किताब कोठी : हीरा सोनाखान के

“हीरा सोनाखान के”, ये किताब अमर शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता के गाथा आय, इही पाय के एला वीर छन्द मा लिखे गेहे । वीर छन्द ला आल्हा छन्द घलो कहे जाथे | ये मात्रिक छन्द आय। विषम चरण मा 16 मात्रा अउ सम चरण मा 15 मात्रा होथे । सम चरण के अंत गुरु, लघु ले करे जाथे। अतिश्योक्ति अलंकार के प्रयोग सोना मा सुहागा कस काम करथे | ये किताब मा आल्हा छन्द सहित 21 किसम के छन्द पढे बर मिलही। … पढे जाने बिना चिंतन नई…

Read More

प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – तीज-त्योहार और उपकरण

तीज-त्योहार – हरेली, खम्हरछठ (हलषष्ठी), गणेश चतुर्थी, आठे कन्हैया, राखी, अक्षयतृतीया, तीजा-पोरा, पीतर, दसेरा, सुरूत्ती, देवारी, गोबरधनपूजा, छेरछेरा /माघीपुन्नी, होरी, गौरा-गौरी, अक्ती (पुतरी-पुतरा के तिहार), गुरबारी, होली, जेठउनी, जुमतिया, नागपंचमी। उपकरण – उपकरण के अंतर्गत घरेलू उपकरण, कृषि संबधी उपकरण, काम करने के औजार, सुरक्षा संबंधी हथियार आदि को अध्ययन की दृष्टि से अलग-अलग वर्गों में बाँटा जा सकता है। घरेलू उपकरण एवं वस्तुएँ – बटकी, सील-लोढा, चौकी-बेलना, थारी, लोटा, माली, परात, पैना, पसउना, बांगा, करछूल, कराही, झारा, लकरी, छेना, गुंडरी, थौना, चिमनी, कंडिल, दीया-बाती, जांता, ढेंकी, मूसर, खौना, चन्नी, सूपा, बहिरी, पोतनी, खरहारा, टठिया, परई, तसला,…

Read More

प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – क्रिया

क्रिया – रंधई, खवई, पियइ, सुतइ, नचइ, कूदइ, खेलइ, इतरइ, हसड्, रोवइ, संगदेवइ, अवई-जवईइ, देख, किंजरइ, बनि-भुति करइ, कमई, लरइ-झगरा करइ, बकई, हनई, देवइ, बहरइ। क्रिया शब्दों को अंत में ना उपसर्ग लगाकर भी लिखा जाता है यथा – खाना मुसकाना धोना मया करना हदरना बतराना बहकना जड़ाना बहना खेलना बड़बड़ाना भगाना भागना बजाना लड़बडाना गोठियाना गाना बसना रेंगना लहराना फसाना समझाना हंकराना हड़बडाना हसना बुझाना पीटना खटकाना पीटना तीरना रोना फंदना बारना झटकना सुसकना जागना हफ्टना सजाना उजारना सुतना फोरना चिरना कलहरना हराना नहाना सटकना जोतना अमरना धोना पीना तिरियाना…

Read More

जतन करव तरिया के

पानी जिनगी के सबले बड़े जरूरत आय।मनखे बर सांस के बाद सबले जरूरी पानी हरे।पानी अनमोल आय।हमर छत्तीसगढ़ म पानी ल सकेले खातिर तरिया,डबरी अउ बवली खनाय के चलन रिहिस।एकर अलावा नरवा,नदिया अउ सरार ले घलो मनखे के निस्तारी होवय। तइहा के मंडल मन ह अपन अउ अपन पुरखा के नाव अमर करे खातिर तरिया डबरी खनवाय।जेकर से गांव के मनखे ल रोजगार मिले के संगे संग अपन निस्तारी बर पानी घलो मिलय। छत्तीसगढ़ मे बेपार अउ निवास करइया बंजारा जाति के मनखे मन जघा-जघा अबड अकन तरिया खनवाय हवय।…

Read More

छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा- स्व. प्यारे लाल गुप्त

हमर छत्तीसगढ़ ला धान के कटोरा कहे जाथे अउ ए कटोरा म सिरिफ धाने भर नई हे, बल्कि एक ले बढ़ के एक साहित्यकार मन घलाव समाए हावय। ए छत्तीसगढ़ के भुइंया म एक ले बढ़ के एक साहित्यकार मन जनम लिहिन अउ साहित्य के सेवा करके ए भुइयां मे नाम कमाइन। हमर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म स्व. प्यारेलाल गुप्त जी 17 अगस्त सन् 1891 में छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजधानी रतनपुर में जनम लिहिन। प्राथमिक शिक्षा ल रतनपुर में ग्रहण करे के बाद आगू के पढ़ाई करे बर बिलासपुर…

Read More