सरग ह जेखर एड़ी के धोवन, जग-जाहरा जेखर सोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुईयां हवय मोर॥ कौसिल्या जिहां के बेटी, कौसल छत्तीसगढ़ कहाइस, सऊंहे राम आके इहां, सबरी के जूठा बोइर खाइस। मोरध्वज दानी ह अपन, बेटा के गर म आरा चलाइस, बाल्मिकी के आसरम म, लवकुस मन ह शिक्षा पाइन। चारों मुड़ा बगरे हे जिहां, सुख-सुम्मत के अंजोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुंईयां हवय मोर॥ बीर नारायन बांका बेटा, आजादी के अलख जगाए, पंडित सुन्दरलाल शर्मा, समता के दिया जलाए। तियाग-तपस्या देस प्रेम के, कण-कण ह गीत…
Read MoreMonth: January 2018
तंय उठथस सुरूज उथे
जिहां जाबे पाबे, बिपत के छांव रे। हिरदे जुड़ा ले आजा मोर गांव रे।। खेत म बसे हाबै करमा के तान। झुमरत हाबै रे ठाढ़े-ठाढ़े धान।। हिरदे ल चीरथे रे मया के बान। जिनगी के आस हे रामे भगवान।। पीपर कस सुख के परथे छांव रे। हिरदे जुड़ा ले, आजा मोर गांव रे। इहां के मनखे मन करथें बड़ बूता। दाई मन दगदग ले पहिरे हें सूता। किसान अउ गौंटिया, हाबैं रे पोठ। घी-दही-दूध-पावत, सब्बो हें रोठ। लेवना ल खोंच के ओमा नहांव रे। हिरदे जुड़ा ले, आजा मोर गांव…
Read Moreधन-धन रे मोर किसान
धन-धन रे मोर किसान धन-धन रे मोर किसान मैं तो तोला जानेव तैं अस, तैं अस भुंइया के भगवान। तीन हाथ के पटकू पहिरे मूड मं बांधे फरिया ठंड-गरम चऊमास कटिस तोर काया परगे करिया कमाये बर नइ चिन्हस मंझंन सांझ अऊ बिहान। तरिया तीर तोर गांव बसे हे बुडती बाजू बंजर चारो खूंट मं खेत-खार तोर रहिथस ओखर अंदर इंहे गुजारा गाय-गरू के खरिका अऊ दइहान। तोर रेहे के घर ल देखथन नान-नान छितका कुरिया ओही मं अंगना ओही मं परछी ओही मं सास बहुरिया एक तीर मं गाय…
Read Moreछत्तीसगढी फिलिम अउ लोककला मंच के’दीपक’ शिवकुमार
शिवकुमार दीपक ह छत्तीसगढी फिलिम अउ लोक कला मंच के स्थापित हास्य कलाकार ए। इंकर कला यात्रा नानपन ले सुरू होगे रिहिस। नानपन म रामलीला, कृष्ण लीला, नाचा देखे बर घर म बिना बताय संगवारी मन संग दूसर गांव चल देत रिहिस। इमन स्कूल नई जाके संगी-साथी मन संग टोली बनाके ककरो सुन्ना घर म लीला अउ नाच के खेल खेलंय। एक समे अइसन आइस जब नागपुर म अखिल भारतीय युवा महोत्सव म ‘जीवन पुस्प’ नाटक के प्रदर्शन करे के मउका मिलिस। देस के पहिली प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ह…
Read Moreकागज के महल
अमबेडकर के मुरती के आघू म, डेंहक डेंहक के रोवत रहय। तिर म गेंव, ओकर खांद म हाथ मढ़हा के, कारन पुछत चुप कराहूं सोंचेंव फेर, हिम्मत नी होइस, को जनी रोवइया, महिला आय के पुरूस ……? एकदमेच तोप ढांक के बइठे रहय, का चिनतेंव जी ……। चुप कराये खातिर, जइसे गोठियाये बर धरेंव, ओहा महेला कस अवाज म, चिचिया चिचिया के, गारी बखाना करे लगिस। मोला थोकिन अच्छा नी लगिस। ओकर तिर जाके, गारी बखाना ले बरजे बर, ओकर खांद म, जइसे अपन हाथ मढ़हाये बर धरेंव, ओला को जनी मोर इसपर्स के का…
