फाग गीत – होली हे

उड़त हे अबीर गुलाल, माते हे मऊहा चार I टेसू फुले, परसा डोले, पींयर पींयर सरसों रस घोरे, दुल्हन कस धरती के सिंगारI उड़त हे अबीर गुलाल, होली हे ——– मऊरे आमा मद महकाएँ, कोयलियाँ राग बासंती गायें I कनवा, खोरवा गंज ईतरायें, नशा के मारत हे उबाल, उड़त हे अबीर गुलाल I होली हे ——— ढोल,मजीरा, मृदंग बाजै, घुँघरू के सन गोरी नाचै I होठ रसीले गाल गुलाबी, फागुन के येदे चाल शराबी I माते हे मऊहाँ अऊ चार, उड़त हे अबीर गुलाल I होली हे ——– नींद निरमोही…

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रखवारी

जनगल के परधान मनतरी हा, जनगल म परत घेरी बेरी के अकाल दुकाल के सेती बड़ फिकर करय। जे मुखिया बनय तिही हा, जनगली जानवर मन के फिकर म दुबरा जाये। एक बेर एक झिन मुखिया ला पता चलिस के, दूर देस के जनगल म, एक ठिन अइसे चीज के निरमान होये हे, जेला सिरीफ अपन तिर राखे ले, भूख गरीबी डर भय अपने अपन मेटा जथे। बड़ महंगुलिया आइटम रिहीस हे फेर, जनता के सेवा बर बिसाना घला जरूरी रिहीस। ओहा वो आइटम ला बिसाये के तै करिस। उधारी…

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हमला तो गुदगुदावत हे, पर के चुगली – चारी हर : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

1 जंगल के तेंदू – चार नँदागे, लाखड़ी, जिल्लो दार नँदागे। रोवत हावै जंगल के रूख मन, उनकर लहसत सब डार नँदागे। भठगे हे भर्री – भाँठा अब तो, खेत हमर, मेंढ़ – पार नँदागे। का-का ला अब तैं कहिबै भाई, बसगे शहर, खेती-खार नँदागे। गाड़ी हाँकत, जावै गँवई जी, गड़हा मन के अब ढार नँदागे। गाँव के झगरा-झंझट मा जी, नेवतइया गोतियार नँदागे। 2 नइ चले ग अब पइसा दारू, नेता मन के तिपही तारू। कौनो संग गंगा जल बधो, कौनो संग तुम गंगा बारू। सबके नस-नस हम जानत…

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नारी सक्ति

सम्मान करव जी नारी मन के, नारी सक्ति महान हे। दुरगा,काली,चण्डी नारी, नारी देवी समान हे।। किसम-किसम के नता जुँड़े हे, नारी मन के नाव में। देंवता धामी सब माँथ नवाँथे, नारी मन के पाँव में।। रतिहा बेरा लोरी सुनाथे, डोकरी दाई कहाथे। नव महिना ले कोख मा रखके, महातारी के फरज निभाथे।। सात फेरा के भाँवर किंजर के, सुहागिन नाव धराथे। दाई ददा के सेवा करके, बेटी ओहा कहाथे।। भाई मन के कलाई मा सुग्घर, राखी के धागा सजाथे। मया दुलार करथे अउ, बहिनी ओहा कहाथे।। सम्मान करव जी…

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जाड़ भागत हे

जाड़ ह भागत हे जी, गरमी के दिन आगे। स्वेटर साल ल रखदे, कुछु ओढे ल नइ लागे। कुलर पंखा निकाल, रांय रांय के दिन आगे। घाम ह अब्बड़ बाढ़गे, गरम गरम हावा लागे। आमा अब्बड़ फरे हे, लइका मन सब मोहागे। चोरा चोरा के खावत लइका, ओली म धर के भागे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com

