समारू बबा ल लोकवा मारे तीन बछर होगे रिहिस, तीन बछर बाद जब समारू बबा ल हस्पताल ले गांव लानीस त बस्ती भीतर चउक में ठाड़े पीपर रुख के ठुड़गा ल कटवत देख के, सत्तर बछर के समारू के आँखी कोती ले आँसू ढरक गे। बबा के आँखी में आँसू देख के पूछेंव कइसे बबा का बात आय जी, त बबा ह भरे टोंटा ले बताइस, कथे सुन रे धरमेंद तैं जेन ये पीपर रूख ल देखत हस जेन ल सुखाय के बाद काटत हवे तेन ल हमर बबा के…
Read MoreDay: January 19, 2019
छत्तीसगढ़ी गज़ल
अब नगरिहा गाये नहीं, काबर ददरिया। संगी ला बलाये नहीं, काबर ददरिया। बेरा-कुबेरा खेत-खार म गुंजत राहय, हमला अब लुभाये नहीं, काबर ददरिया। मन के पीरा, गीत बना के जेमा गावन, अंतस मा समाये नहीं, काबर ददरिया। कुहकत राहय ओ कोयली कस जंगल मा, पंछी कस उड़ाये नहीं, काबर ददरिया। करमा, सुआ अउर पंथी के रहिस संगी, अपन तान उचाये नहीं, काबर ददरिया। –बलदाऊ राम साहू
Read Moreपुरुस्कार – जयशंकर प्रसाद
जान-चिन्हार महाराजा – कोसल के महाराजा मंतरी – कोसल के मंतरी मधुलिका – किसान कइना, सिंहमित्र के बेटी अरुन – मगध के राजकुमार सेनापति – कोसल के सेनापति पुरोहित मन, सैनिक मन, जुवती मन, पंखा धुंकोइया, पान धरोइया दिरिस्य: 1 ठान: बारानसी के जुद्ध। मगध अउ कोसल के मांझा मा जुद्ध होवत हावय, कोसल हारे बर होवत हावय, तभे सिंहमित्र हर मगध के सैनिक मला मार भगाथे। कोसल के महाराजा खुस हो जाथें। महाराजा – तैंहर आज मगध के आघू मा कोसल के लाज राख ले सिंहमित्र। सिंहमित्र – सबो…
Read Moreछत्तीसगढ़ म दान के महा परब छेरछेरा
ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे। हमर सभियता, संसकिरीति म तिहार के बड़ महत्तम हाबय। हमर सभियता अऊ संसकिरीति म ये तिहार मन रचे बसे हावय। ये तिहार म दान के परब छेरछेरा घलो हावय। हमर ये छेरछेरा तिहार पुस पुन्नी के दिन मनाये जाथे। फसल ल खेत-खार ले डोहार के कोठार…
Read Moreबियंग : करजा के परकार
यू पी एस सी के परीकछा म भारत के अरथ बेवस्था ला लेके सवाल पूछे गिस। सवाल ये रहय के करजा के कतेक परकार होथे। जे अर्थसासतरी लइका मन बड़ पढ़ लिख के रटरुटाके गे रहय तेमन, रट्टा मारे जवाब लिखे रहय। ओमन लिखे रहय – तीन परकार के करजा होथे, पहिली अलपकालीन, दूसर मध्यकालीन अऊ तीसर दीर्घकालीन। तीनों ला बिसतार से समझाये रहय। कुछ इनजीनियर किसिम के लइका मन लिखे रहय। करजा तीन परकार के होथे, पहिली किसानी करजा, दूसर उदयोगिक करजा, तीसर घरेलू करजा। तीनों ला उहू मन…
Read Moreसरसती वंदना
वीणा बजईया सरसती मंईयाँ..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई मोला गियान देना ओ…2 कोंदा लेड़गा तोर चरण मं आके, सुर मं सुर मिलाये ओ गईया बछरू तोर मयां ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ रम्भाऐ ओ :-गीयान देवईया सरसती मंईयाँ..2 मोला उबार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई गियान देना ओ…2 चिरई-चिरगुण सातो सुर ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ गोहराऐ ओ सुआ पंड़की कोईली परेवना, महिमा ला तोर बखाने ओ :-बुद्धि देवईया वीणा बजईया..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई, मोला गियान देना ओ…2…
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