अइसे तो सबो जानत हव, बेलपाना हा हमर हिन्दू धरम मनइया मन बर कतका महत्तम रखथे। भगवान भोलेनाथ ला एक डारा बेलपाना चढ़ा के मनमाफी वरदान पा सकत हन।कथा मा बताय हवय कि जंगल मा भुलाय भील सिकारी हा रतिहा बिताय बर पेड़ मा चढ़गे। ओकर बिन जाने रात भर बेल पाना हा टूट के गिरत रहिस, भगवान भोलेनाथ हा मोर भगत हा बेल पान चढ़ाय हे कहिके असीस धन सम्पति अउ भक्ति दे देइस।कहे जाथे सावन मा सिव ला बेलपत्र चढ़ाय ले तीन युग के पाप के नास हो…
Read MoreYear: 2018
गाँव गाँव आज शहर लागे
गाँव म गरीब जनता खातिर चलाये जात योजना मन उपर आधारित गाँव गाँव आज शहर लागे, चकचक ले चारो डहर लागे ! फूलत हे फूल मोंगरा विकास के, ओलकी कोलकी महर महर लागे ! जगावत हे भाग अमृत बनके , जे गरीबी हमला जहर लागे ! संसो दुरियागे देख नवा घरौंदा, खदर जेमा ढांके हर बछर लागे ! काया पलटत जमाना हे ललित, सांगर मोंगर होगे जे दुबर लागे! रद्दा गढ़त अब बिन संगवारी के, रेंगत अकेल्ला जिंहा डर डर लागे ! घात सुग्घर निखरत रूप भूंइया ला, देखव बने…
Read Moreसियान मन के सीख: कथा आवय ना कंथली
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन अपन घर अउ पारा परोस के जम्मों लइकन मन ला एक जघा सकेल लेवय अउ जहॉ संझा होवय तहॉ कथा कहानी के दौर शुरू हो जावत रहिस हावय फेर शुरूवात कतका सरल तरीका ले होवय यहू हर अड़बड़ सोचे के बात हरै। घर में रांधे-पसाय के बुता घर के बहुरिया मन करय अउ दार-भात के चुरत ले कथा-कहानी कहे के बुता घर के बूढ़ी दाई, बबा नई तो फुफू दाई के राहय। कहानी के…
Read Moreकहानी : रेलवे टईम टेबुल के भोरहा
मँझन के दू बज गे राहय, मूँड़ मा मोटरा लादे, बाखा मा पेटी चपके, गाँव के मोठडाँट मनखे रामू हा धोती पागा के छूटत ले दउँड़ के रेलवे इसटेसन मा हबरिस, जाड़ के दिन मा घला वोहा पछिना मा नहा डरे राहय, पाछू-पाछू ओकर गोसानिन रेवति अपन दू झन लइका ला धरके हबरिस, वहू पछिना मा लथपथ राहय, वोमन पहिली घँव टरेन चढ़े के साद करे राहय, दूरिहा के सफर, सुने सुनाय गोठ अउ जाड़ के डर मा अड़बड़ अकन समान अउ साल सेवटर ओढ़े लादे राहय। इसटेसन मा पहुँच…
Read Moreनोनी मन के खेलई कुदई ह हिरदे में मदरस घोलय
बड़ सुघ्घ्रर लागय नोनी मन के खेले खेल म गाना गवई अऊ ओकर मन के इतरई ह, अभी के समे म वोईसना खेलईया नोनी बाबु देखे बर नई मिलय। अईसने लागथे ओखर मन के पहिचान ह नदा गेहे, हँसई खेलई ह लईका मन के सबो ह, बस्ता के बोझ तरी चपका गेहे। का देहात का शहरिया बस्ता के बोझ ले उबरिस तहाले मोबाइल में मति ह सकला गेहे। कान ह तरसत हे नांगर बईला बोर दे पानी दमोर दे सुने बर, नगरिहा किसान मन खेती बारी बियारा बखरी के काम…
Read Moreलघु कथा : ठेकवा नाव ठीक
एक ठन गांव मा ठेकवा नाव के एक-हजयन मइनखे रहाये, ओला अपन ठेकवा नाव बने नइ लागे ता हो हा नाव खोजे बर निकल जथे। ता हो हा एक ठन गांव मा जाथे उही मेरन एक-हजयन माइलोगिन गोबर बिनत रथे ता ओला ओकर नाव पुछथे ता ओ हा अपन नाव लक्ष्मी बाई बाताथे ता ठेकवा हा सोच थे एक-हजयन लक्ष्मी बाई रिहिस तेहा अंग्रेज मन संग लोहा ले रिहिस अउ एक-हजयन ऐ लक्ष्मी बाई ला देख ले गोबर बिनत हे। रस्ता मे उहि कारा ओला एक -हजयन भिखारी मिलथे ता…
Read Moreबरसा ह आवत हे!
