जम्मो नवा पुराना हावै।
बात हमला दुहराना हावै ।
लूट सको तो लुट लौ भैया,
सरकारी खजाना हावै ।
झूठ-लबारी कहि के सबला
सत्ता तो हथियाना हावै।
कतको अकन बात हर उनकर
लागे गजब बचकाना हावै।
पेट पलइया मांग करे तब,
रंग – रंग के बहाना हावै।
सब के मुँह म बात एके हे,
उलटा इहाँ जमाना हावै।
अब भाई के गोठ- बात मा
घलो सियासी ताना हावै ।
रंग-रंग के =तरह-तरह के
बलदाऊ राम साहू