बद ले बदतर हाल देखे हँव।
काट के करत देखभाल देखे हँव।
शेर भालू हाथी डरके भागे बन ले,
गदहा ल ओढ़े बघवा खाल देखे हँव।
काखर जिया म जघा हे पर बर बता,
अपन मन ल फेकत जाल देखे हँव।
जीयत जीव जंतु जरगे मरगे सरगे,
बूत बैनर टुटे फुटे म बवाल देखे हँव।
सेवा सत्कार करे म मरे सब सरम,
चाटुकारिता म कदम ताल देखे हँव।
काखर उप्पर करके भरोसा चलँव,
चारो मुड़ा म पइधे दलाल देखे हँव।
भाजी पाला कस होगे कुकरी मछरी,
मनखे घलो ल होवत हलाल देखे हँव।
कोन भला बच पाही ए जुग म,
पगपग म बइठे काल देखे हँव।
जात-पात ऊँच-नीच तोर-मोर के खातिर,
मनखे मनखे के चीथत गाल देखे हँव।
गियानी के गियान धियान उरकगे,
अड़हा के मुख म सवाल देखे हँव।
जाँगर वाले ल जरत बरत मरत,
बैठांगुर मन ल माला माल देखे हँव।
ये जुग ल देख खरागे जम्मो मोर धीरज,
मया पीरा म घलो झोलझाल देखे हँव।
जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया”
बाल्को(कोरबा)
– जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया”
बाल्को(कोरबा)
9981441795