व्यंग्य : बटन

जब ले छुए वाला (टच स्क्रीन) मोबईल के चलन होय हे बटन वाला के कोनो किरवार करईया नइ दिखय। साहेब, सेठ ले लेके मास्टर चपरासी ल का कबे छेरी चरईया मन घलो बिना बटन के मोबईल म अंगरी ल एति ले ओति नचात रहिथें। अउ काकरो हाथ म बटन वाला मोबईल देख परही त वो ल अइसे हिकारत भरे नजर ले देखथे जानोमानो बड़ भारी पाप कर डारे होय। फेर ये बटन नाम के जिनिस हमर जिनगी म कइसन कइसन रुप लेके समाय हे, सब जानथे। हमर दिन के शुरवात…

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हे गुरु घासीदास – दोहालरी

पायलगी तोला बबा, हे गुरु घासीदास। मन अँधियारी मेट के, अंतस भरव उजास। सतगुरु घासीदास हा, मानिन सत ला सार। बेवहार सत आचरन, सत हे असल अधार। भेदभाव बिरथा हवय, गुरु के गुनव गियान। जात धरम सब एक हे, मनखे एक समान। झूठ लबारी छोड़ के, बोलव जय सतनाम। आडंबर हे बाहरी, अंतस गुरु के धाम। चोरी हतिया अउ जुआ, सब जी के जंजाल। नारी अतियाचार हा, अपन हाथ मा काल। जउँहर जेवन माँस के, घटिया नशा शराब। मानुस तन अनमोल हे, झनकर जनम खराब। मुरती पूजा झन करव, पोसव…

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काकर लइका होइस – छत्‍तीसगढ़ी लघु कथा

सुखिया ह नवा-नवा बहू बनके आय रहिस। गांव के मन नवा बहूरिया ल देखे बर आवय त काहय,मनटोरा तय हर अपन सास-ससुर के एके झन बहू अउ तोर घलो एके झन टुरा,एक के एक्कइस होवय बहिनी, एक दरजन होवन देबे, झट कुन अपरेसन झन करवाबे। मनटोरा ह कहिस,नइ करवांवव बहिनी, महूं लउहा अपरेसन नइ करवाय हंव, मोर टुरा हर सतवासा हरे, छय झन टुरी के बाद होइस हे। सुखिया ल सास-ससुर अउ ओकर मनखे हर अड़बड़ मया करय। दु बछर बीतिस तहां ले मया ह कमतियागे, आधा शीशी नइ होवत…

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महतारी के अंचरा

कलप कलप के चिचियावत हे, महतारी के अंचरा। अब आंसू ले भीग जावत हे, महतारी के अंचरा।। पनही के खीला अब, पांवे म गड़त हे। केवांस के नार अब, छानी मा चढ़त हे।। सूते नगरिहा ल जगावत हे, महतारी के अंचरा।…. कलप कलप….. मरहा खुरहा जम्मो, अंचरा म लुकाईस। हमर बांटा के मया मा, बधिया कस मोटाईस।। दोगला मन ,पोंछा बनावत हे, महतारी के अंचरा… कलप कलप….। परे-डरे लकड़ी ल , पतवार बना देंन। चोरहा मन ला घर के, रखवार बना देंन।। बइमानी मा चिरावत हे, महतारी के अंचरा… कलप…

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चुनाव आयोग म भगवान : व्‍यंग्‍य

नावा बछर के पहिली बिहाने, भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता, ओला सुरू करे के पहिली, अपन देवता ला जरूर सुमिरय। बिहिनिया ले तियार होके निकलीन। मनदीर ले भगवान गायब रहय, मसजिद ले अल्लाह कती मसक दे रहय, चर्च ले ईसा गायब त,…

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कलजुग केवल नाम अधारा : व्‍यंग्‍य

