चरनदास चोर ला कोन नी जानय। ओकर इमानदारी अऊ सेवा भावना के चरचा सरग तक म रहय। अभू तक कन्हो चोर ला, सरग म अइसन मान सममान नी मिलिस जइसन चरनदास पइस। एक दिन के बात आय, चरनदास हा, सरग म ठलहा बइठे भजन गावत रहय तइसने म, चित्रगुप्त के बलावा आगे। चित्रगुप्त किथे – चरनदास, पिरथी म तोर जाये के समे आगे। चरणदास पूछथे – कइसे भगवान ? चित्रगुप्त किथे – बीते जनम म तोर आयु पूरा नी होय रिहीस, उही बांचे आयु ला पूरा करे बर, वापिस जाये…
Read MoreDay: November 19, 2018
भारत माँ के दुलौरिन बेटी
मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। तोरे कोरा मं देवी देंवता, डोंगरगढ़ बमलाई हे। राजिम मं कुलेश्वर बिराजे, भक्तिन करमा दाई हे।। :-महानदी तोर चरण पखारे…2,निरमल धारा बोहाई मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी,छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। सिहावा मं सिंगी रिषी अऊ,महानदी आंवतारी हे। रईपुर मं बंजारी बिराजे, महासमुंद खल्लारी हे।।…
Read Moreसोच समझ के देहू वोट
अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे. दारु-कुकरा, धोती-लुगरा,नोट। सोच समझ के देहू वोट।-2 वोट माँगत ले नेता सिधवा हे, मरे ल मारे बर येहा गिधवा हे. मउका हे ठउका मारव चोट। सोच समझ के देहू वोट।-3 बुढ़वा रेंगव. चलव जवान. खच्चित करव तुमन मतदान. धरम-करम नइ होवय रोज। सुनव अपन हिरदे के गोठ।…
Read Moreछत्तीसगढ़ी नाटक – मतदान बर सब्बो झन होवव जागरूक
(चुनाव के बुता म लगे शिक्षक घर-घर जा के मतदाता मन के सूद लेथे अउ मतदान करे बर सब्बो ल जागरूक करत हे) शिक्षक रददा म रेंगत जात रहिथे त ओखर भेंट एक पागल मनखे ले हो जाथे, पागल- जय हिंद गुरुजी कहाँ जात हास। शिक्षक- जय हिंद, चुनाव अवइया हे भाई, तेखर सेती मतदाता मन ल जागरूक करे म लगे हौ, सब्बो मतदाता मन ल चुनाव के पहली जगाना हे। पागल-कोनों फायदा नइ हे गुरु जी जगाए के जगाये तो सुते मनखे ल जाथे, फेर इंहा तो सब मर…
Read Moreनान्हे कहिनी- बेटी अउ बहू
एक झन दूधवाला ह अपन गिराहिक कना दूध लेके जाथे त एकझन माइलोगिन ह दूध ल झोंकाथे। पहिली दिन- ‘उपराहा दूध कोन मंगाय हे गा! काबर अतेक दूध देवत हस?’ वो माइलोगिन ह पूछिस। “भऊजी ह देबर केहे हे दाई!” दूध वाला ह बताइस। ‘का करही वोहा अतेक दूध ल!!’ “दाई! भउजी ह बतावत रिहिसे ओला डॉक्टर ह दूध संग म दवाई पीये बर केहे हे। ते पाय के आधा किलो उपराहा दूध मंगाय हे।” ‘अउ ओकर पैसा ल का ओकर बाप ह दिही! झन दे उपराहा दूध। हमर घर…
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