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कहानी – सुरता

इसकूल ले आके रतन गुरजी ह लकर-धकर अपन जूता मोजा ला उतारिस अउ परछी म माढे कुरसी म आंखी ल मूंदके धम्म ले बइठगे। अउ टेबुल म माढे रेडियो ल चालू कर दिस। आज इसकूल के बुता-काम ह दिमाग के संगे संग ओकर तन ल घलो थको डारे रिहिस। आंखी ल मुंदे मुंदे ओहा कुछु गुनत रिहिस वतकी बेरा रेडियो म एक ठ ददरिया के धुन चलत रहय-धनी खोल बांसरी तोला कुछु नइ तो मांगो रे! मया के बोली का हो राजा! खोल बांसरी पानी रे पीये पीयत भर के…

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सुरता (संस्मरण) – सिकरनिन दाई

जब मंय ह प्रायमरी कक्षा म पढ़त रेहेंव अउ हमर ददा-कका मन के संयुक्त परिवार रिहिस त परिवार म बारो महीना कोई न कोई घुमंतू मंगइया-खवइया नइ ते पौनी-पसेरी मन के आना-जाना लगेच् रहय। विहीमन म एक झन माई घला आवय। हमर दाई-काकी, परिवार के अउ गाँव के दूसरमन ह वोला सिकरनिन कहंय। मंय ह वोला सिकरनिन दाई कहंव। सिकरनिन दाई ह होली-देवारी अउ दूसर तिहार-बार होतिस तभे आतिस। आतिस तब भीतर आंगन म आ के एक ठन आंट म बइठ जातिस। जब कभी वो आतिस, इहिच आंट म बइठतिस।…

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दिनेश चौहान के छत्तीसगढ़ी आलेख- सेना, युद्ध अउ सान्ति

हमर देस के जम्मू कास्मीर राज के पुलवामा जिला म 42 ले जादा जवान के शहीद होय के बाद पूरा देस म सेना अउ युद्ध के चर्चा छिड़े हे। पूरा देस जानथे के भारत म होने वाला जम्मो आतंकवादी हमला म पाकिस्तान के हाथ हे। पाकिस्तान हमर वो पड़ोसी देस हरे जउन आजादी के पहिली भारत के हिस्सा रिहिस। अंगरेज मन हरदम फूट डाल के राज करिन अउ जावत-जावत देस के दू टुकड़ा कर दिन। ये बँटवारा धरम के नाँव ले के करे गिस। बँटवारा के बाद दुसमनी खतम हो…

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लघुकथा – आटोवाला

बड़ दिन बाद अपन पेंशन मामला के सेती मोहनलाल बबा के रयपुर आना होइस। घड़ी चौक म बस ले उतरिस ताहने अपन आफिस जाय बर आटो के अगोरा म खड़े होगे। थोरकुन बाद एक ठ आटो ओकर कना आके रूकिस अउ ओला पूछिस -कहाँ जाओगे दादा!! डोकरा अपन जमाना के नौकरिहा रहय त वहू हिंदी झाडिस -तेलीबांधा मे फलाना आफिस जाना है। कितना लोगे? आटोवाला बताइस -150रु. लगेगा। बबा के दिमाग ओकर भाव ल सुनके भन्नागे। वोहा तुरते वोला पूछिस -कहां रहते हो रयपुर मे। आटोवाला ओला अपन पता ठिकाना…

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बलदाऊ राम साहू के छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

1 जेकर हाथ म बंदूक भाला, अउ हावै तलवार जी, उन दुसमन के कइसे करबोन, हमन हर एतबार जी। कतको झन मन उनकर मनखे, कतको भीतर घाती हे, छुप – छुप के वार करे बर, बगरे हे उनकर नार जी। पुलवामा म घटना होईस, फाटिस हमार करेजा हर, बम फेंक के बदला लेयेन , मनाये सुघर तिहार जी। कायर हे, ढ़ीठ घलोव हे, माने काकरो बात नहीं, जानथे घलो हर बखत, होथे हमरे मन के हार जी। जिनकर हाथ गौरव लिखे हे, उनला तुमन नमन करौ, देस खातिर परान दे…

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