छत्तीसगढ़ी उपन्‍यासों में सामाजिक चेतना

शोधकर्ता: सेमसन, अशोक कुमार गाइड : शर्मा, शीला कीवर्ड: छत्तीसगढ़ी चेतना पूर्ण तिथि: 2012 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ी उपन्यासों में सामाजिक चेतना अनुक्रमणिका प्राक्कथन अध्याय 01 छत्तीसगढ़ राज्य : एक परिचय 1.1 प्रस्तावना 1.2 छत्तीसगढ़ राज्य का उदय 1.3. स्थिति एवं विस्तार 1.4. सामाजिक परिवेश 1.5. सांस्कृतिक विरासत 1.6. ऐतिहासिक धरोहर 1.7 छत्तीसगढ़ी लोकभाषा और लोक साहित्य 1.8 छत्तीसगढ़ी का अभ्युदय एवं भौगोलिक परिसीमा 1.9 छत्तीसगढ़ का नामकरण 1.10 छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक भूमि 1.11 छत्तीसगढ़ी साहित्य का सामान्य परिचय 1.12 छत्तीसगढ़ी लोकसाहित्य 1.13 संदर्भग्रंथ अध्याय 02 उपन्यास 2.1…

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महादेव के बिहाव खण्ड काव्य के अंश

शिव सिर जटा गंग थिर कइसे, सोभा गुनत आय मन अइसे। निर्मल शुद्ध पुन्‍नी चंदा पर गुंडेर करिया नाग मनीधर।। दुनो बांह अउ मुरूवा उपर, लपटे सातो रंग के विषधर। जापर इन्द्र घनुक दून बाजू, शिव पहिरे ये सुरग्घर साजू ।। नीलकण्ठ गर उज्जर भाव, मन गूनत अइसे सरसाव। भौरां बइठ शंख पर भूले, तो थोरक मुहर मन झूले ।। सेत नाग शिव तन मिले, जाँय नि चिटकों जान। जीभ दुफनिया जब निकारे, तभे होय पहिचान ।। पहिरे बधवा के खाल समेटे, तेकर उपर सांप लपेटे। आंखी तिसर कपार उपर…

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हमर देस : जौन देस में रहिथन भैया, ये ला कहिथन भारत देस

जौन देस में रहिथन भैया, ये ला कहिथन भारत देस, मति अनुसार सुनाथंव तुमला, येकर कछु सुंदर सन्देस। उत्ती बाजू जगन्नाथ हैं, बुड़ती में दुवारिका नाथ, बदरी धाम भंडार बिराजे, मुकुट हिमालय जेकर माथ। सोझे सागर पांव धोत हैं, रकसहूं रामेश्वर तीर, बंजर झाडी़ फूल चढ़ावें, कोयल बिनय करे गंभीर। जो ये देह हमार बने है, त्यारे अन्न इहें के जॉन, लंह हमार इहें के पानी, हवा इहें के प्रान संमान। रोंवां रोंवा पोर पोर ले, कहं तक कहाँ बात समझाय, थोरे को नइये हमर कहेबर, सब्बो ये भारत के…

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