कमरछठ कहानी – सातो बहिनी के दिन

-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में सात भाई अउ एक बहिनी के कुम्हार परिवार रहय। सबो भाई के दुलौरिन बहिनी के नाम रहय सातो। एक समे के बात आय जब आशाढ़ के महिना ह लगिस। पानी बरसात के दिन षुरू होईस तब कुम्हार भाई मन पोरा के चुकी-जांता, नंदिया बइला अउ गणेष भगवान के मूरती बनाय बर माटी डोहारबो कहिके गाड़ी में बइला ला फांदिन अउ गांव के बाहिर खार डहर चले लगिन। उही बेरा में नानकिन बहिनी सातो घला माटी डोहारे बर जाहूँ कहिके जिद करे लगिन। मयारूक भाई-भौजाई मन,…

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कमरछठ कहानी : बेटा के वापसी

– वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में एक झन मालगुजार रहय। ओखर जवान बेटा ह अदबकाल में मरगे रहय। मालगुजार ह अपन ओ बेटा ला अपन पूर्वज मन के बनाय तरिया जउन ह गांव के बाहिर खार में रहिस उहींचे ओला माटी दे रिहस। उहीच गांव में एक गरीब पहटिया रहय जउन ह मालगुजार घर के गाय-भंइस ला चराय। जेखर एक झन मोटीयारी बेटी रहय। जउन ह घातेच सुघ्घर रिहिस। फेर काय करे बपरी ह गरीबी के सेती उही तरिया के तीर में रोज गोबर अउ लकड़ी बिने बर जाय। एक…

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छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

रद्दा मा काँटा बोवइया मन हर, सूरुज ला जीभ देखइया मन हर। देखौ, बिहनिया के सूरुज आगे, हरदम आँसू बोहइया मन हर। थोरको सोचौ, जानौ , समझौ रे, दूसर बर खाँचा खनइया मन हर। काबर पाछू तुम रेंगत हावौ, आने के पाँव गिनइया मन हर। बेरा आगे अब तो बरसो तुम, बादर कस गजब घपटइया मन हर। बलदाऊ राम साहू रद्दा =रास्ता, मन हर = लोगों, बिहनिया =सुबह, खाँचा=गड्डा, काबर= क्यों, रेंगत हावौ =चल रहे हो, आने के =दूसरों के, घपटइया= छाने वाले

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ब्रत उपास : कमरछठ अउ सगरी पूजा

नारी मन अपन परिवार के सुखशांति अउ खुसहाली बर अबड़ेच उपास धास करथँय। कभू अपन बर गोसइँया पायबर, पाछू अपन सोहाग ला अमर राखे बर। कतको घाँव तिहार बार मा, देंवता धामी मन के मान गउन करेबर अउ पीतर मन के असीस पायबर घलाव उपास करथँय।अइसने एक उपास महतारी मन अपन लइकामन बर राखथँय।एला कमरछठ , खमरछठ, अउ हलछस्ठी उपास कहिथँय। ये उपास ला बिहाता नारी अउ लोग लइका होय महतारी मन रहिथँय। कमरछठ मा सगरी पूजा के महत्तम हे।ये दिन महतारी मन बिहनिया ले मंजन ब्रस नइ करके महुवा…

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नवा बहिनी : नान्हे कहिनी

दीनू मन तीन भाई होथय। बहिनी तो भगवान हा उँखर भाग मा लिखे नइ रहिस। दीनू एसो नवमीं पढ़ही, छोटे भाई विनय सातवीं अउ बड़े भाई मनोज हा ग्यारवीं। दीनू के ददा हा बिजली विभाग के सरकारी करमचारी हवय।हर चार-पाँच बच्छर मा उँकर रहे बसे के ठिकाना बदल जाथय। दीनू अपन दूनो भाई ले अलग सुभाव के हवय। ओहा जौन गाँव मा जाथय नवा संगवारी बना डारथे।वो हा नोनी पिला मन संग जादा रहिथे। जब जब राखी तिहार आथे तब ओकर मन गरु हो जाथय। गुने लगथे एसो कोन राखी…

