नंदावत हे अंगेठा

देवारी तिहार के तिर मा जाड़ हा बाढ जाथे, बरसात के पानी छोड़थे अउ जाड़ हा चालू हो जाथे। फेर अंगेठा के लइक जाड़ तो अगहन-पूस मा लागथे। फेर अब न अंगेठा दिखे, न अगेठा तपइया हमर सियान मन बताथे, पहिली अब्बड़ जंगल रहय, अउ बड़े बड़े सुक्खा लकड़ी। उही लकड़ी ला लान के मनखे मन जाड़ भगाय बर अपन अंगना दुवारी मा जलाय, जेला अंगेठा काहय। कोनो कोनो डाहर अंगेठा तापे बर खदर के माचा घलो बनाथे। अउ उंहे बइठ जाड़ ला भगाय। फेर अब जमाना के संगे संग…

Read More

नान्हे कहिनी – फुग्गा

लच्छू अपन नानकुन बेटी मधु ला धरके मड़ई देखायबर लाय हे।लच्छू के जिनगी गरीबी मा कटत हे। खायबर तो सरकार हा चाउँर दे देथय।फेर गाँव मा काम बूता हाथ मा नइ रहे ले एकक पइसा बर तरसत रहिथे। आज गाँव के मड़ई हे।एसो बहुतेच भीड़ हवय। काबर कि एसो मड़ई के दिन सरकारी छुट्टी घलो पड़गे हवय। गाँव के जतका सरकारी नौकरी करइया मन सहर मा रहिथे सबो मन परिवार संग मड़ई मानेबर आय हवय। गाँव के मड़ई मा बेटी दमाद ,समधी सजन सबो मन आय हे। माता देवाला अउ…

Read More

नवा पहल 2019

1. नवा बसर मा नवा पहल होवय, मनखे परान परबल होवय। शुभ चरितर अऊ सबो के भविष्य उज्जर होवय।। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 2. मया मेहनत के पानी मा, चीखला होवय ,माटी मा। ऊपर तो फूलै खोखमा, पानी पवितर जल होवय। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 3. टमडे़ ला झन परय कोनो जघा, जगमग देवारी घर अंगना। घपटे अंधियार झन टिकय झोपड़ी चाहे महल होवय।। नवा बसर मा नवा पहल होवय। 4. नवा धरती नवा अगास नवा बिहनिया के हे आस नवा-नवा सब बागबगिया नवा – नवा…

Read More

बेरोजगारी

दुलरवा रहिथन दई अऊ बबा के, जब तक रहिथन घर म। जिनगी चलथे कतका मेहनत म, समझथन आके सहर म।। चलाये बर अपन जिनगी ल, चपरासी तको बने बर परथे। का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। इंजीनियरिंग, डॉक्टरी करथे सबो, गाड़ा-गाड़ा पईसा ल देके। पसीना के कमई लगाके ददा के, कागज के डिग्री ला लेथे।। जम्मो ठन डिग्री ल लेके तको, टपरी घलो खोले बर परथे। का करबे “राज” ल नौकरी बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। लिख पढ़ के लईका मन ईहाॅ, बेरोजगारी म…

Read More

मोला करजा चाही

पाछू बच्छर दू बच्छर ले करजा के अतेक गोठ चलत हे कि सुन-सुन के कान पिरागे हे।फलाना के करजा,ढेकाना के करजा।अमका खरचा करे बर करजा।ढमका खरचा बर करजा।राज के करजा।सरकार के करजा।किसान के करजा।मितान के करजा। दुकान के करजा। हंफरासी लागगे करजा के गोठ सुनके।दू साल पहिली एक झन हवई जहाज वाला ह करजा खाके बिदेस भागे हे ते लहुटे के नांव नी लेवत हे।एक झन तगडा चौकीदार तको बैठे हे।फेर को जनी का मंतर जानथे वो करजा खानेवाला मन कि वो कतका बेर बुचकथे कोनो थाहा नी पाय।एती चौकीदार…

