइठ गे। गांव के परमुख सियान ह पुकार करिस- रमेसर , बता जी कायबर बला हस? रमेसर कहिस मोर नोनी ह आनजात होगे। समाज मोला छोड़ देहे। मै समाज के संग मा रहू ,मोला लहरा ले लव। गरीब मनखे ल समाज ले बाहिर होके जिनगी बिताय बर दूभर हो जाथे, चार गंगा…
Read Moreछत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा के नइ होत हे विकास
अठ्ठारा बछर होगे हे, हमर छत्तीसगढ़ राज ल बने, अउ दस बछर होवत हे छत्तीसगढ़ राज भासा आयोग ल बने। तभो ले अभी तक छत्तीसगढ़ी भाखा के कोनो विकास नइ हो पाये हे, कतको जघा मनखे मन ये नइ जान सके हे कि छत्तीसगढ़ी ह बोली आए के भाखा। आजो तक ले कतको मनखे मन ये गोठ म संसो करथे, बोली कहबो त पुरा छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी ल गोठियावय नही अउ भाखा हे त अठ्ठारा बछर म ना आयोग अउ न ही सरकार येला अनुसूची म सामिल करा पाये हे।…
Read Moreबाबा के सात सिद्धांत अउ सतनाम मनइया
हमर छत्तीसगढ़ के भूइंया हा पबरित अउ महान हे जेमा बड़े बड़े ग्यानिक अउ बिद्वान मन जनम धरीन।जौन देस अउ समाज ल नवा रद्दा बताइन।छत्तीसगढ़ बीर मन के भुइंया हरे फेर इही भुइंया मा गहिरागुरु, स्वामी आत्मानंद जइसन समाज सुधरइया अउ रद्दा बतइया मन जनम धरीन। इही मा एक नाव गुरु बाबाघासीदास घलो हे। जौन छत्तीसगढ़ के माटी मा बच्छर 1756 मा महंगूदास अउ अमरौतिन के कोरा ला धन्य करिन। गुरु घासीदास के जनम जौन बखत होइस ओ बेरा समाज हा जातिभेद, टोनहा टोनही,ऊंचनीच, गरीबी, दरिद्री ले जुझत रहिस।छुआछूत के…
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