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सोनू नेताम के कविता

स्वतंत्रता दिवस अमर रहे १५अगस्त तिहार आगे तिरंगा झंड़ा ल लहराबो नवा नवा युनीफाम पहिर दउंड़ के हम ईस्कुल जाबो आजादी दिन ल सुरता करके स्वतंत्रता दिबस मनाबो सत्य अहिंसा मार्गदरसक महात्मा गांधी ल सोरियाबो राष्ट्रगीत अउ राष्ट्रगान झँड़ा लहराके गाबो महात्मा सुभास जवाहर भारत माता के जय बोलाबो गीत कविता अउ भाषण मचंस्थ सभा म सुनाबो नन्हे मन्ने हम बीर सिपाही नाटक के नकल देखाबो बिहानिया ले आरा पारा मोहल्ला प्रभात फेरी जुलुस निकालबो झंड़ा उंचा रहय हमारा नारा लगावत जाबो गुरु गुरुजन अउ परमुख सियान एक जगा सब…

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राखी

छन्न पकैया छन्न पकैया,पक्का हम अपनाबो। नइ लेवन अब चीनी राखी,देशी राखी लाबो।1 छन्न पकैया छन्न पकैया,बहिनी आँसों आबे। हमर देश के रेशम डोरी,सुग्घर तैं पहिराबे।2 छन्न पकैया छन्न पकैया, सावन आय महीना। हमर देश के राखी ले के,पहिरव ताने सीना। छन्न पकैया छन्न पकैया,चलन विदेशी छोड़ी। किसन सुभद्रा जइसे भैया,राहय सब के जोड़ी। छन्न पकैया छन्न पकैया,राखी कीमत जानौ। मया बँधाये बहिनी मन के,येला तुम पहिचानव।5 छन्न पकैया छन्न पकैया,बहिनी भेजे राखी। सरहद मा भाई मन पहिरे,देवत हे सब साखी।6 छन्न पकैया छन्न पकैया,ये तिहार हे पावन। बहिनी जब…

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राखी के तिहार

सावन के पावन महीना में, आइस राखी तिहार । राखी के बंधन में हावय , भाई बहन के प्यार । सजे हावय दुकान में, आनी बानी के राखी । कोन ला लेवँव कोन ला छोंड़व , नाचत हावय आँखी । छांट छांट के बहिनी मन , राखी ला लेवत हे । किसम किसम के मिठाई ले के , पइसा ला देवत हे । भैया के कलाई में, राखी ला बांधत हे । रक्षा करे के वचन, भाई से मांगत हे । भाई बहिन के पवित्र प्रेम, सबले हावय प्यारा ।…

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रुद्री के रुद्रेश्वरधाम

धमतरी जिला ले ६किलोमीटर गंगरेल रोड रक्छेल दिसा रोडेच तिर म लगे रुद्री गांव हे रुद्री बस्ती म गांव वाले अउ सरकारी कालोनी म सरकारी करमचारी अधिकारी लोगन मन निवासरत हे गांव अउ कालोनी दुनो मिलाके ईहां के जनसंख्या २०००-२५०० के लगभग हे रुद्री म सरकारी विभाग के कलेक्ट्रेट,एसपी आफिस, जिला पंचायत,जनपद पंचायत,जल संसाधन, पुलिस लाइन,पुलिस थाना,अउ अन्य विभाग के कारयालय ईहे हे महानदी के खड़ म बसे रुद्री गांव जिहां के रुद्रेश्वरघाट अउ रुद्री बांध जलाशय खुबचंद बघेल के नांव बड़ बिख्यात हे जेन इतिहास के पन्ना म उल्लेख…

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छत्तीसगढ़िया जागव जी

छत्तीसगढ़िया बघवा मन काबर सियान होगेव, नवा नवा गीदड़ मन ल देखव जवान होगे। भुकर भुकर के खात किंजरत, बाहिरी हरहा मन आके ईहाँ पहलवान होगे। सेठ साहूकार मन फुन्नागे, अजगर कस ठेकेदार मोटागे। अंगरा आगी में किसान भुन्जात, दाई ल नोनी के पोसई जीव के काल होगे। मुरहा के अब दिन बिसरगे, करमछड़हा उछरत जात हे। मिहनत करैईया अंगाकर कस सेकाय, कोलिहा गद्दी में बईठ चिल्लात हे। छत्तीसगढ़िया अब तो जागव जी, अपनेच हित ल साधव जी। टांग खिचैईया बईरी ल, धरव,मुड़भसरा गिरावव जी। विजेंद्र वर्मा अनजान नगरगाँव(धरसीवां) मो.…

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