हमर राम राजा बनही, ये सपना हा आज के नोहे , तइहा तइहा के आए! त्रेताजुग म, जम्मो तियारी कर डारिन,फेर राम ल राजा नि बनाए सकिन कोन्हो, अउ दसरथ सपना देखत दुनिया ले बिदा घला होगिस! उहां के जनता के चौदा बछर, सिरिफ अगोरा म बीतगे! राम राजा बनही, त ऊंखर समसिया के निराकरन होही, इंखर दुख दरद गोहार ल सुनही, इही आस अभू तक संजोए राखे हे जनता! तभे हर बखत राम ल राजा बनाए के कोसिस करे जाथे! पर राम कोन जनी कहां लुकाहे! अब परस्न ये…
Read MoreYear: 2018
तभे होही छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास
छत्तीसगढ़िया मन ल पहली अपन भाखा ल अपनाये ल लगही तभे होही छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा बर राज भाखा आयोग त बना डारे हे फेर भाखा के विकास बर कुछु काम नइ होइस, अठरा बछर होगे छत्तीसगढ़ राज ल बने तभो ले इहा के छत्तीसगढ़ी भाखा ह जन-जन के भाखा नइ बन सकिस, कतको परयास करत हे जन मानुष मन अपन भाखा ल जगाये के, तभो ले अतना पिछड़े त कोनो भाखा नइ होही जतन छत्तीसगढ़ी भाखा हे, काबर के छत्तीसगढ़ी भाखा ल जतका खतरा परदेशिया…
Read Moreजाड़ अब्बड़ बाढ़त हे
बिहनिया ले उठ के दाई , चूल्हा ल जलावत हे । आगी ल बारत हे अऊ , चाहा ला बनावत हे । जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे हँसिया ला धर के दाई , खेत डाहर जावत हे । घाम म बइठे बबा , नाती ला खेलावत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे सेटर शाल ओढे हावय , घाम सबो तापत हे । किट किट दाँत करे , लइका मन काँपत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे बिहना के उठइया मनखे , जाड़ मा नइ उठत हे । चद्दर ला ओढ के…
Read Moreका होही?
बाढत नोनी के संसो म ददा के नींद भगा जाथे। कतको चतुरा रहिथे तेनो ह रिश्ता-नत्ता म ठगा जाथे। दू बीता के पेट म को जनी!! कतेक बड दाहरा खना जाथे। रात-दिन के कमई ह नी पूरय जतेक रहिथे जम्मो समा जाथे। दुब्बर बर दू असाढ करके मालिक ल घलो मजा आथे। लटपट-लटपट हमरे बर पूरथे तउनो म रोज सगा आथे। बइमान सब मउज करत हे साव मनखे ह सजा पाथे। आंखी मूंदके बैठे हे सब हंसा तभे करिया कउंवा जघा पाथे। रीझे यादव टेंगनाबासा(छुरा)
Read Moreचरनदास चोर
चरनदास चोर ला कोन नी जानय। ओकर इमानदारी अऊ सेवा भावना के चरचा सरग तक म रहय। अभू तक कन्हो चोर ला, सरग म अइसन मान सममान नी मिलिस जइसन चरनदास पइस। एक दिन के बात आय, चरनदास हा, सरग म ठलहा बइठे भजन गावत रहय तइसने म, चित्रगुप्त के बलावा आगे। चित्रगुप्त किथे – चरनदास, पिरथी म तोर जाये के समे आगे। चरणदास पूछथे – कइसे भगवान ? चित्रगुप्त किथे – बीते जनम म तोर आयु पूरा नी होय रिहीस, उही बांचे आयु ला पूरा करे बर, वापिस जाये…
Read Moreभारत माँ के दुलौरिन बेटी
मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। तोरे कोरा मं देवी देंवता, डोंगरगढ़ बमलाई हे। राजिम मं कुलेश्वर बिराजे, भक्तिन करमा दाई हे।। :-महानदी तोर चरण पखारे…2,निरमल धारा बोहाई मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी,छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। सिहावा मं सिंगी रिषी अऊ,महानदी आंवतारी हे। रईपुर मं बंजारी बिराजे, महासमुंद खल्लारी हे।।…
Read Moreसोच समझ के देहू वोट
अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे. दारु-कुकरा, धोती-लुगरा,नोट। सोच समझ के देहू वोट।-2 वोट माँगत ले नेता सिधवा हे, मरे ल मारे बर येहा गिधवा हे. मउका हे ठउका मारव चोट। सोच समझ के देहू वोट।-3 बुढ़वा रेंगव. चलव जवान. खच्चित करव तुमन मतदान. धरम-करम नइ होवय रोज। सुनव अपन हिरदे के गोठ।…
Read Moreछत्तीसगढ़ी नाटक – मतदान बर सब्बो झन होवव जागरूक
(चुनाव के बुता म लगे शिक्षक घर-घर जा के मतदाता मन के सूद लेथे अउ मतदान करे बर सब्बो ल जागरूक करत हे) शिक्षक रददा म रेंगत जात रहिथे त ओखर भेंट एक पागल मनखे ले हो जाथे, पागल- जय हिंद गुरुजी कहाँ जात हास। शिक्षक- जय हिंद, चुनाव अवइया हे भाई, तेखर सेती मतदाता मन ल जागरूक करे म लगे हौ, सब्बो मतदाता मन ल चुनाव के पहली जगाना हे। पागल-कोनों फायदा नइ हे गुरु जी जगाए के जगाये तो सुते मनखे ल जाथे, फेर इंहा तो सब मर…
Read Moreनान्हे कहिनी- बेटी अउ बहू
एक झन दूधवाला ह अपन गिराहिक कना दूध लेके जाथे त एकझन माइलोगिन ह दूध ल झोंकाथे। पहिली दिन- ‘उपराहा दूध कोन मंगाय हे गा! काबर अतेक दूध देवत हस?’ वो माइलोगिन ह पूछिस। “भऊजी ह देबर केहे हे दाई!” दूध वाला ह बताइस। ‘का करही वोहा अतेक दूध ल!!’ “दाई! भउजी ह बतावत रिहिसे ओला डॉक्टर ह दूध संग म दवाई पीये बर केहे हे। ते पाय के आधा किलो उपराहा दूध मंगाय हे।” ‘अउ ओकर पैसा ल का ओकर बाप ह दिही! झन दे उपराहा दूध। हमर घर…
Read More“गंवई-गंगा” के गीत गवइया
गिरे-परे-हपटे ल रददा देखइया, जन-मन के मया-पीरा गवइया। “मोर संग चलव” कहिके भईया आँखीओझल होगए रद्दा रेंगइया।। माटी के मोर बेटा दुलरुवा, छत्तीसगढ़ी के तैंहा हितवा। सोला आना छत्तीसगढ़िया, मया-मयारू के तैं मितवा।। तोर बिना सुसकत हे महतारी, गांव-गली,नदिया- पुरवइया।। छत्तीसगढ़ के अनमोल रतन, माटी महतारी के करे जतन। “सोनाखान के आगी” ढिले, पूरा करे तैंहर सेवा के परन।। “चंदैनी गोंदा”कुम्हालात काबर? “गंवई – गंगा” के गीत गवइया।। छत्तीसगढ़ के सभिमान बर, धरती के गरब – गुमान बर। कलम चला निक जिनगी जीए, मनखेपन अउ सत-ईमान बर।। गीत झरे तोर…
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