गणेश चतुर्थी पर कविता

जय जय हो गजानन तोर जय हो,प्रभु दुनिया ला देखे अपन आए कर कभु। तोर अगोरा पुरा साल भर तो करथन, संग हमर हमेशा रईह जुगाड़ कर प्रभु।। बस भादो के का दस दिन हे, तोर इँहा आए के निश्चित बेरा। कतको रोज पूजे तोला इँहा हे, अब तो डार ले सदादिन डेरा।। पहिली पूजा हरदम तोरे करथन, तहाँ फेर दूसर देवन ला भजथन। अब देख हमेशा हमर हे करलाई, प्रभु इँहा हम रोज दु:ख पावथन।। नौ दिन सेवा तोर हम करथन, अऊ तो दसवां दिन बोहवाथन जी। खुरमी ठेठरी…

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नवा तिहार के खोज

तिहार के नाँव सुनते भार रोटी पीठा,लिपई पोतई, साफ सफई के सुरता आ जाथे।छत्तीसगढ़ गढ़ मा सबो किसम के तिहार ला मनाय जाथे।छत्तीसगढ़ के तिहार हा देबी देंवता , पुरखा, खेती किसानी ले जुड़े परंपरा के सेती मनाय जाथे।फागुन राँधे चैत खाय के हाना घलाव चले आवत हे। पुरखा मन बर अक्ति, पितर, तिहार आथे। देबी देंवता मन के तो सबो तिहार मा पूजा पाठ होथय।अक्ति, रामनवमीं, रथ दूज, हरेली, राखी, तीजा पोरा, गनेश पक्ष, जवाँरा, नवरात्रि, भोजली, दसहरा,देवारी भाई दूज, अइसने किसम के हर पून्नी मा तिहार ला रखे…

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छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

आस लगा के बइठे हावस, हमरों कौनो पूछइया हे, जेन बेटा ला पाले-पोसे, परान उही लेवइया हे। खोर्रो मा सुतेस तैं अउ जठना जेकर जठायेस तैं हर, आज उसी हर सबले बड़का, तपनी कस तपइया हे। जेन खूँटा ला धरे हावस, उही हर होगे हे सरहा, सरवन बन के कौन तोला, तीरथ-बरत करइया हे। सातधार दूध पियायेस, उहीमन हर होगे हे बैरी, काकर कर तैं दुख ला गाबे, धन के सबो रपोटइया हे। बलदाऊ राम साहू

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तोर बोली कोयली जइसन हे

तोर बोली कोयली जइसन हे। रेंगना डिट्टो मोना जइसन हे। का बताँव मोर मयारू, तोर आँखी मिरगीन जइसन हे। बेनी गथाय करिया करिया, दिखत घटा बादर जइसन हे। तोर गाल हा मोर जोहि, सिरतो गुलगुल भजिया जइसन हे। तोर ओंठ के लाली हा गोरी, लाल गुलाब जइसन हे। तोर कतका करँव बखान जँवारा, रूप हा राधा रानी जइसन हे।। युवराज वर्मा “बरगड़िया” साजा बेमेतरा 9131340315

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हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे

हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे, जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे। इहां हरेली के हरियर लुगरा छत्तीसगढ़ महतारी के सान हे, भोजली अवईया बने फसल के चिन्हारी हे, खमरछट म दाई के अपन लईका के परती ममता, त्याग हे तीजा ले महतारी मन के मान हे, पोरा म पसुधन के सम्मान हे, हमर छत्तीसगढ़ म आनी-बानी के तिहार हे, जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे। दूबराज, बिसनुभोग अन्न्पूरना दाई के सुघ्घर मम्हई हे, करमा, सुआ, राऊत नाचा हमनके अभिमान हे, बांस गीत, पण्डवानी,…

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नान्हें कहिनी : तीजा के लुगरा

सुकलू के एकेच झन बहिनी रहिस सुखिया।तीजा-पोरा आवय त रद्दा जोहत राहय कि मोर भइया ह मोला लेगे बर कब आही,फेर सुखिया के भउजी ह सुकलू ल पोरा के बाद भेजय सुखिया ल लाय बर।भउजी ह थोकिन कपटीन रहिस हे,सुखिया ल तीजा मं लुगरा देवय तेन निच्चट बिहतरा राहय,पहिरत नइ बनय तइसने ल देवय।एको साल बने लुगरा नइ देवत रहिस तभो ले सुखिया ह खुस राहय,कभू कुछु नइ काहत रहिस,खुसी-खुसी लुगरा ल पहिरय अउ बासी खावय। गरमी के दिन मं सुखिया के ननंद के बिहाव रहिस त सुखिया के भउजी…

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छत्तीसगढ़ी गज़ल

सब्बो मतलबी यार होगे। तब्भे तो बंठा – धार होगे। मनखे मन मनखे ला मारिस इज्जत हर तार-तार होगे। धर लिन रद्दा बेटा मन सब परिया खेती – खार होगे। सावन, भादो, कुँवार निकले बादर हर अब बीमार होगे। कुतर-कुतर के खा लेव जम्मो मुसवा हमर सरकार होगे। साधु बबा हर जेल म चल दिस गाँव – गली म गोहार होगे। बलदाऊ राम साहू 9407650458

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दाई के पीरा

बड़े बिहनिया सुत उठ के, लीपय अँगना दाई । खोर गली ला बाहरत हावय , ओकर हे करलाई । आये हावय बहू दू झन , काम बूता नइ करय । चाहा ला बनावय नहीं, पानी तक नइ भरय । आठ बजे तक सुत के उठथे, मेकअप रहिथे भारी । काम बूता ला करय नहीं, करथे सास के चारी । घिलर घिलर के दाई करथे, सबो बूता काम । का दुख ला बतावँव सँगी , माटी हे बदनाम । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com

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तीजा लेवाय बर आही

एसो आषाढ़ के पहिली तीजा लेवाय बर तोर भाई आही दाई के मया ददा के दया सुरता के सुध लमाही मोटर फटफटी म चघाके तोर लेनहार तोला लेजाही जोर के जोरन कपड़ा लत्ता मोटरा खसखस ले भराही तीजा मानके तुरते आबे घर दुवार सुन्ना पर जाही आरो खबर लेवत रहिबे “माया” तोर सुरता अब्बड़ सताही तोर बिना घर सुन्ना रहि मैंय कईसे दिन ल पहाहुं नयना तरसहि तोला देखे बर हिरदय ल अपन मनाहुं!! सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी

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मोर गाँव के सुरता आथे

कांसा के थारी असन तरिया डबरी, सुघ्घर रूख राई, पीपर,बर अऊ बंभरी I खेत खार हरियर हरियर लहलहाय, मेड़ में बईठ कमिया ददरिया गाय I बारी बखरी में नार ह घपटे, कुंदरू,करेला,तरोई झाके सपटके I चारों मुड़ा हे मंदिर देवालय, बीच बस्ती में महमाया ह दमकय I होत बिहनिया गरवा ढीलाय, कुआं पार मोटियारी सकलाय I हंसी ठिठोली करत पानी भरय, कांवर बोहे राऊत मचमच चलय I घाम बिहनिया ले छानही में बईठे, बम्हनीन कुदन रौऊनिया तापय डटके I कोन जनी कऊवा ह का गोठियाय, कान ल लेगे कीके नऊवा…

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