अब एक नवा इतिहास लिखव

मया पिरा में सोवइया हो,अभी बेरा हे जाग जावव.. एखर ले पहिली के तुंहर ए नींद, राज ल ले डुवय… जाति-पाती मा देश ला , बांटके बन्टाधार करइया… अपन हित चाहत हव, ते अब तो एक हो जावव… भाखा के नाम मा लड़इया होवा……. हिंदी ला जग के सिरमौर बनावव…………. राष्ट्र हित मा कुछु तो तियागे करव तुमन एखर ले पहिले के देश फेर ले गुलाम बन जावय……. आधुनिकता केवल पहिनावा ले नि होय संगी…. बात ला अभी भी धर लव तुमन…………. फिर कभू कोनों लंग कोनो भूखे झन सोए……

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परकिती के परती आत्मियता के तिहार ये हरेली

कोनो भी देस-राज के पहिचान ओखर सभियता अऊ संसकिरिती से होथे। हमर भारत देस ह आनी-बानी के सभियता अऊ संसकिरिती के देस हाबय। इहा जम्मू कसमीर से ले के कनियाकुमारी तक अऊ अरूनाचल परदेस से ले के गुजरात तक आनी-बानी के सभियता अऊ संसकिरिती ल मानने वाला म रईथे। हमर भारत देस ह किरसी परधान देस ये अऊ किसान देस के अरथबेवस्था के रीढ़ ये। भारत के हर राज म किसान मन ऊंहा के परंपरा अऊ संसकिरिती म फसल के बोआई से ले के मिसाई तक तिहार के रूप म…

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किसानी अपन करथो

सुत उठ बडे बिहनिया करम अपन करथो भुइंया के लागा छुटे बर म्हिनत मेहा करथो खुन पसिना ले सिच के धरती हरियर करथो मे किसान अव संगी किसानी अपन करथो जग ला देथो खाए बर मे घमण्ड चिटको नइ तो करो नइ रहाव ऐसो अराम मे महिनत करथो इमान ले छल नइ हे मोर मे नइ हे कपट महिनत हाबे मोर धरम भगवान नो हरो धरती के मइनखे मे हा हरो जानो मोर महिनत ला बस अतनि दया करो बासी पेज खा के जिनगी अपन जि थो किसान अव संगी…

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गीत : सावन महीना

सावन आथे त मन मा, उमंग भर जाथे। हरियर हरियर सबो तीर, रंग भर जाथे। बादर ले झरथे, रिमझिम पानी। जुड़ाथे जिया, खिलथे जिनगानी। मेंवा मिठाई, अंगाकर अउ चीला। करथे झड़ी त, खाथे माई पिला। खुलकूद लइका मन, मतंग घर जाथे। सावन आथे त मन मा….. । भर जाथे तरिया, नँदिया डबरा डोली। मन ला लुभाथे, झिंगरा मेचका बोली। खेती किसानी, अड़बड़ माते रहिथे। पुरवाही घलो, मतंग होके बहिथे। हँसी खुसी के जिया मा, तरंग भर जाथे। सावन आथे त मन मा….. । होथे जी हरेली ले, मुहतुर तिहार। सावन…

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लइका बर खसरा अउ रुबैला टीका

समाज अउ सरकार दूनो हा लइका मन के स्वास्थ अउ इलाज बर नवा नवा उदिम करत हवय।देस के भविष्य, 9 महिना से लेके 15 बच्छर के लइका मन ला बने बने राखेबर टीकाकरन अभियान चलाय जावत हे। एमा शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास अउ पंचायत विभाग संघरा मिलके प्रचार प्रसार करत हे। 6 अगस्त से 15 अगस्त के बीच टीकाकरन हफ्ता मनाय जाही। इस्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र, सरकारी अस्पताल अउ आँगनबाड़ी मा टीका लगाय जाही। अइसे तो लइका के जनम धरे के पाछू ले डेढ़ बच्छर तक होवत ले…

