सरग म खाली बइठे बइठे गांधी जी बोरियावत रहय, ओतके बेर उही गली म, एक झिन जनता निकलिस। टाइम पास करे बर, गांधीजी हा ओकर तिर गोठियाये बर पहुंचके जनता के पयलगी करिस। गांधी जी ला पांव परत देखिस त, बपरा जनता हा अकबकाके लजागे अऊ किथे – तैं काकरो पांव पैलगी झिन करे कर बबा ….. अच्छा नी लगे। वइसे भी तोर ले बड़का कन्हो मनखे निये हमर देस म, तोला ककरो पांव नी परना चाही। गांधी किथे – तोर जय होय जनता जी। भारत म तोर से बड़का…
Read MoreDay: October 5, 2018
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
थोरकिन तँहू जोहार बबा। बाँटत हावै सरकार बबा। दीही कहिथें बोनस अड़बड़ हाँथ ल अब बने पसार बबा। घर-घर मा मोबाइल आगे चुनई के हरे दरकार बबा। झँगलू – मंगलू नेता बनके ठाढ़े हे तोर दुवार बबा। दुरिहा-दुरिहा राहे जउन मन लपटत हावै, जस नार बबा। पाँच बरस तरसाइन जउन मन आज हावै, गजब उदार बबा। उलट बाँसिया लागत हे सब ‘बरस’ कहे, बने बिचार बबा। बलदाऊ राम साहू
Read Moreपितर पाख : पितर अउ कउँवा
कउँवा के नाँव सुनत एक अइसे चिरई के रुप दिखथे,जेकर रंग बिरबिट करिया, एक आँखी फूटहा माने अपसकुनी, बोली मा टेचरहा, मीठ बोली ला जानय नहीं ,खाय बर ललचहा, झगरहा, कुल मिलाके काम , क्रोध, लोभ मोह, ईर्ष्या, तृष्णा के समिल्हा रुप।सब चिरई मन ले अलग रहइया।अपन चारा ला बाँट के नइ खावय। अइसे तो कउँवा के महिमा हा सबो जुग मा हावय।सतजुग मा भगवान शंकर हा सबले पहिली राम कथा ला पार्बती ला सुनाईस।वो कथा ला पेड़ मा उपर बइठे ये कउँवा चिरई हा सुन डारिस।शंकर के असीस से…
Read Moreपितर बिदा के दिन आ गय
कुंवार महीना के प्रतिपदा से लेके अमावस तक पंद्रह दिन पितर पाख के नाम ले जाने जाथे। ए पन्द्रह दिन म लोगन मन अपन अपन पुरखा ला जल चढाथें।अपन पुरखा के आत्मा के शांति अउ तृप्ति बर श्रद्धा के साथ श्राद्ध करम ला यही पितर पाख म करे जाथे। संस्कृत म कहे जाथे कि “श्रद्धया इदं श्राधम” (जउन श्रद्धा भाव ले करे जाय वही हर श्राद्ध आय)। हमर हिंदू धरम म पितर मन के उद्धार करे बर पुत्र के कामना करे जाथे। पितर पाख म मनखे मन हर मन ,…
Read Moreबेटी : रोला छन्द
बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी। करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी। कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ। मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ। अबला झन तैं जान, भुजा मा ताकत हावय, बैरी कोनों आज, भाग के नइ तो जावय। बेटा येला मान, कभू अब नइहे पाछू। करथे रौशन नाम, सबो मा हावय आघू। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा) छत्तीसगढ़ #रोला_छन्द
Read Moreआज नारी हर महान होगे
बेटी बचाव, बेटी पढ़ाव के नारा हर, सिरतोन होगे, आज नारी हर महान होगे. आज नारी हर महान होगे……. मुधरहा ले भिनसरहा, भिनसरहा ले अंजोर होगे, हमर छत्तीसगढ़िया बहनी मन, सबले बढ़िया होगे. आज नारी हर महान होगे… घर, गंवई -गांव म नवा अंजोर होगे, पढ़ई-लिखई म बहु-बेटी मन सबले आगू होगे. आज नारी हर महान होगे….. नारी-परानी के कलम हर, आज हथियार होगे, शिक्षा के हथियार ले, सही नियाव होगे. आज नारी हर महान होगे…. इही जुग अब नारी सशस्क्तिकरन के होगे, घर, समाज अउ देस म, आज नारी…
Read Moreडेंगू के कारण कोन
एक दिन बस्ती के मच्छर एकजघा जुरियाँइन। भनन-भनन बड़ करीन ,बिक्कट गोठियाँइन। कहत हें:- मनखे मन बड़ हुशियारी झाड़थें। गलती अपन करँय अउ बिल हमर नाँव मा फाड़थें। करके ढेराढारी, कचरा फेकथें ऐती तेती।। रंग-रंग के बिमारी सँचरथे ओखरे सेती। जघा जघा गंदगी के ढेरी खुदे लगात हें। अपने करनी कर बेमारी ला बलात हें। अपन घर के कचरा डारँय दूसर के मुँहाटी मा। तहाँ ले झगरा माते भारी लात अउ लाठी मा। अतका बुध नइ के सकेल कचरा ला जला दँय। नहीं ते पालिका कचरा गाड़ी ला बला लँय।…
Read Moreनंदागे
नंदागे आते सुघ्घर गांव नंदागे बर पिपर के छाव नंदागे माया पिरित ला सब भूला के सुनता के मोर गांव नंदागे भउरा बाटी गुल्ली डंडा घर घुधिया के खेल नंदागे किसानी के दवरी नंदागे अउ नंदागे कलारी जान लेवा मोटर-गाडी नंदागे बइला गाडी आमा के अथान नंदागे नंदागे अमली के लाटा अंजोर करइया चिमनी नदागे अउ नंदागे कंडिल पाव के पन्ही नंदागे आगे हाबे सेंडिल देहे के अंग रक्खा नदागे अउ नंदागे धोती बरी के बनइया नंदागे होगे येति ओति किसान के खुमरी नंदागे अउ नंदागे पगडी घर के चुल्हा…
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