कब बबा मरही ….. कब बरा खाबो

मोर राज आवन दव, तहन तुंहर गांव के संगे संग, तुंहरो भाग जाग जही। एक बेर मोला जितावव तो सही ………? बीते पचास बछर ले, कतको मुहुं ले, इही बात सुने बर मिल चुके हे। अइसन बोलइया कतको मुहुं ला, मउका घलो, कतको बेर मिल चुके हे। फेर, उही मुहुं ले, ये दारी नी कर पायेंव अगले दारी जरूर करहूं …….. नावा गोठ फेर निकल जथे। अइसन मन फेर आथे तहन, हमर सरकार नी बन सकिस, निही ते, तुंहर कलयान कर देतेन कहिके, जनता ला ठग देथे। तबले जनता, फेर…

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कहानी – देवारी के कुरीति

गाँव म देवारी के लिपई-पोतई चलत रिहिस। सुघ्घर घर-दुवार मन ल रंग-रंग के वारनिश लगात रहिस। जम्मो घर म हाँसी-खुशी के महौल रिहिस। लइका मन किसम-किसम के फटाका ल फोरत रिहिस। एक झन ननकी लइका ह अपन बबा संग म घर के मुहाटी म बइठे रिहिस। ओ लइका ह बड़ जिग्यासु परवित्ति के रहिस। लइका मन ह बड़ सवालिया किसम के रहिथे। उदुक के अपन बबा ले पूछिस – बबा हमन देवारी तिहार ल कब ले अऊ काबर मनाथन। बबा ह ओ लइका ल राम भगवान के अयोद्धया लहुटे के…

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बस्ता

घाठा परगे खाँध म धर लेथन बस्ता कभू-कभू हाथ म झोला के पट्टी संघार के बोह लेथन बस्ता लकड़ी के साँगा डार के ज्ञान के जोरन आय सबो पढ़थैं जेला प्राथमिक शिक्षा कहाय पीठ म पाठ लदाथे भाग गढ़े खातिर कतको दूरिहा रेंगाथे फूलतिस हँसी फूल अस होंठ म बस्ता के लदना होतिस कम जब रहितिस ग्रंथालय सबो स्कूल म बस्ता बस ले बाहिर जेन बोहैं तेने जानैं बोहे बर कइसे होगैं माहिर | असकरन दास जोगी

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नान्हे कहिनी – सवाल

‘बबा!ये दिया काबर बरत हे?’ ‘अंजोर करे खातिर बरत हे बेटा!!’ बबा ह अपन नाती ल समझावत बताइस। ताहने ओकर नाती ह फेर एक ठ सवाल पूछथे- ‘ये अंजोर काकर बर हरे बबा?’ ‘जेन ह ओकर अंजोर के फयदा उठाही तेकर बर!!’ ‘एमा दिया के का फयदा हे बबा?’ ‘एमा दिया के कोनो फयदा नीहे बेटा!’ ‘एमा दिया के फयदा नीहे त काबर बरत हे? बबा!’ ‘दिया के बुता हरे बेटा! अपन फयदा-नुकसान के चिंता ल छोडके ओहा सरलग बरत रहिथे।’ ‘जब नानकुन दिया ह अपन स्वारथ के चिंता ल…

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चुनावी व्‍यंग्‍य : योग्यता

चुनाव के समे लकठियागे रहय। अपन अपन पारटी ले टिकिस झोंके बर, कार्यकरता मनके लइन लगे रहय। पारटी के छोटे से बड़का कार्यकरता, अपन आप ला विनिंग केंडीडेट समझय। पारटी परमुख, टिकिस के लइन देख के, पारटी के जीत के आस म भारी खुस रहय। टिकिस के आस म, लइन लगे कार्यकरता के योग्यता जांचे बर, इंटरबू के आयोजन रखिस। इकछुक उम्मीदवार ला पारी पारी ले, चेमबर म बलाके सवाल पूछे लगिस अऊ अपन योग्यता बताये बर किहिस। एक झिन बतइस के, मोर योग्यता ये हे के, मेहा छत्तीसगढ़ के…