परन दिन के बात हरे जीराखन कका ह बडे बिहाने ले उठ के मोर कना आइस अउ पूछिस-कस रे बाबू! अब अधार बिना हमर जिनगी निराधार होगे का? में ह पूछेंव-का होगे कका? काबर राम-राम के बेरा ले बिगडाहा पंखा बरोबर बाजत हस गा? फेर कनो परसानी आगे का? मोर गोठ ल सुनके वोहा बताइस-हलाकानी ह तो हमर हांथ के रेख म लिखाय हे बेटा! हमन किसनहा हरन न।फेर अभी हम सरकार के आनी-बानी नियम के मारे थर्रा गेहन जी। काली के बात हरे बेटा!, तोर काकी के तबियत थोरकिन…

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छतीसगढ़िया सबले बढ़िया

चिन्ता नईहे कोनो बात के, पाबे इहाँ कमईया। खेले होली म रंग-गुलाल, देवारी म जलाथे इहाँ दिया।। नदिया बईला कथे बईला ल, गाय ल गऊ मईया। कहाथन तभे तो भइया हमन, छतीसगढ़िया सबले बढ़िया।। महामाया माता रतनपुर म, रईपुर म बंजारी मईया। बम्लाई मईया डोंगरगढ के, दंतेवाड़ा म दंतेश्वरी मईया। चरण पखारव मईया तुहर, मेहा संझा बिहनिया। कहाथन तभे तो भइया हमन, छतीसगढ़िया सबले बढ़िया।। राजिम म कुलेश्वर महादेव, अऊ कहाथे कुम्भ नगरिया। जतमई धाम अऊ घटारानी ह, नईहे जादा दूरिहा। गरियाबन्द के भुतेश्वर नाथ, लागो तोर मेहा पइया। कहाथन…

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हमर संस्‍कृति हमर पहिचान

संगवारी हो, हमर हरियर पतित पावन भुइया छतीसगढ़ हवय।महतारी के मयारू कोरा म हमर कला अउ संसकिरीति के पालन पोषण होवत हवय। धान के कटोरा हमर छत्तीसगढ़ के कला अउ संसकिरीति के दुरिहा दुरिहा म पहिचान हवय। हमर छतीसगढ़ के संसकिरीति ह पूरा भारत देश म सबले जादा धनवान संस्कृति के हवय। हरियर भुइया हमर छतीसगढ़ के जतका मीठ संसकिरीति हवय ओतके मीठ हमर गुरुतर भाखा छतीसगढ़ी हवय। करमा ददरिया सुवा पंथी कोन जनि कब ले आगास म गुनंजत् हे उही ला हमर पुरोधा कलाकार मन सहेज के राखे हे।…

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सुरता – गीत संत डॉ. विमल कुमार पाठक

इतवार १४ जुलाई, २०१३ के संझा वीणा पाणी साहित्य समिति कोती ले पावस गोस्ठी के आयोजन, दुर्ग म सरला शर्मा जी के घर म होइस. कार्यक्रम म सतत लेखन बर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अधियक्छ पं.दानेश्वर शर्मा, जनकवि मुकुन्द कौशल, हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ लेखिका डाॅ.निरूपमा शर्मा, संस्कृत हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ लेखिका शकुन्तला शर्मा के सम्मान समिति ह करिस. ये अवसर म डॉ. विमल कुमार पाठक के घलव सम्मान होवइया रहिसे फेर डाॅ.पाठक कार्यक्रम म पधार नइ पाइन. कार्यक्रम बर डाॅ.पाठक के उप्पर लिखे मोर आलेख गुरतुर…

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नवा बछर मोर छत्तीसगढ़ में नवा बिहनिया आही सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जब तक स्वांसा, तब तक आसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर बर तो जिनगी के हर घड़ी, हर मिनट, हर सेकेंड, हर दिन, हर महीना अउ हर बछर हर नवा होथे। जउन मनखे ला ए बात हर समझ आ जाथे वो हर अपन जिनगी के हर घड़ी के उपयोग करे बर सीख जाथे अउ जउन मनखे हर अतके बात ला नई समझ पावय…

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