अकती के तिहार आगे

अकती के तिहार आगे। लगन धर के बिहाव आगे। मड़वा गड़गे हरियर-हरियर पुतरा-पुतरी दिखता हे सुग्‍घर। मनटोरा के पुतरी, जसोदा के पुतरा तेल हरदी चघ गे, दाई दे दे अचरा। जसोदा के पुतरा के बरात आगे बरा सोहारी बराती मन खावथे। तिहारू ह मांदर मंजीरा बजावतथे। मनटोरा के पुतरी के होवथे बिदई कलप-कलप के रोवत हे दाई। नवा बहुरिया संग उछाह आगे अकती के तिहार आगे घर-घर लगन माड़गे। – डॉ.शैल चंद्रा रावणभाठा, नगरी, जिला धमतरी

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अकती के तिहार

छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही सुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी काम करबे ओकर बहुत ही लाभ या पून्य मिलथे। अइसे वेद पुरान में बताय गेहे। कब मनाथे – अकती के तिहार ल बैसाख महीना के अंजोरी पाख के तीसरा दिन मनाय जाथे। एला अक्छय तृतीया या अक्खा तीज कहे जाथे। अक्छय के मतलब ही होथे कि जो भी सुभ काम करबे ओकर कभू छय नइ होये। एकरे सेती एला अक्छय तृतीया कहे जाथे। परसुराम अवतार…

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अकती तिहार

चलव दीदी चलव भईया, अकती तिहार मनबोन ग। पुतरी पुतरा के बिहाव करबो, मड़वा ल गडीयाबोन ग। कोनो लाबो डारा पाना, कोनो तोरन बनाबोन ग। चलव लीपव अंगना परछी, अकती तिहार मनाबोन ग। चलव सजाबो दूल्हा दुल्हीन, सुरघर महेंदी लगाबोन ग। दुदुंग दुदूंग बजही बाजा, दूल्हा दुल्हीन ल नचवाबोन ग। अकती के दिन सबले बढ़िया, चलव सुरघर टिकावन टिकबोन ग। अकती दिन महुरत लगे न सहुरत, चलव बर बिहाव ल करबोन ग। युवराज वर्मा बरगड़ा (साजा) जिला बेमेतरा

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आज के बड़का दानव

अभिच कुन के गोठ हवै। हमर रयपुर म घाम ह आगी कस बरसत रिहिस, जेखर ले मनखे मन परसान रिहिस। मेहा एक झन संगवारी के रद्दा देखत एक ठन फल-फूल के ठेला के तीर म बैठै रहव। ओ ठेला वाला करा अब्बड झन मनखे मन आतिस, अऊ अपन बड़ महँगा जिनिस लेके चल देवय। आप मन ह सोचत होहू कि फल-फूल वाला करा काय महाँगी समान होही? ओ समान रिहिस गुटका, बीड़ी, माखुर, सिगरेट, जरदा जैसे निशा के समान। असल म वो ठेला वाला मेर फल-फूल, कुरकुरे-पापड़ी के संग म…

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जब बेंदरा बिनास होही

वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही, एक एक दाना बर तरसही मनखे, बूंद बूंद पानी बर रोही, आज जनम देवैया दाई-ददा के आँखी ले आँसू बोहावत हे, लछमी दाई कस गउ माता ह, जघा जघा म कटावत हे, हरहर कटकट आज मनखे, पाप ल कमावत हे, नई हे ठिकाना ये कलजुग में, महतारी के अचरा सनावत हे, मानुष तन में चढ़े पाप के रंग ल, लहू लहू में धोही, वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही। भूकम्प, सुनामी अंकाल, जम्मो संघरा आवत हे, आगी बरोबर…

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डॉ.शैल चंद्रा के किताब : गुड़ी ह अब सुन्‍ना होगे

