भारत माँ के दुलौरिन बेटी

मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। तोरे कोरा मं देवी देंवता, डोंगरगढ़ बमलाई हे। राजिम मं कुलेश्वर बिराजे, भक्तिन करमा दाई हे।। :-महानदी तोर चरण पखारे…2,निरमल धारा बोहाई मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी,छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। सिहावा मं सिंगी रिषी अऊ,महानदी आंवतारी हे। रईपुर मं बंजारी बिराजे, महासमुंद खल्लारी हे।।…

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सोच समझ के देहू वोट

अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे. दारु-कुकरा, धोती-लुगरा,नोट। सोच समझ के देहू वोट।-2 वोट माँगत ले नेता सिधवा हे, मरे ल मारे बर येहा गिधवा हे. मउका हे ठउका मारव चोट। सोच समझ के देहू वोट।-3 बुढ़वा रेंगव. चलव जवान. खच्चित करव तुमन मतदान. धरम-करम नइ होवय रोज। सुनव अपन हिरदे के गोठ।…

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छत्तीसगढ़ी नाटक – मतदान बर सब्बो झन होवव जागरूक

(चुनाव के बुता म लगे शिक्षक घर-घर जा के मतदाता मन के सूद लेथे अउ मतदान करे बर सब्बो ल जागरूक करत हे) शिक्षक रददा म रेंगत जात रहिथे त ओखर भेंट एक पागल मनखे ले हो जाथे, पागल- जय हिंद गुरुजी कहाँ जात हास। शिक्षक- जय हिंद, चुनाव अवइया हे भाई, तेखर सेती मतदाता मन ल जागरूक करे म लगे हौ, सब्बो मतदाता मन ल चुनाव के पहली जगाना हे। पागल-कोनों फायदा नइ हे गुरु जी जगाए के जगाये तो सुते मनखे ल जाथे, फेर इंहा तो सब मर…

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नान्हे कहिनी- बेटी अउ बहू

एक झन दूधवाला ह अपन गिराहिक कना दूध लेके जाथे त एकझन माइलोगिन ह दूध ल झोंकाथे। पहिली दिन- ‘उपराहा दूध कोन मंगाय हे गा! काबर अतेक दूध देवत हस?’ वो माइलोगिन ह पूछिस। “भऊजी ह देबर केहे हे दाई!” दूध वाला ह बताइस। ‘का करही वोहा अतेक दूध ल!!’ “दाई! भउजी ह बतावत रिहिसे ओला डॉक्टर ह दूध संग म दवाई पीये बर केहे हे। ते पाय के आधा किलो उपराहा दूध मंगाय हे।” ‘अउ ओकर पैसा ल का ओकर बाप ह दिही! झन दे उपराहा दूध। हमर घर…

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“गंवई-गंगा” के गीत गवइया

गिरे-परे-हपटे ल रददा देखइया, जन-मन के मया-पीरा गवइया। “मोर संग चलव” कहिके भईया आँखीओझल होगए रद्दा रेंगइया।। माटी के मोर बेटा दुलरुवा, छत्तीसगढ़ी के तैंहा हितवा। सोला आना छत्तीसगढ़िया, मया-मयारू के तैं मितवा।। तोर बिना सुसकत हे महतारी, गांव-गली,नदिया- पुरवइया।। छत्तीसगढ़ के अनमोल रतन, माटी महतारी के करे जतन। “सोनाखान के आगी” ढिले, पूरा करे तैंहर सेवा के परन।। “चंदैनी गोंदा”कुम्हालात काबर? “गंवई – गंगा” के गीत गवइया।। छत्तीसगढ़ के सभिमान बर, धरती के गरब – गुमान बर। कलम चला निक जिनगी जीए, मनखेपन अउ सत-ईमान बर।। गीत झरे तोर…

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देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी

हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के प्रति आस्था ला देखाय के सोनहा मौका मिलथे। हमर हिन्दू धरम मा पुन्नी परब के.बड़ महत्तम हावय। हर बच्छर मा पंदरा पुन्नी होथे। ए सबो मा कारतिक पुन्नी सबले सरेस्ठ अउ शुभ माने जाथे । कारतिक पुन्नी के दिन भगवान शंकर हा तिरपुरासुर नाँव के महाभयंकर राक्छस ला मारे रहीन…

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अग्यातवास

अपन हक ले बंचित, पांडो मन के भाग म लिखाये अग्यातवास हा, कलजुग म घला पीछू नि छोरत रहय। अग्यातवास के कलजुगी समे म, द्वापर जुग कस, यक्छ ले इंखर मुलाखात, फूल टोरे के बहाना तरिया म फेर हो जथे। कलजुगिया यक्छ , फूल दे के बहाना, इंखर मन के योग्यता के परीकछा के बात घला करथे। बिगन परस्न के जवाब पाए, फूल दे बर मना कर देथे। पांडो मन, एक के पाछू एक, परीकछा म फेल होवत जाथे, अउ मूरछित होके भुंइया म गिरत जाथें। धरमराज हा फिकर करत,…

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नान्हे कहिनी – ढुलबेंदरा

कका! एसो काकर सरकार आही ग?’ ‘जेला जनता जिताही तेकरे सरकार आही जी’ ‘तभो ले तोर बिचार म का जमत हे?’ ‘मोर बिचार म तो कन्हो नी जमत हे। जेला भरोसा करके बइठारथन उही हमर गत बिगाड़ देथे।’ ‘फेर एक ठ बात अउ पूछना रिहिस कका?” “पूछ रे भई! आ मोर पीठ म बैताल असन लटक जा।” ‘ते नराज होगेस कका! फेर बताएच बर लागही तोला।’ पाछू घनी हमन फलाना नेता के केनवासिंग म भीडे रेहेन गा। फेर एसो वोहा ढेकाना पाल्टी म चल दिस।’ ओमन अइसन काबर करथे ग?…

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माफी के किम्मत

भकाड़ू अऊ बुधारू के बीच म, घेरी बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय। बुधारू बतावत रहय – ये रिवाज हमर देस म तइहा तइहा के आय बइहा, चाहे कन्हो ला कतको गारी बखाना कर, चाहे मार, चाहे सरेआम ओकर इज्जत उतार, लूट खसोट कहीं कर …….. मन भरिस तहन सरेआम माफी मांगले …….। हमर देस के इही तो खासियत हे बाबू …….. इहां के मन सिरीफ पांच बछर म भुला जथे अऊ कन्हो भी, ऐरे गैरे नत्थू खैरे ला, माफी दे देथे। भकाड़ू…

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सुन तो भईरी

अई सुनत हस का भईरी, बड़े बड़े बम फटाका फुटीस हे I येदे नेता मन के भासन सुनके कुकुर मन बिकट हाँव हाँव भूकिस हे I पंडरा ह करिया ल देखके, मुंहूँ ल फूलोलिस I कीथे मोर अंगना में काबर हमाये, आय हाबै चुनई त, खरतरिहा बन बड़ रुवाप दिखायेस I सिधवा कपसे बईठे रिहिस, कीथे, मिही तांव मुरख अगियानी, तुहीमन तांव ईहाँ के गियानी धानी I मंद के मरम ल में का जानव, तलुवा चाटे के काम हाबै मोर पुरानी I कोन जनी काय पाप करे रेहेंव, चारों खूंट…

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