संत कोटि के अलमस्त कवि बद्रीबिशाल परमानंद

जेन मनखे के रचना मन भले कभू पत्र-पत्रिका के मुंह नइ देखिन, फेर लोगन के कंठ म बिना वोकर रचनाकार के नांव जाने बइठिस अउ सुर धर के निकलिस, उही तो लोककवि होइस. सन् 1917 के रथयात्रा परब के दिन रायपुर जिला के गाँव छतौना (मंदिर हसौद) म महतारी फुलबाई अउ ददा रामचरण यदु जी के घर जनमे बद्रीबिशाल यदु ‘परमानंद’ जी के संग अइसने होए हे. उनला उंकर जीयत काल म ही लोककवि के रूप म चिन्हारी मिलगे रिहिसे. वोकर लोकप्रियता अतेक रिहिसे, जेला देख के हमूं मनला गरब…

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