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सावन आगे

सावन आगे संगी मन भावन आगे। मन ल रिझाये बर फेर सावन आगे। चारो मुड़ा फेर करिया बदरा ह छा गे, हरियर-हरियर लुगरा म भुईया ह रंगा गे। सावन आगे संगी, फेर सावन आगे। रिमझिम-रिमझिम बरसत हे बादर , सब्बो मनखे के जीव ह जुड़ा गे। सुक्खा के अब दिन पहागे, सब्बो जगहा करिया बादर छा गे। सावन आगे संगी सुग्घर सावन आगे, मन ल मोहाय बर, अब सावन आगे। फुहर-फुहर बरसत हे बदरा, फेर सब के मन ल भिगोत हे। सावन के संग अब, मनखे के मन ल मोह…

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छंद : मदिरा सवैया

1–हे गणराज करौं बिनती ,सुन कष्ट हरो प्रभु दीनन के । रोग कलेश घिरे जग में,भय दूर करो सबके मन के । हाँथ पसारय द्वार खड़े भरदे घर ला प्रभु निर्धन के । तोर मिले बरदान तहाँ दुखिया चलथे सुखिया बनके। 2–राम रहीम धरे मुड़ रोवत नाम इँहा बदनाम करे । उज्जर उज्जर गोठ करे अउ काजर के कस काम करे । रावण के करनी करके मुख मा कपटी जय राम करे । त्याग दया तप नीति बतावय भोग उही दिन शाम करे । 3–काम करो अइसे जग मा सब…

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गीत : जिनगी के गाड़ा

जिनगी के गाड़ा ल, अकेल्ला कइसे तिरौं। उल्ला धुरहा हवै रे, मुड़भसरा मैं गिरौं। काया के पाठा, पक्ति पटनी ढिल्ला। बेरा हा कोचे, तुतारी धर चिल्ला। धरसा मा भरका, काँटा खूँटी हे। बहरावत नइ हे, बाहरी ठूँठी हे। गर्मी म टघलौं, त बरसा म घिरौं——। उल्ला धुरहा हवै रे, मुड़भसरा मैं गिरौं। भारा बिपत के , भराये हे भारी। दुरिहा बियारा , दुरिहा घर बारी। जिम्मेवारी के जूँड़ा म, खाँध खियागे। बेरा बड़ बियापे , घर बन सुन्ना लागे। हरहा होके इती उती, भटकत फिरौं—। उल्ला धुरहा हवै रे, मुड़भसरा…

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सावन में शिव ला मनाबोन

सावन महिना में शिव , सावन अऊ सोमवार के विशेष महत्व हे। एकरे पाय छोटे से लेकर बडे़ तक सावन सोमवारी ल मनाथे। सावन महिना के सोमवार के पूजा अऊ उपवास करे से भगवान शिव ह जल्दी प्रसन्न होथे। ये व्रत ह बहुत ही शुभदायी अऊ फलदायी होथे। सावन मास में शिव के पूजा करे से 16 सोमवार व्रत के समान फल मिलथे। भगवान शंकर के विधि विधान से पूजा करे से घर में सब प्रकार के सुख शांति अऊ लक्ष्मी के प्राप्ति होथे। सावन के महिना ह भगवान शंकर…

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धन्यवाद ल छत्तीसगढ़ी मँ का कइथें ?

अमरू- बाईक ल फर्राटा स्पीड मँ चलावत गेंट ले अँगना भीतरी घुसरीच। थथर-थईया करत धरा-रपटी बाईक खड़ा करके अँगना मँ बइठे अपन बबा कोती दौंड़ीच। जुगुल दास- ओकर बबा हर ओकर हालत ल देख के अपन पढ़त किताब ल बंद करके कइथे, अरे धीर लगा के गाड़ी चलाय कर अराम से आव। तोला आज का होगे हे ? अमरू- तीर म आके कहत हे,का बतावँ बबा आज तो जउँहर फंसगेवँ। जुगुल दास- हो का गे तेला तो बता ? अमरू- आज हमर बी.ए. सेकेण्ड ईयर क्लास के पहिला दिन रहिस,…

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