फिलिम के हीरो प्रकाश अवस्थी जी के पहचान फिलिम में एक अलगे अंदाज म होइस हवे। ये फिलिम म धरम और जात बिरादरी ऊंच नीच के भावना ले दुरिहा पियार अउ मया के जेन रूप होथे तेन ला दिखाय गे हवे, अउ ये फिलिम म हमर स्वच्छ भारत अभियान के जेन मिशन हे तेखर बारे में भी बने किसम से समझाय गे हवे। फिलिम के गाना मन हर मज़ेदार हे अउ जेन लोकेशन हे तेहु भारी सुघ्घर हवे। फिलिम म मनाली के बर्फीला घाटी के जेन सीन दिखाय हे ते…
Read MoreMonth: June 2018
कहिनी : राजा नवयुग के मंत्रीमंडल
सतराज नाव के बड़ सुग्घर राज्य मा सत्यबीर सिंह नाव के प्रतापी राजा राज करय, वइसे तो ओखर नाम बीर सिंग ही रीहिस, फेर जब वोहा राजा बनिस तब राज परंपरा निभाय खातिर बीर सिंह के नाव के आघू मा सत्य जुडगे, ये परंपरा ला उँखर पुरखा मन तइहा जमाना ले चलाय रीहिन, उँखर कहना रीहिस कि राजा ला गियानी अउ पराकरमी होये के संग सत्यवान होना जरूरी हे, अइसे भी सत्य अजेय अमर हे, ये गोठ ला सबो झन तइहा ले मानत हे, अउ वोमन सत्य ला अपन कुलदेवँता…
Read Moreबरस जा बादर, किसानी के दिन अउ योग करो
बरस जा बादर बरस जा बादर, गिर जा पानी, देखत हावन। तरसत हावन, तोर दरस बर, कहाँ जावन। आथे बादर, लालच देके, तुरंत भगाथे। गिरही पानी, अब तो कहिके, आश जगाथे। सुक्खा हावय, खेत खार हा, कइसे बोवन। बइठे हावन, तोर अगोरा, सबझन रोवन। झमाझम अब, गिर जा पानी, हाथ जोरत हन। सबो किसान के, सुसी बुता दे, पाँव परत हन। किसानी के दिन आ गे दिन किसानी के अब, नाँगर धरे किसान। खातू कचरा डारत हावय, मिल के दूनों मितान। गाड़ा कोप्पर टूटहा परे, वोला अब सिरजावे। खूंटा पटनी…
Read Moreकस्तूरी – छत्तीसगढ़ के हरियर चाँउर
छत्तीसगढ़ के हरियर चाँउर, होथे सबले बढ़िया एखर बारे मा नइ जाने, सब्बो छत्तीसगढ़िया ।। दुरुग अउर धमतरी जिला मा, एखर खेती होथे फेर अभी कमती किसान मन, एखर बीजा बोथे।। सन् इकहत्तर मा खोजिन अउ नाम रखिन कस्तूरी छत्तीसगढ़ महतारी के ये, हावय हरियर चूरी।। वैज्ञानिक मन शोध करत हें, कइसे बाढ़े खेती कस्तूरी के फसल दिखय बस, जेती जाबो तेती।। हर किसान ला मिलै फायदा, ज्यादा मनखे खावँय छत्तीसगढ़ के कस्तूरी के, गुन दुनिया मा गावँय।। ग्लुटेन एमा नइ चिटिको, रखे वजन साधारण कैंसर के प्रतिरोधक क्षमता, क्लोरोफिल…
Read Moreकबीर अउ बेद पुरान
कबीर साहेब ला महान संत माने गे हवय। अइसे ओला धर्म अउ पाखंड के आलोचक घलाव कहे जाथय। कबीर पहिली भारतवासी आय जौन सबो मनखे जात बर एक बरोबर धरम के बखान करे हवय। अंधबिस्वास, कुरीति अउ धरम पाखंड के बर भारी ताना मारे हवय। कबीर ला सच बोले के सेती सत्य कबीर घलाव कहे जाथय। कबीर के जनम अउ जिनगी घलाव एक बिचित्र घटना ले कम नइ हे। मुसलमान घर पालन पोसन होईस अउ गुरु रामानंद के चेला बनीस। जादा पढ़े लिखे तो नइ रहिस फेर जतका परवचन मा…
Read Moreदेखे हँव