संगी हो ये किताब ल बने सहिन पीडीएफ बनाए नइ गए हे, तभो ले डॉ.शैल चंद्रा जी के रचना मन के दस्‍तावेजीकरण के उद्देश्‍य से येला ये रूप में हम प्रस्‍तुत करत हवन। पाछू प्रकाशक या टाईप सेट वाले मेरे ले सहीं पीडीएफ या टैक्‍स्‍ट फाईल मिल जाही त वोला प्रकाशित करबोन। 1. सहर के गोठ 14. नंदागे लडकपन 27. भगवान के नांव म 40. आज के सरवन कुमार 2. बैसाखू के पीरा 15. फायदा 28. पढंता बेटा 41. इक्कीसवीं सदी के गंधारी 3. अपन-अपन भाग 16. आज के सीता…

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छत्तीसगढ़ी बोलबो

मया के मधुरस करेजा म घोलबो, गुरतुर बोली छत्तीसगढ़ी ल बोलबो। भाखा हे मोर बड़ सुघ्घर-सुघ्घर। सारी जिनगी मिल-जुल के लिखबो, बोली हे हमर बढ़िया भाखा हे, गोठियाये के मन म बड़ अभिलासा हे। सारी जगहा अपन बोली-भाखा ल, बगराबो छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाबो। जुन्ना-नवा परंपरा ल अपनाबो, छत्तीसगढ़ी संस्कृरिति ल सब्बो ल जनाबो। संगी-जहुरिया संग छत्तीसगढ़ी गोठियाबो। अपन बोली भाखा ल अपनाबो। जोहार छत्तीसगढ़ के नारा सब्बो जगहा लगाबो, छत्तीसगढ़ी गोठियाबो, छत्तीसगढ़ी गोठियाबो। अनिल कुमार पाली, ‘जुगनी’ तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़। प्रशिक्षण अधिकारी आई टी आई मगरलोड धमतारी मो.न.-7722906664,7987766416 ईमेल:- anilpali635@gmail.com

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मोर छतीसगढ़ महान हे

छतीसगढ़ के पबरित भुईया जस गावत जहान हे वीर जनमईया बलिदानी भुईया मोर छतीसगढ़ महान हे होवत बिहनिया सुरुज के लाली नित नवा अंजोर बगरावय मटकत रुखवा पुरवईया म डोंगरी पहाड़ी शोभा बढ़हावय जन जन के हिरदे म मानवता मया के खदान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे करिया तन म मनखे ईहा सत ईमान के ढांचा रिस्ता नाता जबर पोठ हे राम ईहा के भाचा मया पीरा बर घेच कटईया मनखे गुणवान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे कल कल बोहावत महानदी संग…

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तेजनाथ के रचना

बड़ उथल-पुथल हे मन म, आखिर का पायेंव जीवन म? जंगल गेयेंव घर,परिवार छोड़ के, घेर लिस ‘तियागे के अहम’ उंहा भी बन म। देह के बंधन ले मुक्ति बर देह मिले, कहिथें, अउ पूरा जिनगीए सिरागे देह के जतन म। अमका होही, ढमका होही, कहिथें, फलाने दिन,दिसा,फलाने लगन… म। बड़ दिक्कत हे, दुख हे दुनों हाल म, लइका हे अउ नइहे तभो आंगन म। कमा -कमा के मर गेंव मैं, दूसर मरगे सिरिफ जलन म। ये जीवन-वो जीवन,सरग-नरक, पाप-पुन…, महिं जस मथागे जिनगी,उलझन म। थक गेंव सांति अउ खुसी…

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आँखी मा आँखी

आँखी मा आँखी तँय मिला के देख ले। जिनगी के बीख ला पीया के देख ले।। आँखी मा आँखी……… पथरा के मुरती नो हँव महुँ मनखे आँव, नइ हे बिसवास तँय हिलाके दे ख ले। आँखी मा आँखी……… हिरदे मा तोर नाँव के लहू दउड़त हावै, धक-धक ए जिवरा धड़काके देख ले। आँखी मा आँखी………. नइ हे कोनों तोर सहीं नाँव के पुछइया, मया के चिन्हारी ओ चिनहाके देख ले। आँखी मा आँखी…………. दुनिया मा मया के बजार हावै “बोधन”, एको दिन तो तहुँ हा बिसाके देख ले। आँखी मा…

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