लॉकडाउन म का करत हें असम के छत्‍तीसगढ़ वंशी

लाकडाउन के बीच कई दिन के बाद असम म रहइया कुछ छत्तीसगढ़िया मनखे मन ले बातचीत होइस। पहली बात होइस बामनवाड़ी निवासी ललित साहू ले जेकर काली जन्मदिन रहिस। ललित के पूर्वज धमतरी तीर के जंवरतला नाम के गांव ले चाय बागान म काम करे बर असम गे रहिन जिहां अभी उंखर पांचवा पीढ़ी निवास करत हे। अभी हाल म ललित मन तीनो भाई अऊ ओखर पिता, सबो चिकित्सा के क्षेत्र म काम करत हें अऊ कोविड-19 के सेती सबो के अपन-अपन व्यस्तता हे। दुसर बात मोर होजाई निवासी डॉ.…

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दैनिक देशबंधु के संदर्भ में छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता का विश्‍लेष्‍णात्‍मक अध्‍ययन

An analytical study of Chhattisgarhi literary journalism in the context of Dainik Deshbandhu शोधकर्ता: तृप्ता कश्यप गाइड : श्रद्धा चंद्राकर, कीवर्ड: कला और मानविकी, छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता, दैनिक देशबंधु पूर्ण तिथि: 2017 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय दैनिक देशबंधु के संदर्भ में छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता का विश्‍लेष्‍णात्‍मक अध्‍ययन अध्याय प्रथम छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता का विकास :- लघु पत्रिकाओं का योगदान <- येला क्लिक करके पढ़व 1.1 आरंभिक दौर 1.2 स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व का दौर 1.3 स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात्‌ का दौर 1.4 नई शताब्दी के आरंभ…

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कुंवर दलपति सिंह के राम-यश मनरंजन के अंश

सीता माता तुम्हार करत सुरता रे, झर झर बहै आंसू भीजथे कुरता रे पथरा तक पिघले टघलैं माटी रे। सुनवइया के हाय फटत छाती रे, कोनों देतेव आगी में जरि जातेंव रें, जिनगी में सुख नइये में मरि जातेवें रे। कहिके सीता माता अगिन मांगिन रे, कुकरी के बरोबर कलपे तो लागिन रे। ठौका तउने बखत टपकाय दियेंव में, चिन्हा मु दरी तुम्हरेला गिराय दियेंव में। झपर सीता माता उठाके तउने छिन, अकबक होके येती वोती देखिन रे। मुंदरी ला चिन्हें अपन घर के, लेइस छाती छुवाय आंखी में धर…

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