समारू हर ऐ बखत अपन दु एकड़ खेत म चना बोय रिहिस. बने ऊंच -ऊंच हरियर-हरियर चना के झार म अब्बड़ रोठ-रोठ मिठ दाना चना के फरे रिहिस. अइसन चनाबूट के दाना ल देख के समारू हर अब्बड़ खुस होगे रहाय. इही पइत के चना हर अब्बड़ सुघ्घर होय हवय, बने पचास बोरी ले जादा चना होही. अइसना बिचार म अब्ड़े खुस रिहिस समारू हर. अपन घरवाली संग संझा बिहिनिया चना के खेत के रखवारी करत रहाय. फेर चना हर पाके ल धरिस त एक दिन बिहिनिया समारू अउ ओखर…
Read MoreMonth: October 2018
छत्तीसगढ़ी गज़ल
भाषण सबो देवइया हावै। सपना गजब देखइया हावै। कौन इहाँ जी सच ला कहही सब के सब भरमइया हावै। काकरो मुँह में थाहा नइ हे मर्यादा कौन निभइया हावै? देस के चिंता हावै कौन ल, गड़बड़ गीत गवइया हावै। सबरी कस रद्दा हम देखथन राम कहाँ ले अवइया हावै? थाहा=नियंत्रण बलदाऊ राम साहू
Read Moreमतदान : चौपई छंद (जयकारी छंद)
देश करत हावय अह्वान। बहुत जरूरी हे मतदान। मतदाता बनही हुँशियार। लोक स्वप्न होही साकार। लोकतंत्र के जीव परान। मतदाता मत अउ मतदान। मत दे बर झन छूटँय लोग। कहिथे निर्वाचन आयोग। उम्मर हो गय अठरा साल। मतदाता बन करव कमाल। वोटिंग तिथि के रखलौ ध्यान। खच्चित करना हे मतदान। काज जरूरी हे झन टार। वोट, बूथ मा जा के डार। सीयू बीयू वी वी पेट। बिस्वसनी चौबिस कैरेट। एक बात के राखन ध्यान। शान्ति पूर्ण होवय मतदान। पाँच साल मा आय चुनाव। सुग्घर जनमत दे लहुटाव। सुखदेव सिंह अहिलेश्वर”अँजोर”…
Read Moreबरतिया बर पतरी निही, बजनिया बर थारी
सत्ता सुनदरी के स्वयमबर के तियारी जोरसोर से चलत रहय। जगा जगा के मनखे मन, रंग बिरंग के पहिर ओढ़ के, तियार होके पहुंचे रहय। हरेक पारटी के मुखिया मनखे मन, सत्ता नोनी ला मोहाये बर, तरहा तरहा के उपाय म लगे रहय। सत्ता के रूप अऊ गुन के अतेक चरचा चारों कोती बगरे रहय के, जवान ते जवान डोकरा मन तको ओकर परछो पाये बर मरत रहय। अपन ताकत अऊ गुन देखाये बर, एक ले बढ़के एक हरकर करत रहय दुलहा मन। दुलहा तै नी होये रहय फेर बरतिया…
Read Moreअईसने चुनई आथे का
अईसने चुनई आथे का नकटा ह नाचथे, अऊ बेशरम ताल मिलाथे। लाज नीं लागय कोनों ल, कूटहा ल संगे संग घुमाथे। देख तो संगी अईसने चुनई आथे का! मद अऊ मऊहा के हिसाब, करमछड़हा मन बईठ जमाथे। कुकरी बोकरा के रार मचाथे, उछरत बोकरत मनखे चिल्लाथे। देख तो संगी अईसने चुनई आथे का! गाड़ी मोटर फटफटी, जो गांवें गाँव दऊड़ाथे। धरम के ठेकेदार मन घलो, घरों घर खुसर आरों लगाथेI देख तो संगी अईसने चुनई आथे का! मीठ मीठ गोठिया के कीथे, बासी बड़ सुहाथे । वादा उपर वादा करके,…
Read Moreधान – पान
हरियर हरियर खेतहार हे , धान ह लहलहावत हे । सुघ्घर बाली निकले हाबे । सब झन माथ नवावत हे । सोना जइसे सुघ्घर बाली , हवा में लहरावत हे । अपन मेहनत देखके सबझन , मने मन मुसकावत हे । मेहनत के फल मीठा होथे , ‘माटी’ गाना गावत हे । धान ल अब लुए खातिर , हंसीया धरके जावत हे । देव सोनू अशोक सुनील , ठाड़ ददरिया गावत हे । करपा ल अब बांध बांध के , बियारा कोठार में लावत हे । महेन्द्र देवांगन “माटी” गोपीबंद…
Read Moreचुनावी घोसना पत्र
हमर देस म जतेक खबसूरत चीज हे तेमा, चुनावी घोसना पत्र के नाव पहिली नमबर म गिने जाथे। एकर खबसूरती अतेक के, येमा कोन नी मोहाये। सुनदर ले सुनदर अऊ जवान ले जवान हिरवइन ला, येकर आगू म खड़ा करा दव। हिरवइन ले जादा ले जादा मोहाइच जही त, जवनहा मन, या पइसा वाला सियान मन, या नाव वाला अधेड़ मन। फेर भगवान घला, का गड़हन के बनइस होही, बइरी चुनावी घोसना पत्र के थोथना ला के, का लइका का सियान, का मजदूर का किसान, का अमीर का गरीब, का…
Read Moreसरद पुन्नी अऊ कातिक महिना के महत्तम
हमर देस राज म हमर संसकिरीति सभियता रचे बसे हावय। हर परब के बिसेस महत्तम हावय। येमा एक परब सरद पुन्नी हे। कुंआर महिना के पुन्नी ल सरद पुन्नी के नाव ले जाने जाथे। हमर हिन्दू धरम म पंचांग के अनुसार वैसे तो हर महिना के बिसेस होथे। अइसने रितु हे सरद। गोस्वामी तुलसीदास जी अपन रामचरितमानस म भगवान राम अऊ भैया लछमन के बीच संवाद जो कि किसकिंधा कांड म सरद रितु के बरनन अऊ महत्तम के बारे म लिखे हावय। जे रितु के राम भगवान ह अपन मुख…
Read Moreहरदी पींयर झांगा पागा
चुनाव आयोग म भगवान
भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता, ओला सुरू करे के पहिली, अपन देवता ला जरूर सुमिरय। बिहिनिया ले तियार होके निकलीन। मनदीर ले भगवान गायब रहय, मसजिद ले अल्लाह कती मसक दे रहय, चर्च ले ईसा गायब त, गुरूद्वारा ले गुरूजी गायब …….।…
Read More