हमर भारत देस ह देवता मन के भुइंया हे येखर कोना-कोना पुण्य भुंईया हेे। इहां पिरीथिवी लोक म जब-जब धरम के हानी होवत गईस तब-तब भगवान ह ये लोक म अवतार लिहीस। भगवान सिरी किसन जी ह अरजुन ल कुरूक्षेत्र म भागवत गीता के अध्याय 4 के स्लोक 7 अउ 8 म उपदेस देवत कईथे के- यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। 4-7।। परित्राणाय साधूनामं विनाशाय च दुष्कृताम। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे।। 4-8।। येखर मायने ये हावय के भगवान किसन कईथे के जब-जब भारत म धरत के हानि हो…
Read MoreMonth: August 2019
प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कहावतें
छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ) :- कहावत का शाब्दिक अर्थ है ‘लोक की उक्ति’। इस अर्थ से कहावत का क्षेत्र व्यापक हो जाता है, जिसे हिन्दी साहित्य कोश में इस प्रकार व्यक्त किया गया है “लोकोक्ति में कहावतें सम्मिलित हैं, लोकोक्ति की सीमा में पहेलियाँ भी आ जाती हैं।’ परन्तु आज ‘लोकोक्ति’ शब्द ‘कहावत’ या प्रोवर्ष के पर्याय के रूप में रूढ हो चला है। इसके अंतर्गत पहेलियाँ नहीं रखी जाती (यदु: छत्तीसगढ़ी कहावत कोश: 2000-7)। छत्तीसगढ़ी की बहुप्रचलित कहावतें इस प्रकार हैं – अँधरा पादै भैरा जोहारै (अंधा पादे,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे
छत्तीसगढ़ी मुहावरे एवं कहावतें idioms and phrase – छत्तीसगढ़ी में ‘मुहावरा’ को ‘मुखरहा’ और ‘कहावत’ या ‘लोकोक्ति’ को ‘हाना’ कहते हैं। वार्तालाप में वक्ता द्वारा अपनी प्रस्तुति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुखरहा और हाना का बखूबी प्रयोग किया जाता है। बहुप्रचलित मुखरहा और हाना निम्नानुसार हैं – छत्तीसगढ़ी मुहावरे (मुखरहा) – ‘मुहावरा’ ऐसी पद-रचना है, जो अपने सामान्य अर्थ से भिन्न किसी अन्य अर्थ में रूढ़ हो गया हो। छत्तीसगढ़ी के कुछ मुहावरे मानक हिंदी के मुहावरों के बिलकुल समान हैं, जैसे- ‘अति करना’ लेकिन कई बार मानक…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – विभक्तियाँ
छत्तीसगढी की विभक्तियाँ :- छत्तीसगढ़ी में विभक्तियों के लिए निम्न प्रकार शब्द प्रयुक्त होते हैं – मैं हर (मैं ने) हमन (हम ने ) ओहर (उसने) ओमन (उन्होंने /उन लोगों ने) मोला (मुझे / मुझ को) हमन ला (हमें / हम लोगों को) तोला (तुम्हें / तुम को) तुमन ला (आप लोगों को) ओला (उसे / उसको) ओमन ला (उन्हें / उन लोगों को) मोर ले (मुझ से) हमन ले (हम से) तोर ले (तुम से) तुमन ले ले (आप लोगों से) ओकर ले (उस से) ओकर मन ले (उन…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
छत्तीसगढ़ी के अव्यय – समुच्चय बोधक अव्यय – संयोजक – अउ, अउर मैं अउ तैं एके संग रहिबोन। वियोजक – कि, ते रामू जाहि कि तैं जाबे। विरोधदर्शक = फेर, लेकिन संग म लेग जा फेर देखे रहिबे। परिणतिवाचक = तो, ते, ते पाय के, धन बुधारू बकिस ते पाय के झगरा होगे। दिन-रात कमइस तभे तो पइसा सकेल पइस अउ अपन बेटी के बिहाव करिस। आश्रय सूचक = जे, काबर, कि, जानौ (जाना-माना), मानौ (जाने-माने) तैं ओला काबर बके होबे। अइसन गोठियात हस जाना-माना तैं राजा भोज अस अउ…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम
छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम Chhattisgarhi pronouns मैं / मैं हर (मैं) – मैं रहपुर जावत रहेंव। हमन (हम) – हमन काली डोंगरी जाबो । तैं / लूँ /तें हर (तुम) – तैं काय कहत रहे ? तुमन(आप लोग) – तुमह तभे बनही। ओ / ओहर (वह) – ओर सुते हे। ओमन (वे) – ओमन नई मानिन। ए/एहर (यह) – एहर बिहनिया रोवत हे। एमन (ये) – एमन गम्मत करड्डया आय। शोधार्थी – राजेन्द्र कुमार काले, रायपुर. निदेशक – चित्तरंजन कर प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – आस्था, अंधविश्वास, बीमारियाँ
आस्था -देवी-देवता के नाम -सांहड़ा देवता, काली माई, चंड़ीदेबी, शीतला माता, देबीदाई, देंवता, मंदिर, भगवान, गणेश, महादेव, पारबती, राम, छिता, लछिमन, बजरंगबली, हनमान, बिसनू, लछमी, सरसती माई, महामाया, बमलेसरी, कंकालीन, बूढिमाता, भैंरो बाबा, सवरीन दाई, ठाकुर देवता, संतोषी दाई, बजारी माता, बामहन देवता, पंडित, पुजारी। सामग्री – उँवारा, जोत, नरियर, परसाद, फूल-पान, हूम-जग, चढोतरी, सेंग, बईगा, पूजा-पाठ, हवन, जग, कलस, कलावा, गंगाजल, नवदुरगा, जंवारा, कलस, कुंवारीभोज, पंडा, गोबर, चउक, आरती। अंधविश्वास / रूढिवाद – मसान, परेतिन, परेत, जिन्द, टोना, बरमभूत, करिया मसान, सरपीन, सकसा, मटिया, बधघर्रा, मुडकट्टी, टोनही, टोनहा, बइगा,…
Read Moreछत्तीसगढ़ी नवगीत : पछतावत हन
ओ मन आगू-आगू होगे हमन तो पछवावत हन हाँस-हाँस के ओ मन खावय हमन तो पछतावत हन। इही सोंच मा हमन ह बिरझू अब्बड़ जुगत लखायेन काँटा-खूँटी ल चतवार के हम रद्दा नवा बनायेन। भूख ल हमन मितान बनाके रतिहा ल हम गावत हन। मालिक अउ सरकार उही मन हमन तो भूमिहार बनेन ओ मन सब खरतरिहा बनगे हमन तो गरियार बनेन। ढोकर-ढोकर के पाँव परेन मुड़ी घलो नवावत हन। उनकर हावै महल अँटारी टूटहा हमर घर हे उनकर छाती जब्बर हे चाकर देह हमर दुब्बर हे। ओ मन खावय…
Read Moreबरखा रानी
बहुत दिन ले नइ आए हस, काबर मॅुह फुलाए हस? ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? चीला चढ़ावौंव, धन भोलेनाथ मं जल चढ़ावौंव, गॉव के देवी-देवता मेर गोहरावौंव, धन कागज मं करोड़ों पेड़ लगावौंव। ओ बरखा रानी……? मॅुह फारे धरती, कलपत बिरवा, अल्लावत धान, सोरियावतन नदिया-नरवा, कल्लावत किसान… देख,का ल देखावौंव? ओ बरखा रानी…..? मैं कोन औं जेन तोला वोतका दूरिहा ले बलावत हौं? मानुस,पसु,पक्छी, पेड़-पउधा… वो जीव-निरजीव, जेखर जीवन,जरूरत, सुघरई अउ सार तैं, मैं तोर वोही दास आवौंव। ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘ बरदुली,कबीरधाम…
Read Moreकिताब कोठी : हीरा सोनाखान के
“हीरा सोनाखान के”, ये किताब अमर शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता के गाथा आय, इही पाय के एला वीर छन्द मा लिखे गेहे । वीर छन्द ला आल्हा छन्द घलो कहे जाथे | ये मात्रिक छन्द आय। विषम चरण मा 16 मात्रा अउ सम चरण मा 15 मात्रा होथे । सम चरण के अंत गुरु, लघु ले करे जाथे। अतिश्योक्ति अलंकार के प्रयोग सोना मा सुहागा कस काम करथे | ये किताब मा आल्हा छन्द सहित 21 किसम के छन्द पढे बर मिलही। … पढे जाने बिना चिंतन नई…
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