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दानी राम बंजारे और जानकी बाई बंजारे द्वारा प्रस्‍तुत गोपी चंदा गाथा

मत जाना रे बालक बेटा कौरू नगर मत जाना मत जाना रे गोपी चंदा कौरू नगर मत जाना कौरू नगर के अटपट हे जादू कोई पारे नइ पाया बड़े-बड़े राज हॅ पथरा गा होगे । वापस कोनो नहीं आया रे बालक देखे करम ला छाड़ दीस कथंव मत जाना रे बेटा कौरू नगर मत जा। मत जा बेटा। कामरूप के तिलस्‍मी संसार को जीवंत चित्रित करती अद्भुत और पल-पल रोमांचित करती छत्‍तीसगढ़ी लोकगाथा आडियो-वीडियो, टैक्‍स्‍ट और हिन्‍दी अनुवाद के साथ सहपीडिया में इस लिंक Gopichanda performed by Dani Ram Banjare…

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पांच बछरिया गनपति

राजधानी म पइठ के , परभावली म बइठ के । हमर बर मया बरसाथे , हमींच ला अइंठ के । रिद्धी सिद्धी पाके , मातगे जोगी जति । ठेमना गिजगिजहा , पांच बछरिया गनपति । बड़का बुढ़हा तरिया के , करिया भुरवा बेंगवा । अनखाहा टरटरहा , देखाये सबला ठेंगवा । पुरखौती गद्दी म खुसरे खुसरे , बना लिन अपन गति । अपनेच अपन बर फुरमानुक , पांच बछरिया गनपति । लोट के , पोट के , भोग लगाये वोट के । न करम के , न धरम के ,…

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चुनावी व्‍यंग्‍य : बूता के अपग्रेडेसन

सांझ कुन के बेरा म गुड़ाखू घंसरत, दू झिन मनखे मन तरियापार म बइठके, दुख सुख गोठियावत रहय। एक झिन डमचगहा रहय , दूसर जादूगर। दुनो पक्का संगवारी रहय। गांव गांव, गली गली किंजर किंजर के, नावा नावा खेल देखाये तब कहूं ले दे के, बपरा मन के परिवार चलय। धीरे धीरे एकर मन के धनधा मार खाय लगिस। दुनो झिन ला भविस के फिकर होगे। जादूगर पूछथे – तैं का खेल देखाथस तेमा तोर धनधा मनदा परत हे। डमचगहा किथे – अगास म पातर डोरी बांध, नोनी ला ये…

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चुनाव के चिल्लाई म मतदान करना जरूरी हे

हमर समाज म कुछु के महत्व होवय चाहे झन होवय, तभोले चुनाव के बढ़ महत्व होथे, चुनाव अइसे चीज हे जेखर ले हमन ह कुछु भी अपन मन-पसंद चीज ल चुने के मौका मिलथे, जेखर सब ले बड़े फायदा होथे हमर समाज अउ विकास बर, नेता चुने के अधिकार हमन ल हे, त हमर इहा के नेता मन घलोक कम नइ हे जइसे चुनाव के बेरा तीर म आथे त ओहु मन मनखे के तीर तखार म मंडराए ल चालू कर देथे, जइसने पानी गिरथे त मेढ़क मन नरियात-नरियात नदिया…

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तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। अंगना दुवार जम्मो लिपागे, नवा अंगरक्खा घला सिलागे। लेवागे फटक्का अउ मिठाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 1 अंधियारी म होवय अंजोर, दीया बारंव मैं ओरी ओर। हूम-धूप अउ आरती गा के, पईयां परत हंव मैं ह तोर, बांटव बतासा-नरियर,लाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 2 तोर बिन जग अंधियार, संग तैं त रतिहा उजियार। तोर किरपा ह होथे जब, अन-धन के भरय भन्डार। सुख-दुख म तैं सदा सहाई। तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 3 कलजुग के तहीं महरानी, तोर…

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