तीज-त्योहार – हरेली, खम्हरछठ (हलषष्ठी), गणेश चतुर्थी, आठे कन्हैया, राखी, अक्षयतृतीया, तीजा-पोरा, पीतर, दसेरा, सुरूत्ती, देवारी, गोबरधनपूजा, छेरछेरा /माघीपुन्नी, होरी, गौरा-गौरी, अक्ती (पुतरी-पुतरा के तिहार), गुरबारी, होली, जेठउनी, जुमतिया, नागपंचमी। उपकरण – उपकरण के अंतर्गत घरेलू उपकरण, कृषि संबधी उपकरण, काम करने के औजार, सुरक्षा संबंधी हथियार आदि को अध्ययन की दृष्टि से अलग-अलग वर्गों में बाँटा जा सकता है। घरेलू उपकरण एवं वस्तुएँ – बटकी, सील-लोढा, चौकी-बेलना, थारी, लोटा, माली, परात, पैना, पसउना, बांगा, करछूल, कराही, झारा, लकरी, छेना, गुंडरी, थौना, चिमनी, कंडिल, दीया-बाती, जांता, ढेंकी, मूसर, खौना, चन्नी, सूपा, बहिरी, पोतनी, खरहारा, टठिया, परई, तसला,…
Read MoreMonth: August 2019
प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – क्रिया
क्रिया – रंधई, खवई, पियइ, सुतइ, नचइ, कूदइ, खेलइ, इतरइ, हसड्, रोवइ, संगदेवइ, अवई-जवईइ, देख, किंजरइ, बनि-भुति करइ, कमई, लरइ-झगरा करइ, बकई, हनई, देवइ, बहरइ। क्रिया शब्दों को अंत में ना उपसर्ग लगाकर भी लिखा जाता है यथा – खाना मुसकाना धोना मया करना हदरना बतराना बहकना जड़ाना बहना खेलना बड़बड़ाना भगाना भागना बजाना लड़बडाना गोठियाना गाना बसना रेंगना लहराना फसाना समझाना हंकराना हड़बडाना हसना बुझाना पीटना खटकाना पीटना तीरना रोना फंदना बारना झटकना सुसकना जागना हफ्टना सजाना उजारना सुतना फोरना चिरना कलहरना हराना नहाना सटकना जोतना अमरना धोना पीना तिरियाना…
Read Moreजतन करव तरिया के
पानी जिनगी के सबले बड़े जरूरत आय।मनखे बर सांस के बाद सबले जरूरी पानी हरे।पानी अनमोल आय।हमर छत्तीसगढ़ म पानी ल सकेले खातिर तरिया,डबरी अउ बवली खनाय के चलन रिहिस।एकर अलावा नरवा,नदिया अउ सरार ले घलो मनखे के निस्तारी होवय। तइहा के मंडल मन ह अपन अउ अपन पुरखा के नाव अमर करे खातिर तरिया डबरी खनवाय।जेकर से गांव के मनखे ल रोजगार मिले के संगे संग अपन निस्तारी बर पानी घलो मिलय। छत्तीसगढ़ मे बेपार अउ निवास करइया बंजारा जाति के मनखे मन जघा-जघा अबड अकन तरिया खनवाय हवय।…
Read Moreछत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा- स्व. प्यारे लाल गुप्त
हमर छत्तीसगढ़ ला धान के कटोरा कहे जाथे अउ ए कटोरा म सिरिफ धाने भर नई हे, बल्कि एक ले बढ़ के एक साहित्यकार मन घलाव समाए हावय। ए छत्तीसगढ़ के भुइंया म एक ले बढ़ के एक साहित्यकार मन जनम लिहिन अउ साहित्य के सेवा करके ए भुइयां मे नाम कमाइन। हमर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म स्व. प्यारेलाल गुप्त जी 17 अगस्त सन् 1891 में छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजधानी रतनपुर में जनम लिहिन। प्राथमिक शिक्षा ल रतनपुर में ग्रहण करे के बाद आगू के पढ़ाई करे बर बिलासपुर…
Read Moreअटल बिहारी वाजपेयी ‘‘राजनीतिज्ञ नई बलकि एक महान व्यक्तित्व रहिन’’
अटल बिहारी वाजपेयी के जनम 25 दिसम्बर बछर 1924 को ग्वालियर म एक सामान्य परिवार म होय रहिस। उंकर पिता जी के नाव कृष्ण बिहारी मिश्र रहिस। जे ह उत्तर परदेस म आगरा जनपद के प्राचीन असथान बटेश्वर के मूल निवासी रहिस। अउ मध्यपरसेद रियासत ग्वालियर म गुरूजी अउ एक कवि रहिस अउ उकर मॉं के नाम कृष्णा देवी रहिस। तीन बहिनी अउ भाई म सबसे छोटे अटल बिहारी ल उंखर दादी प्यार ले अटल्ला कई के बुलावत रहिस। काबर के अटल के पिता शिछक अउ कवि रहिस ये कारन…
Read Moreभोजली तिहार : किसानी के निसानी
