ग़ज़ल

झपले तैं आ जा मोर कना, अंतस ला समझा मोर कना. सबके जिनगी मा सुख-दुख हे, पीरा ला भुलिया मोर कना. जिनगी भर जऊन रोवत हें, उनला झन रोवा मोर कना. बात बिगड़ जथे, बात बात मा बात बने फरिहा मोर कना. पीथे अँधियारी ल दिया हर, बार दिया ला तैं मोर कना. कतको झन जियत हे, भरम मा थोरकिन लखा तैं मोर कना. जग मा कतको झन सुते हें, ‘बरस’ झन ओरिया मोर कना. बलदाऊ राम साहू मो 9407650458

Read More

सोमदत्त यादव के कविता

गांव-गांव म जनमानस के आँखी खोलईया आँधी के जरुरत हे, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे । कोन कइथे,आज हम आजाद हन ? हम तो भीतर-बाहिर सफा कोती बर्बाद हन आज फिर से हमला आजादी के जरुरत हे ,, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे ।। भीतर म नक्सली,बाहिर म आतंकी देश म आज दहशत हे, सोन चिरईया हरियर भुइयां लाल लहू ले लतपथ हे। सत्य ,अहिंसा,दया,प्रेम इत्यादि के जरुरत हे,, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे ।।…

Read More

सार छंद

हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली। खुशी छाय हे सबो मुड़ा मा, बढ़े मया बरपेली। रिचरिच रिचरिच बाजे गेंड़ी, फुगड़ी खो खो माते। खुडुवा खेले फेंके नरियर, होय मया के बाते। भिरभिर भिरभिर भागत हावय, बैंहा जोर सहेली। हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली—-। सावन मास अमावस के दिन,बइगा मंतर मारे। नीम डार मुँहटा मा खोंचे, दया मया मिल गारे। घंटी बाजै शंख सुनावय, कुटिया लगे हवेली। हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली-। चन्दन बन्दन पान सुपारी, धरके माई पीला। टँगिया बसुला नाँगर पूजय,…

Read More

दुसरो के बाढ़ ला देखना चाही : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे।संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! परेवा कस केवल अपनेच बाढ़ ला नई देखना चाही रे दुसरो के बाढ़ ला देख के खुश होना चाही। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। ए दुनिया में अइसे बहुत कम मनखे हावय जउन मन ला दूसर के तरक्की बर्दाश्त होथे। देखे जाय तो हमन सहीं मनखे के अउ सहीं काम के जतका विरोध करथन ओतके विरोध कहूं गलत मनखे के अउ गलत काम के करन तब तो ये…

Read More

छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह : शहीद के गाँव

परंपरा की खुशबू है इन कहानियों में छत्तीसगढी-साहित्य में निरंतर अनुसंधान तथा अन्य विधाओं में सक्रिय लेखनरत डॉ.जयभारती चंद्राकर का यह प्रथम छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह है। ‘शहीद के गाँव’ शीर्षक से संकलित इन कथाओं में छत्तीसगढ़ का यथार्थ स्वाभाविक रूप से दिखाई देता है। पहली कहानी ‘शहीद के गाँव’ एक सच्ची कहानी है, जो देश के लिए मर मिटने वाले युवा के अदम्य साहस की कथा कहती है, जिसकी शहादत पर समूचा गाँव गर्व करता है। संग्रह की तेइस कहानियों में ग्रामीण नजीवन, छत्तीसगढ़ की संस्कृति, सुख-दुख, त्याग-बलिदान, घर-किसान, अंधविश्वास के प्रति…

Read More

देव म महादेव भकूर्रा महादेव

हमर छत्तीसगढ़ राज म सिव परम्परा हर अब्बड़ पुराना हवय।इंहा के कलचुरी राजा मन हर बड़का -बड़का सिव मंदिर के निरमान ल करवाइन, त ले जेमा कछु सिव मंदिर हर स्वयंभू हरे। जेमा सबले अदभुत अउ पुराना स्वयंभू भूतेश्वर नाथ ‘भकूर्रा महादेव’ हवय। छत्तीसगढ़ राज म जिला गरियाबंद म बिराजे भूतेश्वर नाथ ‘भकूर्रा महादेव’ हर गरियाबंद ले 3 कि। मी। दूरिया म नानकुन गांव मरौदा म बिराजे हवय। इंहा के सिव लिंग हर अब्बड़ बिसाल हवय। अब्बड़ बड़का पहार म सिव लिंग के छबि हर विराज मान हवय। इही सिवलिंग…

