न हाथ न गोड़, न मुड़ी न कान। अइसे दिखत हे, कोन जनी कब छूट जही परान। सिरिफ हिरदे धड़कत हे। गरीब के झोफड़ी म हे तेकर सेती जीयत हे। उही रद्दा म रेंगत बेरा, उदुप ले नजर परगे, बिचित्र परानी ऊप्पर। जाने के इकछा जागिरीत होगे। बिन मुहू के परानी ल गोठियावत देखेंव, सुकुरदुम होगेंव। सोंचे लागेंव, कोन होही एहा ? एकर अइसे हालत कइसे होइस , अऊ एहा कइसे जियत हे ? तभे हांसे लागिस ओहा। अऊ केहे लागिस, तेंहा अइसे सोंचत हावस बाबू, जानो मानो मोला कभू…
Read MoreDay: January 26, 2019
अमित के कुण्डलिया ~ 26 जनवरी
001~ तिरंगा झंड़ा धजा तिरंगा देश के, फहर-फहर फहराय। तीन रंग के शान ले, बैरी घलो डराय। बैरी घलो डराय, रहय कतको अभिमानी। देबो अपन परान, निछावर हमर जवानी। गुनव अमित के गोठ, कभू झन आय अड़ंगा। जनगण मन रखवार, अमर हो धजा तिरंगा। 002~ भारत भुँइयाँ भारत हा हवय, सिरतों सरग समान। सुमता के उगथे सुरुज, होथे नवा बिहान। होथे नवा बिहान, फुलय सब भाखा बोली। किसिम किसिम के जात, दिखँय जी एक्के टोली। गुनव अमित के गोठ, कहाँ अइसन जुड़ छँइयाँ। सबले सुग्घर देश, सरग कस भारत भुँइयाँ।…
Read Moreमोर भारत भूइयाँ ल परनाम
देस के बीर जवान जेन करिस काम महान, देस के आजादी बर गवाँ दिस परान, अइसन पुन के माटी म धरेंव जनम। मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। धन हे वो कोरा जेमा बीर खेलिस, दूध के करजा ल लहू देके चुकइस बेरा अब आय हे लेके ओखर नाम, मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। अंगरेज मन के कारन हमर जिनगी होगे रहिस हराम, भगतसिंह,गांधी मन के मेहनत के हरय ये परिनाम, वोखरे सेती करत हाबन बेफिकर होके काम। मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। अजादी के बाद समसिया आगे महान, जेकर बाबा…
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