हमर छत्तीसगढ़ देस-राज म लोक संसकिरीति, लोक परब अऊ लोक गीत ह हमर जीनगी म रचे बसे हाबय। इहां हर परब के महत्तम हे। भोजली घलो ह हमर तिहार के रूप म आसथा के परतीक हावय, भोजली दाई। भोजली ह एक लोक गीत हावय जेला सावन सुकुल पछ के पंचमी तिथि ले के राखी तिहार के दूसर दिन याने भादो के पहिली तिथि तक हमर छत्तीगढ़ राज म भोजली बोय के बाद बड़ सरद्धा भकती-भाव ले कुंवारी बेटी मन अऊ ़नवा-नेवरिया माईलोगन मन गाथे। असल म ये समय धान के…
Read Moreछत्तीसगढ़ के गारी -प्रतिकात्मक अभिव्यक्ति
हर मनखे के मन म सकारात्मक-नकारात्मक, सुभ-असुभ भाव होथे। मन के ये सुभ-असुभ बिचार हर समय पा के अभिव्यक्त होथे। जब परिवेस बने रहिथे तब बानी ले बने-बने बात निकलथे अउ जब परिवेस हर बने नइ राहय तब मुँहू ले असुभ अउ अपशब्द निकलथे। बानी ले शब्द के निकलना अपनेआप म अन्तरभाव के परकटीकरन आय। अन्तरभाव के अभिव्यक्ति हर संस्कार अउ शिक्षा ले सरोकार रखथे। यदि ये बात के परतीत करना हे, त कोनो समाज के सामाजिकार्थिक दसा, शिक्षा के संगे-संग बिचार अभिव्यक्ति तरीका के अध्ययन करे जा सकत हे।…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – गाली, वर्जनाएँ
गाली – रोगहा, कोढि़या, बन्चक, रांड़ी, रण्ड़ी, भोसड़ामारी, चोदरी, बेसिया, चरकट, किसबीन, चंडालीन, बकरचोद, रांड़ी, भौजी, किसबीन, भडुवा, लफंगा, हरामी, सारा, चुतिया, चुच्चा, बेसरम, चंडाल, दोगला, लबरा, जुठहा, जुठही, रोगहा, किसबा, कनचोदवा, मादरचोद, चोट्टा, चोदू, चोदूनंदन, भोसडीवाला, टोनही, टोनहा, कुरगहा, जलनकुकडा, टेटरही, रेंदहा, हेक्कड, पाजी, हिजडा, नलायक, दत्तला, घोंघी, करबोंगी, भकचोदवा, करबोकवा, करलुठी, करजिभि, पेटली, लमगोडवा, बदमास, बरदाओटिहा, परदाकुद्दा, कुबरा, बेर्रा, कनटेरी, कनवा, मरहा, कुसवा, सुसवा, छुछमुहा, गठारन, ननजतिया, हकनीन, कौंवा, उखनू, उखानचंद। वर्जनाएँ (टैबू संरचना) :– शरीर के अंग– नूनू, चोचो, झांट, लवड़ा, पुदी, गट्टा, गांड, पोंद, दुदु, फुर्गा,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ
छत्तीसगढ़ी में कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ, जैसे – खातू पलई, खेत जोतई, बोनी, पलोई, बियासी, निंदई-कोड़ई, रोपा, रोपई, दवई डरई, लुवई, डोरी बरई, करपा गंजई, बीड़ा बंधई, भारा बंधई, खरही गंजई, पैर डरई, मिंजई, खोवई, ओसई, नपई, धरई, कोठी छबई, बियारा छोलई, लिपई, बहरई, बसूला/राँपा / बिन्हा/टंगिया/हँसिया टेवई, बेंठ धरई, कलारी चलई, पैर खोवई, पैरावट लहुटई, पैर गंजइ। फसलों की विभिन्न स्थितियाँ– जरई आगे, जामत हे, धान केंवची हे, दूध भरावत हे, पोटरिया गे, भरा गे, बाली आवथे, पोठा गे, पोक्खा-पोक्खा होगे, पोचलियावत है, बदरा पर गे, माहो लग गे, पाकत हे, सूखा गे,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – गीत, नृत्य
नृत्य – सुवा, करमा, राउतनाचा, डंगचगहा नाचा, बघवा नाचा, ढोलामारी, गम्मत, तमासा, पंथीनाचा, गोंडनाचा, डंडानाच, बिहावनाचा, डिडवानाचा, फी नाचा, बरतिया नाचा, रामनामी, पंडवानी, फाग, जंवारा, गौरा-गौरी, डिड्वानाचा, गांडा, ढोला, तारि-नारि। लोकगीत– छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में वैविध्यता और विशिष्टता को दृष्टिगत रखते हुए उसकी अंतर्वस्तु के आधार पर निम्नप्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है – (क) संस्कार गीत – जन्म-गीत, बधावा, सोहर, बरूवा, बिहाव-गीत, चूलमाटी-गीत, तेलमाटी, माय-मौरी, नहडोरी, परघनी, रातीभाजी या लाली भाजी-गीत, भडौनी, कलेवना, डिंडवानाचा-गीत, भावर, दाईज-गीत, बिदाई-गीत, मरनी-गीत। (ख) ऋतु एवं व्रत गीत – छेरछेरा, सवनाही, कार्तिक स्नान-गीत, नगमत-गीत, फाग…
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