Read More

मोंगरा (छत्तीसगढ़ी उपन्यास) शिवशंकर शुक्ल

भूमिका – छत्तीसगढ़ के समाज-परिवार का अंकन मोंगरा एक सफल उपन्यास कृति है जिसमें छत्तीसगढ़ का पारिवारिक एवं सामाजिक जीवुन-रूप अंकित है। आंचलिक उपन्यासकार के लिए आवश्यक होता है कि वह अपनी कृति को उस अंचल विशेष के जीवन से इस पऱकार संयोजित-समन्वित करे जिसे पढ़ कर एक अपरिचित व्यक्ति भी वहां के जन-जीवन के बारे में जान सके। आंचलिक जीवन, प्राकृतिक दृश्यावली, रीति-रिवाज, बोली आदि के स्वरूप उपन्यास में देखे जा सकते हैं। इस दृष्टि से मोंगरा एक सफल उपन्यास है। मोंगरा में एक गरीब किसान का पारिवारिक जीवन…

Read More

दियना के अंजोर (छत्तीसगढ़ी के पहली उपन्यास) शिवशंकर शुक्ल

सर्वाधिकार – लेखकाधीन आवरण – रविशंकर शर्मा प्रथम संस्करण – 1964 द्वितीय संस्करण – 2007 मूल्य – 100 रु. प्रकाशक वैभव प्रकाशन सागर प्रिंटर्स के पास, अमीनपारा चौक, पुरानी बस्ती, रायपुर (छत्तीसगढ़) दूरभाष – (0771) 2262338, मो. 94253-58748 DIYNA KE ANJOR BY : SHIVSHANKAR SHUKLA शुभकामना – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी वर्तमान युग सचमुच छत्तीसगढ़ के लिए भी नवजागरण काल हो गया है, छत्तीसगढ़ में नव-प्रतिभा का उन्मेष देख कर मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है। साहित्य के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ के तरुण साहित्यकार अपनी रचना-शक्ति का अच्छा परिचय दे रहे…

Read More

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़

हमर छत्तीसगढ़ ल बने अठारह बछर पुर गे अउ अब उन्नीसवाँ बछर घलोक लगने वाला हे, अउ येही नवा बछर म हमर छत्तीसगढ़ राज म नवा सरकार के गठन घलोक होये हे येही नवा सरकार बने ले सब्बो छत्तीसगढ़िया मन के आस ह नवा सरकार ले बाढ़ गे हे की नवा सरकार ह छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़िया मन बर कुछु नवा करही जइसे नवा सरकार के परमुख गोठ हे “गढ़बो नवा छत्तसीगढ़” येही गोठ ल धर के सरकार ह छत्तीसगढ़ अउ छत्तीगढिया बर काम बुता करहि त सब्बो छत्तीसगढ़िया मनखे के…

Read More

नवा बछर के मुबारक हवै

जम्मो झन हा सोरियावत हवै, नवा बछर हा आवत हवै। कते दिन, अऊ कदिहा जाबो, इहिच ला गोठियावत हवै।। जम्मो नौकरिहा मन हा घलो, परवार संग घूमेबर जावत हवै। दूरिहा-दूरिहा ले सकला के सबो, नवा बछर मनावत हवै।। इस्कूल के लईका मन हा, पिकनिक जाये बर पिलानिंग बनावत हवै। उखर संग म मेडम-गुरूजी मन ह, जाये बर घलो मुचमुचावत हवै।। गुरूजी मन पिकनिक बर लइका ल, सुरकछा के उदिम बतावत हवै। बने-बने पिकनिक मनावौ मोर संगी, नवा बछर ह आवत हवै।। नवा बछर के बेरा म भठ्ठी म, दारू के…

Read More

आल्हा छंद – नवा बछर के स्वागत करलन

बिते बछर के करन बिदाई,दे के दया मया संदेश। नवा बछर के स्वागत करलन,त्याग अहं इरखा मद द्वेष। आज मनुष्य हाथ ले डारिस,विश्व ज्ञान विज्ञान समेट। नवा बछर मा हमू खुसर जन,खोल उही दुनिया के गेट। हंसी खुशी मा हर दिन बीतय,हर दिन होवय परब तिहार। सदा हमर बानी ले झलकय,सदाचरण उत्तम व्यवहार। अंतस मा झन फोरा पारन,हिरदे मा झन देवन घाँव। मिले बखत हे चार रोज के,रहलन दया मया के छाँव। पूर्वाग्रह के चश्मा हेरन,अंतस मा सम भाव जगान। पूर्वाग्रह के कारण संगी,मानवता हावय परसान। छोड़ अलाली के संगत…

Read More