Read Moreपताल के चटनी
चीरपोटी पताल अऊ बारी के मिर्चा डार के सील मे, दाई ह चटनी बनाय जी, सिरतान कहात हंव बड़ मिठावय, दु कंवरा उपराहा खवाय जी, रतीहा के बोरे बासी संग, मही डार के खावन, अपन हांथ ले परोसय दाई, अमरीत के सुख ल पावन, बदल गे जमाना, सील लोड़हा ह नंदागे जी, मनखे घलो बदल गे संगे संग, मसीन के जमाना आगे जी, अब बाई बनाथे चटनी, मिक्सी में पीस के, थोरको नई सुहाय जी, गरज टारे कस पीस देथे थोरको मया नई मिलाय जी। बिहनीया के गोठ आय, भैया…
Read Moreअलकरहा जाड़
अलकरहा जाड़ के भईया होगे एंसो चढ़ाई हे। बीच बतीसी कटकट माते बीन हथियार लड़ाई हे।। जाड़ खड़े-खड़े हांसत हे कथरी बिचारी कांपत हे। आगी भकुवाय परे हे कमरा सेटर कांखत हे।। करिया भुरुवा बादरा रही रही मटमटावत हे। रगरग ले ऊवईया घलो सुरुज देव लजावत हे।। खरसी भूंसा मा डोकरी दाई गोरसी ला सिरजाये हे। भाग जतीस जाड़ रोगहा बारा उदिम लगाये हे ।। गोरसी घेरे कुला जरोवत टुरा अभी ले बईठेच हे। बेरा चढ़गे होगे मंझनिया फेर हाड़ागोड़ा अईंठेच हे।। होवत बिहिनिया के उठई संगी अब्बड़ बियापत हे।…
Read Moreकोड़ो-बोड़ो- नवा बच्छर मा नवा उतसव*
> >> > > >> > *********************************************************************************** > >> > सबले पहिली आप सबो ला नवा बच्छर के नंगत बधई अउ शुभकामना > >> > हावय। > >> > मोर अंतस के इही उद्गार हे के सरी संसार हा हाँसत-गावत अउ मुसकावत नवा > >> > बच्छर के > >> > सुवागत करयँ अउ पूरा बच्छर भर हा बिघन-बाधा के बिन बित जावय। कोनो हा पाछू > >> > साल > >> > के कोनो गलती ला कोनो गलती ले झन दोहरावँय। नवा साल हा दगदग ले, रगरग ले >…
Read Moreछब्बीस जनवरी मनाबो “
छब्बीस जनवरी मनाबो संगी , तिरंगा हम फहराबो। तीन रंग के हमर तिरंगा, एकर मान बढाबो । ए झंडा ल पाये खातिर , कतको जान गंवाइस। कतको बीर बलिदानी होगे , तब आजादी आइस । हमर तिरंगा सबले प्यारा , लहर लहर लहराबो। छब्बीस जनवरी मनाबो संगी , तिरंगा हम फहराबो। चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह , जनता ल जुरियाइस। वंदे मातरम के नारा ल , जगा जगा लगाइस । सुभाष चंद्र बोस ह संगी , जय हिन्द के नारा बोलाइस। आजादी ल पाये खातिर , जनता ल जगाइस । वंदे मातरम…
Read Moreमुक्का उपास
माघ महीना के अमावसिया ला मौनी अमावसिया कहे जाथे। एहा एक परब बरोबर होथे एखरे सेती एला मुक्का उपास के परब कहीथे। ए दिन ए परब के बरत करइया मन ला कलेचुप रहीके अपन साधना ला पूरन करना चाही। मुनि सब्द ले मौनी सब्द हा बने हावय। एखर सेती ए बरत मा कलेचुप मउन धारन करके अपन बरत ला पूरा करइया ला मुनि पद हा मिलथे। ए दिन गंगा-जमुना मा असनांद करना चाही। ए अमावसिया हा सम्मार के परगे ता अउ जादा बाढ़ जाथे। ए दिन धरती के कोनो कोन्टा…
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