डोंगरी गुंगवावत हावय,कोरिया फूल महमहावय। छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय। भुंईया पहिरे हरियर लुगरा बादर दिखय करिया करिया। मन मतंग होके बेंगवा छत्तीस राग गावत हावय। छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय। किसनहा के मन हरसागे। धनहा डोली म धान बोवागे। रोपा,बियासी के बुता म रमके लइहा मतावत हावय। छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय। गली -खोर सब चिखला माते। नान्हे नान्हे जम्मो लइका नाचे। नदिया-नरवा,ढोंडगा म बइहा धार बोहावत हावय। छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय। रीझे यादव टेंगनाबासा(छुरा)
Read Moreबरसा गीत
हरियागे धरती अऊ खेती म धान, कई मन के आगर हें चतुरा किसान। बरसथे बादर, अऊ चमकत हे बिजुरी, नोनी मन हवा संग म खेलथें फुगड़ी। मेड़ पार म अहा तता, भर्री म कुटकी, लपकट लहरावत हे, घुटवा कस लुगरी। सोना बरसाथें – गुलाबी बिहान। कइ मन के आगर हें चतुरा किसान। अरवा अऊ नदिया के पेट हा अघागे डोंगरी के पानी, समुनदर थिरागे। करमा ददरिया अऊ आलहा चनदैनी, चौरा चौरसता म, भाई अऊ बहिनी। गावथें बांचथे – पोथी पुरान। कई मन के आगर हें चतुरा किसान। महर महर केकती,…
Read Moreग़ज़ल : गुलेल
हम बेंदरा अन, उन मंदारी लागत हावैं, धरे गुलेल हे, बड़े सिकारी लागत हावैं। हमरे इहाँ कौनो पूछइया हावै काँहाँ, हम बोबरा उन बरा-सोंहारी लागत हावैं। हाथ मा जेकर राज-पाठ ला सौंपे हम मन, उन राजा कहाँ, बड़े बैपारी लागत हावैं। जउन मनखे हर सीता जी के हरन करीन हे, आज मंदिर के बड़े पुजारी लागत हावैं। जुग के कोढ़िया, ठलहा किंजरत रहिस जउन, खरतरिहा बनगे धरे तुतारी लागत हावैं। बलदाऊ राम साहू 1. बंदर 2. स्वादहीन पकवान 3. बड़ा-पुरी 4. कामचोर 5. जिसके पास काम नहीं (निठल्ले) 6. घुम…
Read Moreछत्तीसगढ़िया कहाबो, छत्तीसगढ़ी बोलबो अउ चल संगी पढ़े ला
छत्तीसगढ़िया कहाबो अपन महतारी भाखा ल गोठियाबो, छत्तीसगढ़िया कहाबो,संगी छत्तीसगढ़िया कहाबो। लहू म भर के भाखा के आगी,छत्तीसगढ़ी ल गोठियाबो। छत्तीसगढ़िया अब हम कहाबो, छत्तीसगढ़िया कहाबो। अमर शहीद पुरखा के आंधी ल, अपन करेजा म जराबो। बलदानी वीरनारायण जइसे, छत्तीसगढ़ के लईका कहाबो। अपन माटी अपन मया ल, छत्तीसगढ़ महतारी बर लुटाबो। छत्तीसगढ़िया कहाबो भईया, छत्तीसगढ़िया कहाबो। बघवा असन दहाड़ के,छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाबो। अपन महतारी भाखा ल जगाबो। महतारी भाखा ल जगाबो। छत्तीसगढ़ के माटी के, करजा ल अब छुटाबो। छत्तीसगढ़िया कहबो संगी छत्तीसगढ़िया कहाबो। छत्तीसगढ़ महतारी के पीरा, ल…
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