योग्यता

चुनाव के समे लकठियागे रहय। अपन अपन पारटी ले टिकिस झोंके बर, कार्यकरता मनके लइन लगे रहय। पारटी के छोटे से बड़का कार्यकरता, अपन आप ला विनिंग केंडीडेट समझय। पारटी परमुख, टिकिस के लइन देख के, पारटी के जीत के आस म भारी खुस रहय। टिकिस के आस म, लइन लगे कार्यकरता के योग्यता जांचे बर, इंटरबू के आयोजन रखिस। इकछुक उम्मीदवार ला पारी पारी ले, चेमबर म बलाके सवाल पूछे लगिस अऊ अपन योग्यता बताये बर किहिस। एक झिन बतइस के, मोर योग्यता ये हे के, मेहा छत्तीसगढ़ के…

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अवइया मुख्यमनतरी कइसन हो ?

घात जियानथे जऊन ला, गरीब अऊ अनाथ के पीरा, जऊन नेता के अंतस निये, जइसे तिनफंकिया खीरा। जेला गजब सुहाथे, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़िया हीरा , जऊन नी बजावय, हमर पेट ला जइसे ढोल मनजीरा। छत्तीसगढ़ के हित के खातिर, जूझ मरे चाहे जइसन हो। जी चाहत हे छत्तीसगढ़ के अवइया मुख्यमनतरी अइसन हो। पाछू ला गोड़ेली मार, मुड़भसरा ओला गिराके, फेर, सबके देखऊ मा उही ला, पुचकारथे गजब उठाके। मंच – सजवा, माला पहिर के, जय जय कार कराके, मानसिक आरथिक सबो रूप मा, पक्का गुलाम बनाके। राज करइया नइ चाही,…

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ग़ज़ल

हममन बस गोहरइया1 हावन2। उनकर पानी भरइया हावन।। देस के देवता-धामी मन के। पूजा हममन करइया हावन। उही मन समरथ, ग्यानी, पंडित। हम तो पाँव परइया हावन। राम-राज हर आही कहाँ ले पाछू-पाछू रेंगइया3 हावन। दुनिया हर आगु रेंगत हावै। उनकर पूछी धरइया4 हावन। बलदाऊ राम साहू 1. चिचोरी करने वाले, 2. हैं, 3. चलने वाले, 4. पूँछ धरने वाले

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बतावव कइसे ?

मया पिरीत म बँधाय हन जम्मो, ए बँधना ले पाछू छोड़ावव मै कइसे? !1! बिना लक्छ के मोर डोंगा चलत हे, येला बने कुन रद्दा देखावव मै कइसे? !2! तोर दुख अऊ पीरा ल मानेव अपन मै, ओ पीरा ल तोर भूलावव मै कइसे? !3! नी देखे सकव तोर आँखी म आँसू, बिन जबरन तोला रोवावव मै कइसे? !4! सुरता ह तोर बड़ सताथे ओ संगी, अपन सुरता करवावव मै कइसे? !5! मया त तोर ले बड़ करथो जहुरिया, ये मया ल तोला जतावव मै कइसे? !6! ये मया पिरीत…

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चँदा दिखथे रोटी कस

अक्ति के बोनी बितगे हरेली के बियासी लाँघन-भूखन पोटा जरत कोन मेर मिलही भात तियासी देवारी बर लुवई-टोरई मिस के धरलीन धान खरवन बर रेहरत रहिगेन गौटिया मन देखाइन अपन शान जन-जन खाइन मालपुआ फरा ठेठरी नइ खुलिस हमर बर ककरो गठरी गाँव म घर नहीं न खार म खेत चँदा दिखथे रोटी कस कर लेतेव कोनो चेत असकरन दास जोगी 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

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सिंगारपुर के माँवली दाई

हमर माँवली दाई के धाम हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे फेर छत्तीसगढ़ राज के नाँव के अलख जगावत कतको साल होवत हे। हमर छत्तीसगढ़ राज के जुन्ना इतिहास हा बड़ प्रसिद्ध अउ सुग्घर हावय। ए राज के बीचो-बीच मा शिवनाथ नदिया बोहावत हावय। इही शिवनाथ नदिया के दुनो पार मा अठारा-अठारा ठन गढ़ प्राचीन समे मा ठाढ़े रहीन। एखरे सेती ए राज के नाँव छत्तीसगढ़ पड़ीच हे अइसन कहे जाथे। इही छत्तीसगढ़ मा के एकठन गढ़ हमर गवँई-गाँव सिंगारपुर (माँवली)…

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चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे।

चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे। बोरे बासी खवईया बर भात ताते तात हे। बच्छर भर ले राज करे बर दू दिन हमला भरमाही। अभी माथ नवाही पाछू मेछराही अउ टुंहू देखाही। अभी मंदरस घोरे बोली फेर पाछू लात हे। चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे।। आनी-बानी के सपना देखाही,जम्मोझन रिझाहीं। नून-चटनी के खवईया ल सोंहारी तसमही म दंताही। चुनाव के झरती म उहीच पेट अउ पाट हे। चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे। लेठवा अउ अलाल मन के दिन बादरआही। रंग-बिरंगा गमछाधारी मन…

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नवरात्र परब : मानस में दुर्गा

हमर छत्तीसगढ़ मा महापरब नवरात ला अड़बड़ उछाह ले मनाय जाथे।नौ दिन तक गाँव के शीतला (माता देवाला) मा अखंड जोत जलाय जाथे अउ सेवा गीत गाय जाथे ।गाँव गाँव मा दुर्गा के मूरती मढ़ाके नौ दिन ले पूजा करे जाथे। गाँवभर के जुरमिल के ये परब ला भक्तिभाव ले मनाथे। छत्तीसगढ़ मा गाँव के संगे संग छोटे,मंझला अउ बड़का सहर मा दुर्गा माता के बड़े बड़े मूर्ति, बड़े बड़े जगमग जगमग करत पंडाल, नाच पेखन, जगराता, सांस्कृतिक कार्यक्रम के नवरात परब के दर्शन होथय। नवरात परब मा छत्तीसगढ़ मा…

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बड़का कोन

सरग म खाली बइठे बइठे गांधी जी बोरियावत रहय, ओतके बेर उही गली म, एक झिन जनता निकलिस। टाइम पास करे बर, गांधीजी हा ओकर तिर गोठियाये बर पहुंचके जनता के पयलगी करिस। गांधी जी ला पांव परत देखिस त, बपरा जनता हा अकबकाके लजागे अऊ किथे – तैं काकरो पांव पैलगी झिन करे कर बबा ….. अच्छा नी लगे। वइसे भी तोर ले बड़का कन्हो मनखे निये हमर देस म, तोला ककरो पांव नी परना चाही। गांधी किथे – तोर जय होय जनता जी। भारत म तोर से बड़का…

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छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

थोरकिन तँहू जोहार बबा। बाँटत हावै सरकार बबा। दीही कहिथें बोनस अड़बड़ हाँथ ल अब बने पसार बबा। घर-घर मा मोबाइल आगे चुनई के हरे दरकार बबा। झँगलू – मंगलू नेता बनके ठाढ़े हे तोर दुवार बबा। दुरिहा-दुरिहा राहे जउन मन लपटत हावै, जस नार बबा। पाँच बरस तरसाइन जउन मन आज हावै, गजब उदार बबा। उलट बाँसिया लागत हे सब ‘बरस’ कहे, बने बिचार बबा। बलदाऊ राम साहू

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