Read More

सावन के बरखा

झिमिर झिमिर बरसत हे सावन झड़ी के फुहार ओईरछा छानी चुहन लागे रेला बोहागे धारे धार झुमरत हे रुख पाना डारा उबुक चुबुक होगे खेत खार बईला संग बियासी फंदाय लेंजहा चालय बनिहार मघन होके मंजुर नाचय छांए करिया बादर गरर गरर बिजुरी चमके किसनहा जोतय नांगर बेंगवा नरियाय टरर टरर बरखा गीत गावयं कमरा खुमरी मोरा ओड़े खेत नींदे ल जावयं सावन के बरखा बरसत हे बनिहारिन के पैईरी सुनावयं सनन सनन पुरवाई चलय करमा ददरिया गावयं!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव “धमतरी

Read More

गीत: सुरता के सावन

घुमङे घपटे घटा घनघोर। सुरता के सावन मारे हिलोर।। घुमङे घपटे घटा घनघोर…. मेछरावे करिया करिया बादर, नयना ले पिरीत छलके आगर। होगे बइहा मन मंजूर मोर, सुरता के सावन मारे हिलोर।।१ नरवा,नँदिया,तरिया बउराय, मनमोहनी गिंया मोला बिसराय। चिट्ठी,पतरी,संदेस ना सोर, घुमङे घपटे घटा घनघोर।।२ बरसा बरसे मन बिधुन नाँचे, बिन जँउरिहा हिरदे जेठ लागे। लामे मन मयारूक मया डोर, सुरता के सावन मारे हिलोर।।३ पुरवाही जुङ, डोलय पाना डारा, पूँछव पिरोहिल ल पारा ओ पारा। फिरँव खोजव खेत खार खोर, घुमङे घपटे घटा घनघोर।।४ सुरता के सावन मारे हिलोर……..…

Read More

सोनहा सावन सम्मारी

सोनहा समे हे सावन सम्मारी, भजय भगद हो भोला भण्डारी। सोनहा समे हे सावन सम्मारी, भजय भगद हो भोला भण्डारी।।…….. नीलकंठ तोर रूप निराला, साँप-डेरू के पहिरे तैं माला। जटा मा गंगा,.माथ मा हे चंदा, अंगरक्खा तोर बघवा छाला।। भूत,परेत, नंदी हे संगवारी। सोनहा समे हे सावन सम्मारी।।१ भजय भगत हो भोला भण्डारी।।……….. कैलासपती तैं अंतरयामी, तीन लोक के तैं हर सुवामी। सिचरन संग सकती साजे, देबी देवता के तैं देव धामी।। जगत म जबर तैं जटाधारी। भजय भगत हो भोला भण्डारी।।२ सोनहा समे हे सावन सम्मारी।।…………. सिवसंकर बड़ बरदानी,…

Read More

दारु के निसा

अगोरा करथे बारह बज्जी के मंदिर कस भीड़ सकलाय रहिथे गांव गांव के दारूभट्ठी म दारु बर लाईन लगाय रहिथे सियान जवान निसा म मोहाय चेपटी पउंव्वा चघाय रहिथे कोट कोट ले पीके दारू मंद मताउंना म पगलाय रहिथे कोनो चिखला अउ कोनो डबरा म टुन्न ले पीके परे रहिथे अपन तन के हियाव नईहे उपराहा अउ धरे रहिथे पीए बर पईसा मांग-मांगके घर दुवार ल गिरवी धरत हे खाय बर चाउंर दाना नईहे धान चाउंर बेचके पीयत हे कतरो मनखे दवा टानिक सरि एकरे भरोसा म जीयत हे नसा…

Read More