बद ले बदतर हाल देखे हँव। काट के करत देखभाल देखे हँव। शेर भालू हाथी डरके भागे बन ले, गदहा ल ओढ़े बघवा खाल देखे हँव। काखर जिया म जघा हे पर बर बता, अपन मन ल फेकत जाल देखे हँव। जीयत जीव जंतु जरगे मरगे सरगे, बूत बैनर टुटे फुटे म बवाल देखे हँव। सेवा सत्कार करे म मरे सब सरम, चाटुकारिता म कदम ताल देखे हँव। काखर उप्पर करके भरोसा चलँव, चारो मुड़ा म पइधे दलाल देखे हँव। भाजी पाला कस होगे कुकरी मछरी, मनखे घलो ल होवत…
Read Moreमानसून
तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून। मया करथों मैं तोला,रे घात मानसून। का पैरा भूँसा अउ का छेना लकड़ी। सबो चीज धरागे रीता होगे बखरी। झिपारी बँधागे , देवागे पँदोली। काँद काँटा हिटगे,चातर हे डोली। तोर नाम रटत रहिथों,दिन रात मानसून। तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून—–। तावा कस तीपे हे,धरती के कोरा। फुतका उड़त हे , चलत हे बँरोड़ा। चितियाय पड़े हे,जीव जंतु बिरवा। कुँवा तरिया रोये,पानी हे निरवा। पियास मरत हे,डारपात मानसून। तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून। झउँहा म जोरागेहे ,रापा कुदारी। बीज भात घलो,जोहे अपन बारी।…
Read Moreचिरई चिरगुन (फणीश्वरनाथ रेणु के कहानी आजाद परिन्दे)
जान चिन्हार – हरबोलवा – 10-11 साल के लइका फरजनवा – हरबोलवा के उमर के लइका सुदरसनवा – हरबोलवा के उमर के लइका डफाली – हरबोलवा के उमर के भालू के साही लइका भुजंगी – ठेलावाला हलमान – भाजीवाला करमा – गाड़ीवाला मौसी – हरबोलवा की मौसी हलधर – सुदरसनवा के ददा चार लइका – डफाली के संगीमन चार लइका – सुदरसनवा के संगीमन दिरिस्य: 1 खोर मा भुजंगी अउ हलमान लड़त हवंय, हरबोलवा देखत हवय। भुजंगी – साला तोर बहिनी ला धरों। हलमान – बोल साला, ठड़गी के डउका।…
Read Moreआगे पढ़ई के बेरा : मोर लइका ला कहाँ पढ़ांव
गरमी के छुट्टी अब पूरा होवइया हे।नवा बच्छर (सत्र)मा लइका मन के भरती इस्कूल मा सुरु होवइया हे।कालेज मा भरती बर घलो आनलाइन अवेदन सुरु होवत हे।अदला बदली वाले सरकारी करमचारी मन अपन लइका ल नवा जगा के इस्कूल मा भरती कराय के बेवस्था मा लगे हे।अब सब लइका के दाई ददा पालक मन ला संसो हो गे हवय ! मोर लइका ला कहाँ पढ़ाहूं। संतराम के ददा हा सहर के अंगरेजी इस्कूल मा अपन नतनीन अवनी ला भरती कराय बर अबड़ सउँख करके गय रहिस।उहाँ के बड़े मास्टरिन हा…
Read Moreमानसून मा : कुकुभ छंद
फिर माटी के सोंधी खुशबू,फिर झिंगुरा के मिठ बानी। मानसून मा रद रद रद रद,बादर बरसाही पानी। छेना लकड़ी चाउँर आटा,चउमासा बर जतनाही। छाता खुमरी टायच पनही,रैन कोट सुरता आही। नवा आसरा धरे किसानन,जाग बिहनहा हरषाहीं। बीज-भात ला जाँच परख के,नाँगर बइला सम्हराहीं। गोठ किसानी के चलही जी,टपराही परवा छानी। मानसून मा रद रद रद रद,बादर बरसाही पानी। मेछर्रा बत्तर कीरा मन,भुलका फूटे घर आहीं। बोटर्रा पिंयर भिंदोल मन,पँड़वा जइसे नरियाहीं। अहरू बिछरू के डर रहही,घर अँगना अउ बारी मा। बूढ़ी दाई टीप खेल ही,लइका के रखवारी मा। मच्छर बढ़ही…
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