हमर भारत देस राज ह खेती-किसानी वाला देस हावय। याने हमर देस ह किरसी परधान देस हावय। नाग देवता ह किसान के एक परकार ले संगवारी ये, काबर के वो ह किसान के खेत-खार के रछा करथे। येखर कारन वोला छेत्रपाल कहे जाथे। छोटे-मोटे जीव जंतु अउ मुसवा ह फसल ल नुकसान करे वाला जीव हावय। ओखर नास करके नाग ह हमर खेत के रछा करथे।
सांप ह हमन ल कई परकार के संदेस घलो देथे। सांप के गुन देखे बर हमनकरा गुनग्राही अउ सुभग्राही नजर होना चाही। भगवावन दत्ता़त्रय म सुभ दिरिस्टीय रहिस उनला हर चीज म कुछ न कुछ सीख मिलीस अउ जेखर करा सीख मिलिस वोला ओ ह अपन गुरू बना लिहिस।
सांप मन घलों कोनो ल अकारन नई चाबय। वोला परेसान करे वाले मनखेमन ल ही चाबथे भले ही भूल से ही हमर गोड़ ओखर उपर रेंगत समय लग जाथे त वो ह अपन रछा बर डस देथे। सांपों घलो भगवान के बनाये ये परकिरीत के सुंदर जीव ये। वो ह बिना नुकसान पहुंचाये बिना उपद्रव करे अपन जीवन जीयत हे त ओला मारे के हमन ल कोनो अधिकार नई हावय। जब हमन ओखर परान लेहे बर करथन त ओ ह अपन रछा करे बर हमन ल डसथे त ओला दुश्ट काबर कहिबो। हमर परान लेहे वाला के के परान लेहे के का हमन कोसिस नई करन का?
नाग देवता ल ममहाई ह बहुत भाथे। जेखर कारन वो ह चंपा के रूख म या चंदन के रूख म लिपटे रईथे। केवड़ा के जंगल म घलो नाग देवता मन के वास रईथे।
कुछ जुन्नटहा नाग देवता के माथा म मणि रईथे। जे ह अमूल्य होथे। हमूमन ल अमूल्य चीच मन ल याने बने बिचार मन ल अपन माथा म रखना चाही।
सांप बिला जेजा fभंभोरा घलो कईथे म ज्यादातर एकांत जीवन जीथे। येखर कारन मुमुछु ल जनसमूह मन ल टालना चाही। ये बारे म सांप के उदाहरन दिये जाथे।
देवता अउ राछस के सागर मंथन म साधन रूप बनके वासुकि नाग ह दुरजन घलो बर परभु काज म निमित्त बने के रद्दा खोल दिहिस। दुरजन मन घलो यदि सच्चा रद्दा म आय त उहू ह सांसकिरीतिक काम म अपन बहुत बड़े योगदान दे सकत हावय।
नाग पंचमी हमर fहंदू मन के एक परमुख तिहार हावय। fहंदू पंचांग के अनुसार सावन महिना के सुकुल पछ के पंचमी के ये तिहार ल मनाये जाथे येखर काारन ये तिहार ल नागपंचमी घलो कईथन। ये दिन नाग देवता के पूजा करे जाथे अउ गोरस से नाग देवता ल अस्नान करे के बिधान हावय। ये दिन किसान मन ह अपन खेत-खार म जाके जे मेना fभंभोरा रईथे दोना म गोरस अउ लाई ल, ले जाके रख देथे।
काबर के नागपंचमी ह सावन महिना म मनाये जाथे त भगवान संकर के मंदिर म नाग देवता ल घलो पानी, गोरस से असनान कराये जाथे।
नाग देवता ह भगवान संकर के गला के हार ये। जेखर कारन भगवान संकर ल सांप घलो प्रिय हावय। भगवान सिरी राम के छोटे भाई लछमन घलो ल सेसनाग के अवतार माने गय हावय।
भगवान सिरी किसन जी घलो ह यमुना रहने वाला कालिया नाग के मरदन करे रहिस।
नाग पंचमी के दिन गांव-गांव म कुस्ती अउ पहलवानी परतीयोगिता के आयोजन घलो रखे जाथे। किसान मन अपन पसुधन गरूआ-भईसा मन ल तलाव, नदियां-नरवा म बढ़िया नउहाथे।
ये दिन अश्टनाग के पूजा करे जाथे।
वसुfकः तक्षकच्शैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो,धृमराश्ट्रःकार्कोटकधनंजयौ।।
एतेअभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनम्।।
(भविश्योत्तरपुराण-32-2-7)
येखर अरथ ये हावय के वासुकि,तक्षक, कालिया,मणिभद्रक,ऐरावत,धृतराश्ट्र,कार्कोटक और धनंजय- ये मन जीव मन अभय देथे।
नाग ल देवता के रूप म स्वीकार करे म आर्य मन के हिरदय के बिसालता के दरसन होथे।
ये परकार ले देखे जाय त नाग, देवता के रूप म घलो अउ देवता मन के प्रिय के रूप म घलो अउ किसान मन के संगवारी के रूप म ये पिरथिवी लोक म वास करथ हावय। त अइसनहा जीव ल हमन ल नुसकान नई पहुंचाना चाही। जेला हमन एक कती पूजा करथन अउ ओला देखत ही मारे बर करथन ये बिलकुल गलत काम ये।
प्रदीप कुमार राठौर ‘‘अटल’’
ब्लाक कालोनी जांजगीर
जिला-जांजगीर चांपा (छ.ग.)
Nagpanchami ka mahatv